Bihar Coronavirus: बिहार में तीसरी लहर को देखते हुए रेड अलर्ट जारी, पटना में बढ़ने लगे कोरोना के मरीज
Bihar Coronavirus Third Wave News छठ के 15 दिन बाद तक यदि प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की संख्या नहीं बढ़ी तो तीसरी लहर का खतरा काफी हद तक कम हो जाएगा। स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों के सिविल सर्जनों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है।
पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Coronavirus Third Wave Update News: बिहार के स्वास्थ्य विभाग की ओर से मंगलवार की शाम जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि पटना से चार सहित राज्य से कोरोना के आठ नए मरीज मिले हैं। पटना के अलावा अररिया, किशनगंज, रोहतास और सारण से एक-एक नए संक्रमित मिले हैं। दूसरी ओर राज्य में मंगलवार को 1.48 लाख लोगों का टीकाकरण किया गया। पटना में पिछले कई दिन ऐसे जब, एक भी नया मरीज नहीं मिला। दीपावली और छठ के 15 दिन बाद तक यदि प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की संख्या नहीं बढ़ी तो तीसरी लहर का खतरा काफी हद तक कम हो जाएगा। विशेषज्ञों की इस सलाह को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों के सिविल सर्जनों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है।
करीब पौने दो लाख लोगों का हुआ कोविड टेस्ट
स्वास्थ्य विभाग ने मंगलवार को जारी रिपोर्ट में बताया कि प्रति दिन की तरह सोमवार से मंगलवार के बीच भी 1.81 लाख कोविड टेस्ट किए गए जिसमें आठ रिपोर्ट पाजिटिव आई हैं। बीते 24 घंटे में पूर्व से कोरोना संक्रमित रहे चार लोग स्वस्थ भी हुए हैं। राज्य में आठ नए मरीज मिलने के बाद कोरोना के सक्रिय मामलों की संख्या बढ़कर 39 हो गई है।
साढ़े छह करोड़ लोगों को लग चुका टीका
कोविन पोर्टल के अनुसार मंगलवार को रात साढ़े 10 बजे तक बिहार में 148619 लोगों का टीकाकरण किया गया। आज टीकाकरण के लिए 8098 केंद्र सक्रिय किए गए थे। पटना में आज 15188 लोगों को टीके दिए गए। बता दें कि राज्य में अब तक 4.87 करोड़ को वैक्सीन की पहली और 1.48 करोड़ को दोनों डोज दी जा चुकी है। वैक्सीनेशन का कुल आंकड़ा 6.51 करोड़ के आंकड़े को पार कर चुका है।
नए वैरिएंट से बचाव को हर दिन 14 हजार की जांच
पर्व के दौरान खतरे को देखते हुए छठ तक हर दिन प्रदेश में 2.25 लाख लोगों की कोरोना जांच और अधिक से अधिक लोगों का टीकाकरण करने के निर्देश दिए गए हैं। कोरोना संक्रमण के लिए सबसे अधिक संवेदनशील रहे पटना जिले में हर दिन 14 हजार आशंकितों की जांच हर दिन करने का लक्ष्य दिया गया है।
संक्रमित मरीजों को आइसोलेट करने पर जोर
पाजिटिव रिपोर्ट आने पर मरीजों के उपचार, आइसोलेशन की व्यवस्था करने को भी कहा गया है। मेडिकल कालेजों को भी 24 घंटे इलाज की तैयारी रखने का निर्देश दिया गया है। वहीं, मंगलवार को सिविल सर्जन कार्यालय से चिकित्सा प्रभारियों को निर्देश जारी होने के बाद से स्वास्थ्यकर्मियों का आक्रोश मुखर होने लगा है।
हर दिन दस हजार जांच लक्ष्य में छूटा था पसीना
स्वास्थ्यकर्मियों के अनुसार अप्रैल-मई में जब कोरोना चरम पर था और लोग डर के कारण खुद केंद्र पर आ रहे थे, उस समय भी हर दिन दस हजार जांच का लक्ष्य पूरा करने में पसीने छूट गए थे। कोरोना संक्रमण नियंत्रित होने के बाद आजकल सर्दी-खांसी, बुखार समेत कई लक्षण होने की बात कहकर जांच कराने को कहने पर लोग नमूना नहीं दे रहे हैं। ऐसे में 14 हजार लोगों की हर दिन का लक्ष्य प्राप्त करना मुश्किल है। उन्होंने इस बाबत सिविल सर्जन को सूचित करने की बात भी कही है।
संवेदनशील जगहों पर सघन जांच की तैयारी
सिविल सर्जन डा. विभा कुमारी सिंह ने माना कि आजकल लोग कोरोना वैक्सीन लेने के लिए तो केंद्र पहुंच रहे हैं, लेकिन जांच कराने से बच रहे हैं। उन्होंने कहा कि दीपावली व छठ पर संक्रमण बढऩे की आशंका और देश में कोरोना वायरस के नए वैरियंट एवाई 4.2 के मामले मिलने के कारण भीड़भाड़ वाली जगहों पर सघन जांच की तैयारी की जा रही है। स्वास्थ्यकर्मियों की समस्या को देखते हुए जिलाधिकारी व एसएसपी से आग्रह किया जाएगा कि वे रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, एयरपोर्ट, बाजार जैसी संवेदनशील जगहों पर अधिक से अधिक लोगों की जांच को सुगम बनाने के लिए पुलिस बल की मांग की जाएगी। पुलिस के सहयोग से हर ऐसे व्यक्ति की जांच सुनिश्चित कराई जाएगी जो कोरोना बचाव के अनुकूल व्यवहार नहीं कर रहा होगा।
जहां ज्यादा जांच, वहीं मिल रहा एवाई 4.2 वैरियंट
ब्रिटेन, रूस समेत 33 देशों में फैल चुके कोरोना के सबसे नए वैरियंट एवाई 4.2 के मामले देश में भी मिलने लगे हैं। महाराष्ट्र के बाद मध्य प्रदेश में एवाई 4.2 स्ट्रेन की पुष्टि हो चुकी है। एम्स पटना के कोरोना नोडल पदाधिकारी डा. संजीव कुमार के अनुसार यह नया वायरस है लेकिन इससे बहुत अधिक मृत्यु नहीं हो रही है। वैक्सीन की दोनों डोज लेने वालों में इसका क्या प्रभाव है, अभी इस पर कोई रिपोर्ट नहीं आई है। देश के उन्हीं राज्यों में अभी तक इस स्ट्रेन के मरीज मिले हैं, जहां जांच अधिक हो रही है। जिन राज्यों में अपेक्षाकृत जांच कम हो रही है, वहां इनकी पहचान नहीं हो पा रही है।