Bihar COVID-19 Vaccine News: कोरोना के बढ़ते कहर के बीच टीके पर टिकी टूटते हौसलों की उम्मीद

राजधानी पटना का हाल सबसे खराब है। एक तो सबसे ज्यादा मरीज भी यहीं हैं और बेहतर इलाज के लिए पूरे प्रदेश की आस भी यही है। जाहिर है कि बेड की सबसे ज्यादा कमी यहीं होगी और आक्सीजन की बढ़ी मांग भी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Sat, 01 May 2021 12:42 PM (IST) Updated:Sat, 01 May 2021 12:53 PM (IST)
Bihar COVID-19 Vaccine News: कोरोना के बढ़ते कहर के बीच टीके पर टिकी टूटते हौसलों की उम्मीद
टीके पर टिकी टूटते हौसलों की उम्मीद

पटना, आलोक मिश्रा। कोरोना के बढ़ते कहर के बीच बड़ी आबादी को जगी आस उम्मीद जगाने वाली है। दरअसल 18 वर्ष से 44 वर्ष की आबादी को टीके लगाने के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया है। बिहार में सभी को मुफ्त में लगने हैं। 13 करोड़ की आबादी वाले इस प्रदेश में लगभग साढ़े पांच करोड़ लोग इस जद में आ जाएंगे। 45 साल से ऊपर के करीब 68 लाख लोग पहले ही टीका लगवा चुके हैं। यह जानकारी आस जगाने वाली है, क्योंकि अब यह सबको मालूम है कि सावधानी व टीके के सहारे ही इस कोरोना से जंग जीती जा सकती है।

लॉकडाउन के शोर में सरकार ने लॉकडाउन तो नहीं लगाया, लेकिन शाम चार बजे तक ही दुकानों को खोलने की इजाजत दी है। शाम छह बजे से सुबह छह बजे के बीच कफ्र्यू भी लगा दिया है। पूरे प्रदेश में धारा 144 लागू कर दी गई है। अंतिम संस्कार के लिए केवल 20 लोग ही जा सकेंगे और इसका सारा खर्च सरकार उठाएगी। शादी-विवाह आदि के लिए 50 लोगों को अनुमति दी गई है, लेकिन डीजे पर रोक लगा दी है। मंगलवार व बुधवार, दो दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जिलास्तर तक फीडबैक लेकर इसे लागू किया। इसके अलावा सरकार ने 18 से 44 वर्ष की उम्र वालों के लिए टीकाकरण की कवायद शुरू कर दी है। कोवैक्सीन व कोविशील्ड लगाने के लिए कंपनियों से संपर्क साधा गया है और एक महीने के लिए एक करोड़ टीके की मांग की है। लेकिन कंपनी ने इतने टीके एक साथ देने में असमर्थता जताते हुए इसकी तैयारी के बाबत पूछ लिया। जिसका जवाब फिलहाल सरकार के पास नहीं है। टीके के लिए रजिस्ट्रेशन तो शुरू हो गया है, लेकिन अब एक मई से टीकाकरण किसी भी हाल में शुरू नहीं हो सकेगा।

इस समय अस्पतालों के हाल न जानने की इच्छा होती है, लेकिन मुंह मोड़ने की स्थिति में भी कोई नहीं है, क्योंकि घर के भीतर हालत खराब होने पर अस्पताल ही सहारा है। जहां बेड के लिए मारामारी है और खुद आक्सीजन की व्यवस्था के लिए जद्दोजहद। अस्पतालों से ज्यादा भीड़ अस्पताल के बाहर है भीतर घुसने के लिए। हर अस्पताल में आक्सीजन के लिए रोना। आक्सीजन खत्म होने पर जबरन डिस्चार्ज भी खूब किए जा रहे हैं। अपने स्वजन को दम तोड़ते देख डॉक्टरों व कर्मचारियों से मारपीट की घटनाएं भी बढ़ती जा रही हैं। रेमडेसिविर इंजेक्शन तो मानो नियामत हो गया है। अभी सोमवार को बिहार सरकार ने विशेष विमान भेजकर 14 हजार इंजेक्शन अहमदाबाद से मंगवाए। ये इंजेक्शन चूंकि खुले बाजार में मिलते नहीं। मरीजों के निवेदन पर अस्पतालों को दिए जाते हैं। इसलिए कमी का फायद भी उठाने वालों ने खूब उठाया। चालीस-चालीस, पचास-पचास हजार में ब्लैक तो हो ही रहे हैं, साथ ही नकली भी खूब खपाए जा रहे हैं।

राजधानी पटना का हाल सबसे खराब है। एक तो सबसे ज्यादा मरीज भी यहीं हैं और बेहतर इलाज के लिए पूरे प्रदेश की आस भी यही है। जाहिर है कि बेड की सबसे ज्यादा कमी यहीं होगी और आक्सीजन की बढ़ी मांग भी। पटना में 90 प्राइवेट अस्पतालों कोरोना के इलाज की अनुमति दी गई है। जहां हर आदमी के बूते का नहीं है इलाज करवाना, क्योंकि एक-एक मरीज दस-दस लाख तक का इलाज करवा रहा है। जिन अस्पतालों को कोविड मरीजों के इलाज की अनुमति नहीं है, वे भी रोटी सेकने में पीछे नहीं हैं। जब तक जुगाड़ की आक्सीजन मिलती रही, मरीज को लपेटे रहे और जब खत्म हो गई तो जबरिया डिस्चार्ज कर दिया। जुगाड़ी आक्सीजन इसलिए, क्योंकि आक्सीजन की सप्लाई प्रशासन ने हाथ में ले ली है और उससे अब सरकारी अस्पतालों व अनुमित प्राप्त निजी अस्पतालों को ही आक्सीजन प्राप्त है।

महामारी ने अब मानवता को डसना शुरू कर दिया है। संवेदनाएं दम तोड़ती दिखाई दे रही हैं। इन सबके बीच टीके की आस ही सहारा है। जोकि कारगर तभी है जब लगाने की रफ्तार तेज हो, क्योंकि अभी तक 45 साल से ज्यादा उम्र वाले 2.37 करोड़ लोगों में से केवल लगभग 69 लाख को ही में टीके लग पाए। अब 18 से 44 की उम्र के 5.47 करोड़ और 45 के ऊपर के बचे लगभग 1.68 करोड़ लोगों को लगभग 14 करोड़ टीके लगने हैं। अभी तक की रफ्तार को देखते हुए खुद ही समझा जा सकता है कि रफ्तार नहीं बढ़ी तो इन्हें लगने में कितने दिन लगेंगे?

[स्थानीय संपादक, बिहार]

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