Bihar Coronavirus News: बिहार में बच्‍चों को भी शिकार बना रहा कोरोनावायरस, इस बार 15 साल से कम उम्र के मरीज 10 फीसद

Bihar Coronavirus Update News बिहार में कोरोना की दूसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक 10 गुना बढ़ा संक्रमण पिछले साल कोरोना संक्रमण में एक फीसद थी बच्चों की भागीदारी एम्स बढ़ते संक्रमण दर को देखते हुए जल्द जारी करेगा हेल्पलाइन नंबर

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 11:02 AM (IST) Updated:Wed, 14 Apr 2021 11:02 AM (IST)
Bihar Coronavirus News: बिहार में बच्‍चों को भी शिकार बना रहा कोरोनावायरस, इस बार 15 साल से कम उम्र के मरीज 10 फीसद
इस बार बच्‍चों के लिए खतरनाक हुआ काेरोना। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, जागरण संवाददाता। Bihar coronavirus update News: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में बच्चे काफी संख्या में चपेट में आ रहे हैं। पिछले साल कुल संक्रमित मामलों में 15 साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या एक फीसद से भी कम थी। वहीं, इस बार यह आंकड़ा 10 के आसपास है। पिछले एक सप्ताह में 15 साल से कम उम्र के तीन बच्चों की मौत हो चुकी है। पटना में सोमवार को कुल 1197 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव थी। इसमें 24 साल से कम उम्र वालों की संख्या 242 (20 फीसद) है। सबसे अधिक संख्या 25 से 49 आयु वर्ग वालों की है। इनकी भागीदारी लगभग 53 फीसद है। 50 से 74 आयु वर्ग वाले लगभग 25 फीसद हैं। 75 से अधिक आयु वर्ग वाले सबसे कम पॉजिटिव हो रहे हैं। इनकी भागीदारी दो फीसद से थोड़ी अधिक है।

एहतियात नहीं बरतने का खामियाजा

एम्स, पीएमसीएच, एनएसमसीएच के कोरोना नोडल पदाधिकारियों के अनुसार दूसरी लहर में बच्चों का संक्रमण दर बढऩे की सबसे बड़ी वजह एहतियात नहीं बरतना है। बुजुर्ग का संक्रमण दर एहतियात बरतने के कारण नहीं बढ़ा है। सिविल सर्जन डॉ. विभा कुमारी सिंह ने बताया कि  इस बच्चे बाहर खेलने-कूदने व अन्य कार्य के लिए जा रहे हैं। यह  संक्रमण दर बढऩे का प्रमुख कारण है। पहली लहर में बच्चों को अभिभावक ख्याल रख रहे थे। इस बार इसमें नरमी देखी जा रही है।

बच्चों की तकलीफ को हल्के में नहीं लें

एम्स, पटना के शिशु विभाग के अध्यक्ष डॉ. लोकेश तिवारी ने बताया कि एम्स में फिलहाल कोरोना संक्रमित 124 बच्चे भर्ती हैं। किसी तरह की तकलीफ दिखने पर तत्काल चिकित्सक से सलाह लें। घर से बाहर अति आवश्यक होने पर ही भेजें। शुरुआती लक्षण में फीवर, कफ, हाथ-पैर ठंडा होना, सुस्ती, पेशाब कम आना प्रमुख है। सांस तेज चलने, बुखार होने पर इंतजार नहीं करना चाहिए। स्कीन पर चकत्ता, दाना, खून का थक्का बनना भी लक्षण है। कुछ मामलों में ब्रेन, लंग्स, किडनी में भी थक्का जमने की शिकायत मिली है।

एक बच्‍चे के ब्रेन में बन गया था थक्‍का

एम्स में भी एक बच्चे के ब्रेन में थक्का बन गया था। काफी मेहनत के बाद उसे बचाया जा सका है। पीडियाट्रीक मल्टी सिस्टम इंफ्लेनेट्री सिंड्रोम (पीएमआइएस) में कई ऑर्गन फेल हो जाते हैं। इससे  हार्ट, फेफड़ा, किडनी, ब्रेन और हीमेटोलॉजिकल सिस्टम काम करना बंद कर देता है। एम्स में ऐसे दो केस पहुंचे हैं। दोनों को सुरक्षित बचा लिया गया है। इन क्रिटिकल मामलों में मौत की दर 70 फीसद है।

ऐसे करें बचाव :

डॉ. लोकेश के अनुसार परिवार में किसी के पॉजिटिव होने के बाद उन्हें आइसोलेट करें। परिवार के सभी अन्य सदस्य कोरोना की जांच करा लें। पॉजिटिव सदस्य के कमरे व आसपास में बच्चों को नहीं जाने दें। चिकित्सक से अनिवार्य रूप से सलाह लें। बहुत जरूरी हो तभी बच्चों को घर से बाहर जाने की अनुमति दें। मास्क, सैनिटाइजर आदि का उपयोग मानक के अनुरूप हो। बच्चों को लक्षण बताने के लिए प्रोत्साहित करें।

बच्चों के लिए जल्द खुलेंगे कोविड हेल्पलाइन

बच्चों में संक्रमण दर बढऩे के कारण हेल्पलाइन खोलने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। जल्द ही अभिभावक व बच्चे इसका लाभ ले पाएंगे।  गूगल फॉर्म के माध्यम से प्रश्न मांगे जाएंगे।

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