हाईकोर्ट का आदेश-STET अभ्यर्थियों को दें उम्रसीमा में छूट, बिहार सरकार ने कहा-कैसे दें Bihar News
बिहार सरकार ने STET अभ्यर्थियों को उम्रसीमा में छूट दिए जाने के निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है और कहा है कि अभ्यर्थियों को उम्रसीमा में कोई छूट नहीं दी जाएगी।
पटना, जेएनएन। पटना हाईकोर्ट (Patna High court) ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति Bihar school examination board) को राज्य शिक्षक पात्रता परीक्षा (STET) में अभ्यर्थियों को उम्र सीमा में छूट देने का आदेश दिया था, जिसपर राज्य सरकार ने कहा है कि माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा (STET) में सरकार बीएड (B Ed) या प्रशिक्षित अभ्यर्थियों को अधिकतम उम्रसीमा में कोई छूट नहीं देगी।
अभ्यर्थियों को उम्र सीमा में छूट देने के निर्णय के खिलाफ बिहार सरकार ने हाईकोर्ट में एलपीए (LPA) दायर कर दी है। कोर्ट ने माना कि हर वर्ष होने वाली पात्रता परीक्षा आठ साल बाद ली जा रही है।
शिक्षा विभाग ने कहा-कैसे दें उम्रसीमा में छूट
विधि विभाग के माध्यम से सरकार ने एलपीए दायर की है। शिक्षा विभाग शुरू से ही उम्र सीमा में छूट देने के पक्ष में नहीं था। शिक्षा विभाग का तर्क है कि हर साल एसटीईटी आयोजित करने की बाध्यता नहीं है। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने फैसला दिया था कि 2011 के बाद एसटीईटी आयोजित नहीं की गई है, इसलिए अभ्यर्थियों को 8 साल उम्रसीमा में छूट मिलनी चाहिए।
शिक्षा विभाग का तर्क है कि शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई) के अनुसार प्रारंभिक स्कूलों में शिक्षक नियुक्ति के लिए टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) हर साल आयोजित करना है। हाईस्कूलों में 37335 शिक्षकों की बहाली के लिए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा 7 नवंबर को एसटीईटी लिया जाना था। लेकिन हाईकोर्ट की उम्रसीमा में छूट देने के निर्णय के बाद इसे स्थगित कर दिया गया।
अदालत ने अधिकतम उम्र आठ साल बढ़ाने को कहा था
हाईकोर्ट की एकल पीठ ने निर्णय दिया था कि 2011 से 2019 के बीच एसटीईटी से वंचित को परीक्षा में शामिल होने के लिए अधिकतम उम्र सीमा में 8 साल तक की छूट दें। अभी सामान्य वर्ग के लिए अधिकतम उम्रसीमा 37 वर्ष, सामान्य वर्ग की महिला, पिछड़ा व अति पिछड़ा वर्ग के लिए 40 और एससी-एसटी के लिए 42 वर्ष निर्धारित है।
न्यायमूर्ति डॉक्टर अनिल कुमार उपाध्याय की पीठ ने पंकज कुमार सिंह की रिट याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया था। कोर्ट को बताया गया था कि बिहार बोर्ड को एसटीईटी का आयोजन हर वर्ष करना है। लेकिन बोर्ड 2011 के बाद इस वर्ष परीक्षा का आयोजन कर रहा है। आठ वर्ष बाद परीक्षा होने से बहुत सारे ऐसे परीक्षार्थी एेसे हैं, जिनकी इस परीक्षा में बैठने की तय उम्र सीमा पार कर चुकी है।
एेसे में बोर्ड की गलती का खामियाजा परीक्षार्थियों को भुगतना पड़ेगा। यदि हर वर्ष परीक्षा ली जाती तो परीक्षार्थी तय उम्र सीमा के भीतर पात्रता परीक्षा को पास कर लेते और शिक्षकों की नियुक्ति के लिए योग्य हो जाते। कोर्ट ने आवेदक की दलील मंजूर करते हुए उम्र सीमा में छूट देने का आदेश बिहार बोर्ड को दिया था।