नालंदा में संपत्ति के लिए हैवान बना चचेरा भाई, बहन की हत्या के बाद घर के कमरे में ही केरोसिन डाल जला दिया शव
बताया जा रहा है कि वारदात के वक्त विभा के चाचा गजेंद्र सिंह भी घर में थे लेकिन बदमाश भतीजे के डर से कुछ बोल नहीं पा रहे हैं। रात करीब डेढ़ बजे इस घटना की सूचना पड़ोस के युवक ने विभा के पुत्र विकास राज को दे दी।
बिहारशरीफ, जागरण संवाददाता। गुरुवार एवं शुक्रवार की दरमियानी रात नालंदा जिले के नगरनौसा थाना अंतर्गत शाहपुर (महानंदपुर के निकट) में संपत्ति हथियाने के लिए दिल दहला देने वाली वारदात हुई। शाहपुर निवासी चितरंजन सिंह ने चचेरी बहन विभा देवी की गला दबा न सिर्फ हत्या कर कर दी, बल्कि घर में ही शव पर केरोसिन डाल आग के हवाले कर दिया। आरोप है कि इस हत्याकांड एवं शव को जलाकर साक्ष्य मिटाने की कोशिश में चितरंजन के पिता बृजमोहन सिंह, चितरंजन की पत्नी पूनम कुमारी एवं दोनों पुत्रों, प्रियेश तथा पीयूष कुमार ने मदद की।
पटना में रह रहे बेटे ने दी पुलिस को जानकारी
बताया जा रहा है कि वारदात के वक्त विभा के चाचा गजेंद्र सिंह भी घर में थे, लेकिन बदमाश भतीजे के डर से कुछ बोल नहीं पा रहे हैं। रात करीब डेढ़ बजे इस घटना की सूचना पड़ोस के एक युवक ने विभा के पुत्र चर्चित कवि विकास राज को दे दी। पटना में रहे विकास ने तुरंत नगरनौसा थाना पुलिस को घटना की जानकारी दी।
पुलिस को कमरे से मिला अधजला शव
चितरंजन सिंह ने अपने चाचा स्वर्गीय रामदेव सिंह के घर की पहली मंजिल के एक कमरे में शव को ले जाकर फूंक डाला था। इधर थाना पुलिस की टीम मौके पर पहुंच गई। पुलिस टीम के पहुंचने की भनक पाकर बदमाश भाग निकले। दारोगा राजू रंजन कुमार घटनास्थल से अधजला शव, शव की कमर में बंधा बिजली का अधजला तार एवं प्लास्टिक की अधजली रस्सी बरामद किया।
पड़ोसियों को मदद के लिए किया था फोन
विभा के मोबाइल फोन के डायल कॉल लॉग में कुछ पड़ोसियों के नंबर डायल मिले हैं। लेकिन किसी पर बात नहीं हुई है। शायद वह जानलेवा हमला के समय मदद मांगने के लिए पड़ोसी को फोन करना चाह रही होगी। मौसम खराब रहने या मोबाईल का पावर ऑफ रहने से सम्पर्क नहीं हो रहा होगा।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह की मात्र दो पुत्रियों में विभा बड़ी थी। चार भाइयों में सुरेंद्र प्रसाद मांझील हैं। बड़े भाई हरगोबिंद प्रसाद उर्फ उमेश सिंह की मौत हो चुकी है। तीसरे नंबर पर रहे सेवानिवृत्त शिक्षक गजेंद्र सिंह के भी सिर्फ तीन पुत्रियां हैं। इसलिए छोटे भाई बृजमोहन सिंह से वे भी डरे रहते हैं। सम्मिलित संपत्ति 32 बीघे है। इसमें सेवानिवृत स्वास्थ्यकर्मी सुरेंद्र सिंह के हिस्से आठ बीघे जमीन मिलना है।
बृजमोहन ने ऐलान कर दिया था कि बेटियों को हिस्सा नहीं देंगे। इस कारण से वर्ष 2003 में सुरेंद्र सिंह ने टाइटल शूट वाद दाखिल किया था जिस पर 18 साल बाद भी फैसला नहीं आ सका है। इस केस में छोटे भाई को छोड़ तीनों एक मत थे। लेकिन बड़े भाई की मौत के बाद उनके दोनों पुत्रों ने घर की संपत्ति पर ध्यान देना कम कर दिया। दोनों बाहर नौकरी करते हैं। सुरेंद्र प्रसाद ने बड़ी बेटी विभा की शादी सरमेरा थाना क्षेत्र के इसुआ गांव निवासी विनोद सिंह से की थी। सुरेंद्र के दो नाती हैं। इनमें बड़ा नाती विकास राज उदीयमान चर्चित कवि है।
आठ साल पहले भी हुआ था जानलेवा हमला
मायके में चचेरे भतीजे की पत्नी के गवना का न्योता पूरा करने मात्र तीन दिन पहले विभा आई थी। वह छोटे चाचा के भय से पिता एवं पुत्रों के साथ पटना में रहती थी। साल 2013 में भी विभा देवी व इनके पिता सुरेंद्र प्रसाद पर जानलेवा हमला हुआ था। जिसका मुकदमा चल रहा है।
मां की हत्या से आहत कवि पुत्र ने इस कविता के जरिए दी श्रद्धांजलि
ये जो दुनिया है इक छलावा है,
कौन मेरा तेरा अलावा है,
चूम लूं माँ के पैर की मिट्टी,
माँ ही काशी है माँ ही काबा है...
~ विकास राज