Covid Help: पटना के कोरोना मरीजों को यहां मिल रही तुरंत मदद, संकट में 'रोशनी' बनी हैं ये छात्राएं

Covid Help Group in Patna कोरोना की दूसरी लहर में दवा इलाज और सांस के लिए पूरा देश लड़ रहा है तो बिहार में मरीजों की इस लड़ाई में बेटियां उम्मीद बन रही हैं। पटना वोमेंस कॉलेज की कुछ छात्राओं ने टेलीग्राम पर पीडब्ल्यूसी कोविड रिलीफ ग्रुप बनाया है

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Mon, 03 May 2021 09:56 AM (IST) Updated:Mon, 03 May 2021 10:05 AM (IST)
Covid Help: पटना के कोरोना मरीजों को यहां मिल रही तुरंत मदद, संकट में 'रोशनी' बनी हैं ये छात्राएं
पटना वीमेंस कॉलेज की छात्राएं टेलिग्राम के जरिये कर रहीं मदद। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, कंचन किशोर। Bihar Coronavirus Update News: कोरोना की दूसरी लहर में दवा, इलाज और सांस के लिए पूरा देश लड़ रहा है, तो बिहार में मरीजों की इस लड़ाई में पटना की बेटियां उम्मीद बन रही हैं। पटना वोमेंस कॉलेज की कुछ छात्राओं ने टेलीग्राम पर पीडब्ल्यूसी कोविड रिलीफ ग्रुप बनाया है और इसके माध्यम से अबतक कोरोना से लड़ रहे सैकड़ों मरीजों को मदद पहुंचाई है। टेलीग्राम ग्रुप में इलाज के लिए जरूरी दवा सप्लायर, ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ता, प्लाज्मा डोनर, एंबुलेंस संचालक आदि जुड़े हुए हैं और किसी को मदद की जरूरत होती है तो ये लोग संबंधित आपूर्तिकर्ता तक उसका मैसेज फॉरवर्ड करते हुए  मोबाइल पर ही समन्वय स्थापित करती हैं और उन्हें मदद पहुंचाती हैं।

अब तक जुड़ चुके हैं डेढ़ हजार लोग

ग्रुप से अभी तक लगभग डेढ़ हजार सब्सक्राइबर जुड़ चुके हैं। इनमें कोरोना वॉलंटियर और आपूर्तिकर्ताओं समेत वे लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने ग्रुप से मदद के लिए संपर्क किया है। इलाज के लिए जरूरी संसाधनों के अलावे कोरोना से लड़ रहे किन्हीं को भोजन और अन्य सहायता की भी जरूरत होती है तो ग्रुप से उन्हें मदद मिती है। एडमिन आबंतिका बताती हैं  कि ग्रुप में  सही में मददगार लोग ही शामिल हों, इसके लिए उन लोगों ने एक मेन ग्रुप और एक रिसोर्स ग्रुप बनाया है।

हर जिम्‍मेदार नागरिक बन सकता मेंबर

रिसोर्स ग्रुप से कोरोना से लड़ाई में योगदान की इच्छा रखने वाला कोई भी जुड़ सकता है। वे लोग इसमें आए मैसेज का सत्यापन करती हैं और मदद को इच्छुक सही आपूर्तिकर्तओं और वॉलंटियरों को ही मेन ग्रुप शामिल करती हैं। उनके ग्रुप में सरकारी नौकरी करने वाले पुश्पेष रंजन और सामाजिक कार्यकर्ता रोहण आनंद जैसे लोग भी शामिल थे। ग्रुप में दूसरे जिलों से भी लोग जुड़े हैं जो अपना नंबर देते हुए किसी को जरूरत हो तब मदद के लिए संपर्क करने को कहते हैं।

ऐसे मिली प्रेरणा

ग्रुप बनाने वाली पटना वोमेंस कालेज की स्नातक की अंतिम वर्ष की छात्राएं सौम्या श्री, आवंतिका भारद्वाज और रिया प्रकाश ने बताया कि जब केस बढ़ने लगे तब लोगों में घबराहट बढ़ने लगी। मीडिया में जो आ रहा था, उससे उन्हें यह महसूस हुआ कि बहुत सारे लोग जानकारी के अभाव में परेशान हो रहे हैं। मोबाइल पर ही उन्होंने अपने टीचर और दोस्तों से संपर्क स्थापित किया और एक ऐसा चैनल बनाने का निर्णय लिया, जिस पर जरूरतमंदों को इलाज से संबंधित सभी जानकारी और मदद को इच्छुक लोगों के नंबर उपलब्ध हों। संसाधन तैयार करने में कॉलेज से उन्हें काफी मदद मिली और कारवां बढ़ता गया। 

ऐसे जुड़ सकते हैं ग्रुप से

इनके टेलीग्राम पेज के लिंक  https://t.me/pwccovidrelief पर क्लिक कर पीडब्ल्यूसी कोविड रिलीफ ग्रुप से कोई भी जुड़ सकता है। यहां अब तक बहुत सारे लोग मदद पा चुके हैं। मदद करने वाले भी यहां जुड़कर अपना योगदान दे रहे हैं।

कोरोना से लड़ रहे मरीजों की उम्मीद बनीं पटना की बेटियां

1. एक प्रतिष्ठित संस्थान से एमबीए कर रहे हर्षरंजन के पिता सगुना मोड़ स्थित एक अस्पताल में भर्ती थे और उन्हें ऑक्सीजन की सख्त आवश्यकता थी, अस्पताल भी हाथ खड़े कर चुका था, तब उन्हें एक दोस्त ने पीडब्ल्यूसी कोविड रिलीफ ग्रुप के बारे में बताया। हर्ष ने ग्रुप से मदद के लिए संपर्क किया, जहां से उन्हें एक नंबर मिला और अस्पताल का खाली सिलेंडर लाने पर वहां उसकी रिफिलिंग हो गई।

छात्राओं की कोशिश से मिला अस्‍पताल में बेड

2. पटना वोमेंस कॉलेज की छात्रा अंजली की मां कोरोना संक्रमित हो गईं और उनकी हालत गंभीर होने लगी, दर-दर भटकने के बाद भी अस्पताल में बेड नहीं मिल रहा था, कोविड रिलीफ के लिए बने समूह पर उन्होंने बेटियों से संपर्क किया, जहां से अस्पतालों में खाली बेड की सूची और उनके नंबर उपलब्ध कराए गए, साथ ही समन्वय स्थापित करते हुए मरीज को अस्पताल में भर्ती कराया गया। अब उनकी हालत ठीक है।

प्‍लाज्‍मा थेरेपी के लिए तुरंत मिली मदद

3. पटना की प्रिया को अपने करीबी रिश्तेदार की प्लाज्मा थेरेपी के लिए ओ-नेगेटिव कोरोना विजेता डोनर की आवश्यकता थी। थक-हार कर उन्होंने पीडब्ल्यूसी ग्रुप में इसकी जानकारी दी, इसके बाद कई वॉलंटियर के नंबर साझा किए गए और उनमें से उस रक्त समूह के एक डोनर प्लाज्मा दान करने के लिए तैयार हो गए, जिससे मरीज की जान बच गई।

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