मरीज के पास पैसे नहीं भी हों तो आपात स्थिति में इलाज से मना नहीं कर सकेंगे निजी अस्पताल
इलाज की गुणवत्ता सुधारेगा क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट एक्ट पर हाईकोर्ट गंभीर पहले मई 2015 तक पंजीयन कराने का दिया था आदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से एक मार्च को अपना पक्ष रखने का दिया निर्देश डॉक्टरों ने कोर्ट में केस कर मामले को डाल दिया था ठंडे बस्ते में
पटना, जागरण संवाददाता। बिहार में इलाज की गुणवत्ता सुधारने के लिए क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट (रजिस्ट्रीकरण एवं विनियमन) 2010 के तहत सभी अस्पतालों-जांच केंद्रों का पंजीयन जल्द शुरू हो सकता है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से एक मार्च को पक्ष रखने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने 8 मई 2015 तक सभी अस्पतालों व नैदानिक केंद्रों का पंजीयन करा एक्ट को प्रभावी ढंग से लागू करने का आदेश दिया था। हालांकि, क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट में संशोधन की मांग करते हुए डॉक्टर हाईकोर्ट चले गए थे। उसके बाद से मामला ठंडा बस्ते में था। एक्ट को लागू कराने के लिए कई समाजसेवियों ने हाईकोर्ट में लोकहित याचिका दायर की थी।
चिकित्सक संघ करते रहे हैं विरोध
2015 में हाईकोर्ट के आदेश पर स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने राज्य व जिला स्तर पर पंजीयन प्राधिकार समिति गठित की थी। उस समय चिकित्सक संघों के विरोध के कारण मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।
डॉक्टरों के विरोध का कारण
एक्ट लागू हुआ तो ये होंगे फायदे सभी प्रकार की जांच व इलाज के खर्च की जानकारी सार्वजनिक करना। किस प्रकार के इलाज की सुविधा और कौन डॉक्टर उपलब्ध हैं इसकी जानकारी सार्वजनिक करना। आपात व ट्रामा के तहत कौन सी सुविधाएं उपलब्ध हैं, उनकी जानकारी सार्वजनिक करना। इमरजेंसी होने पर यदि अस्पताल में किसी रोग के उपचार की सुविधा है तो पैसे नहीं होने पर भी स्थिर होने तक उपचार करने की बाध्यता। इमरजेंसी सेवा की व्यवस्था आवश्यक। अस्पताल में 24 घंटे योग्यताधारी चिकित्सक होना जरूरी। सुनिश्चित किया जायेगा मनमाने ढंग से फीस न वसूली जाए। भवन का नक्शा व अग्निशामक की उचित व्यवस्था हो। अस्पताल, वार्ड से लेकर बाथरूम तक क्षेत्रफल निर्धारित।
जांच केंद्रों के लिए निर्धारित मानक एक्स-रे व सीटी स्कैन जांच केंद्रों में मरीजों व रेडियोग्राफर की सुरक्षा के प्रबंध। जांच के वक्त रोगी सदमे में आ जाए या अन्य इमरजेंसी में इलाज की व्यवस्था हो। जांच को योग्यताधारी चिकित्सक होना जरूरी।