बिहार सरकार के मंत्री संजय झा ने गिनाईं स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धियां, 15 साल पहले का हाल भी बताया
बिहार सरकार के मंत्री बोले- सुविधाओं में निरंतर वृद्धि से सरकारी अस्पतालों पर भरोसा बढ़ा सात निश्चय-2 के तहत बिहार में स्वास्थ्य सुविधाओं का हो रहा विस्तार नीति आयोग ने बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर की है टिप्पणी
पटना, राज्य ब्यूरो। नीति आयोग की एक रिपोर्ट में बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को लेकर की गयी कड़वी टिप्पणी के बाद राजनीति तेज हो गई है। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सहित पूरा विपक्ष इस मसले को लेकर सरकार पर हमलावर है। वहीं जल संसाधन मंत्री संजय झा ने किसी का जिक्र किए बगैर शनिवार को यह ट्वीट किया कि सुविधाओं में निरंतर वृद्धि से सरकारी अस्पतालों पर बिहार में मरीजों का भरोसा बढ़ा है। वर्ष 2019 का यह आंकड़ा है कि यहां हर माह इलाज के लिए सरकारी अस्पताल पहुंचने वालों की औसतन संख्या 9,517 हो गयी है। एक समय 2005-06 की स्थिति यह थी कि हर माह औसतन 39 मरीज ही इलाज के लिए सरकारी अस्पताल पहुंचते थे। तब उन्हें रूई और सुई तक बाहर से खरीदना पड़ता था।
झा ने कहा कि यह खुशी की बात है कि पंजाब विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आम आदमी पार्टी के नेता स्वास्थ्य केंद्रों पर मुफ्त दवा और जांच का जो वादा कर रहे उसे बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा 2006 से ही उपलब्ध कराया जा रहा है। राज्य के सरकारी मेडिकल कालेजों में भर्ती मरीजों को 113 से अधिक जबकि ओपीडी के मरीजों को 76 से अधिक प्रकार की दवाएं मुफ्त मिल रही है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से जिला अस्पताल तक मुफ्त मिलने वाली दवाओं और जांच की सूची निर्धारित है।
संजय ने कहा कि कोरोना महामारी से जान गंवाने वालों के परिजनों के लिए सबसे पहले बिहार सरकार ने चार लाख रुपए के मुआवजे का एलान किया। बाद में दबाव पड़ने पर दिल्ली सरकार ने मात्र 50 हजार रुपए मुआवजा दिए जाने की घोषणा की। कुछ अन्य राज्य सरकारों ने भी इतनी ही राशि का एलान किया। स्वास्थ्य सेवाओं को तकनीकी माध्यम से जोडऩे की दिशा में अब बिहार के पीएचसी, सीएचसी तथा अनुमंडल एवं जिला अस्पतालों को टेलीमेडिसीन से जोड़ दिया गया है।