बिहारः अरवल में एक गांव ऐसा जहां अबतक नहीं हुई कोरोना की इंट्री, पुरानी परंपरा बदलने का मिला फायदा

कोरोना वायरस की दूसरी लहर शहर से लेकर गांव तक के लोगों को अपनी चपेट में ले रही है। वहीं अरवल के सोहसा गांव के ग्रामीणों की सजगता ने कोरोना को अब तक गांव में प्रवेश करने से पूरी तरह रोके रखा है।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 04:17 PM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 04:17 PM (IST)
बिहारः अरवल में एक गांव ऐसा जहां अबतक नहीं हुई कोरोना की इंट्री, पुरानी परंपरा बदलने का मिला फायदा
बिहार के अरवल स्थित सोहसा गांव के लोग।

दिलीप कुमार किंजर, अरवल। कोरोना वायरस की दूसरी लहर शहर से लेकर गांव तक के लोगों को अपनी चपेट में ले रही है। वहीं अरवल के सोहसा गांव के ग्रामीणों की सजगता ने कोरोना को अब तक गांव में प्रवेश करने से पूरी तरह रोके रखा है। गांव के लोग संक्रमण की दूसरी लहर आने से पहले ही काफी सजग हो गए थे। जब 45 वर्ष से ऊपर की आयु वर्ग के लोगों की बारी आई तो भी इस गांव के ग्रामीण नजीर पेश करते हुए टीकाकरण को लेकर वैक्सीनेशन सेंटर पहुंचने लगे। आलम यह है की वृद्धजन तथा 45 वर्ष के आयु वर्ग के शत फीसद लोग कोरोना वायरस के दोनों डोज का टीका लगा चुके हैं। वर्तमान समय में युवा वर्ग भी वैक्सीनेशन को लेकर काफी सजग दिख रहा है।

गांव की बदली परंपरा, दो गज की दूरी व मास्क है जरूरी

आमतौर पर गांव में गर्मी के मौसम में बाग बगीचों में लोगों का उठना बैठना रहता है। इस दौरान लोग खेती किसानी की चर्चाएं आपस में करते हैं। संक्रमण काल में गांव की यह पुरानी परंपरा पूरी तरह बदल गई है। अब पहले की तरह चौपाल में लोगों का हुजूम नहीं रहता। कुछ लोग यदि एक साथ बैठते भी हैं तो दो गज की दूरी के साथ-साथ चेहरे पर मास्क लगाना नहीं भूल रहे हैं। इस दौरान गांव में चर्चाएं तो परंपरागत हैं, लेकिन व्यवस्था संक्रमण से बचाव को लेकर पूरी तरह सुरक्षित है।

हर घर में हैंडवाश व सैनिटाइज की सुविधा उपलब्ध 

60 घर वाले इस गांव की आबादी तकरीबन 650 है। यहां के लोगों की सजगता बड़ी आबादी को सकारात्मक दिशा दे रही है। ग्रामीण गुड्डू शर्मा, धनंजय शर्मा, धर्मेंद्र सिंह, सोनू कुमार समेत अन्य लोग बताते हैं कि हम लोग अपने घरों में हैंडवाश तथा सैनिटाइज की सुविधा उपलब्ध कर रखे हैं। नियमत रूप से हाथों की सफाई के साथ-साथ जब कभी बाहर से आना जाना रहता है तो हाथों को सैनिटाइज करना नहीं भूलते हैं। कोई रिश्तेदार का आगमन होता है तो उनसे भी आवश्यक दूरी बनाकर ही खातिरदारी करते हैं। 

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