कोरोना वायरस ही नहीं, अब इनसे भी रहें सावधान; जानवरों में संक्रमण मिलने के बाद बिहार में भी बढ़ी चिंता
विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं अन्य रिपोर्टों से स्पष्ट हुआ है कि मानव के साथ-साथ कई जानवरों में कोरोना का संक्रमण मिला है। अभी हाल में हैदराबाद में शेरों में कोरोना का संक्रमण मिला है। इसके पहले विदेशों में शेरों एवं बिल्लियों में कोरोना का संक्रमण पाया गया है।
पटना, नीरज कुमार। विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं अन्य रिपोर्टों से स्पष्ट हुआ है कि मानव के साथ-साथ कई जानवरों में कोरोना का संक्रमण मिला है। अभी हाल में हैदराबाद में शेरों में कोरोना का संक्रमण मिला है। इसके पहले विदेशों में शेरों एवं बिल्लियों में कोरोना का संक्रमण पाया गया है। शेरों एवं कुत्तों का केनाइन ग्रुप एक ही होता है। शेर कोरोना के चपेट में आ सकते हैं तो कुत्ते भी। इसकी जांच अभी जारी है। ऐसे में सड़कों पर घूम रहे अवारा कुत्तों से लोगों को सावधान रहने की जरूरत है। मानव एवं पशु विज्ञानी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि जिस तरह कोरोना का तेजी से विस्तार हो रहा है, उसमें पशुओं की भी भूमिका है।
जानवरों से मानव तक पहुंचने वाली बीमारी है कोरोना
पटना मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के वरिष्ठ चिकित्सक अशोक कुमार कहना है कि कई रिपोर्टों से स्पष्ट हो गया है कि कोरोना एक जुनोटिक यानी जानवरों से मानव तक पहुंचने वाली बीमारी है। इस बीमारी के तेजी से हो रहे विस्तार एवं आक्रमकता को देखते हुए यह कहा जा सकता कि पशुओं के माध्यम से भी फैल रहा है। डॉ. अशोक कहना है कि हालांकि इस पर अभी विशेष अध्ययन करने की जरूरत है।
शोध पूरा होने तक सतर्क रहने में ही फायदा
आइजीआइएमएस के मेडिसीन विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सुधीर कुमार का कहना है कि वैज्ञानिकों की धारणा है कि कोरोना का संक्रमण चमगादड़ से मानव तक पहुंचा होगा। अभी इस पर कई स्तर पर रिसर्च चल रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी इस पर काम कर रहा है। वहीं, पीएमसीएच के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश कुमार शर्मा का कहना है कई बीमारियों मानव से पशुओं में या पशुओं से मानव में आती-जाती रहती है। कोरोना भी उसमें से एक हो सकती है। हैदराबाद में शेरों में कोरोना का संक्रमण मिलना एक खतरे संकेत है।
कचरे से प्रभावित हो सकते हैं कुत्ते
बिहार वेटेनरी कॉलेज के डीन डॉ. जेके प्रसाद का कहना है कि हैदराबाद के शेरों में जो वायरस मिला है वह मानव से मिलता-जुलता है। यह कहीं न कहीं उसके देखरेख करने वालों से ही पहुंचा होगा। हालांकि, इस तरह की दूसरी रिपोर्ट अभी नहीं मिली है। खासकर संक्रमित मानव के संपर्क में आने से जानवर संक्रमित हो सकते हैं। मानव के उपयोग के बाद सड़कों पर फेंके गए मास्क एवं अन्य मेडिकल उपकरण से भी कुत्तों को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे में लोगों सड़कों पर भटकने वाले कुत्तों से बेहद सावधान रहने की जरूरत है। इस संबंध में बिहार वेटेनरी कॉलेज के विज्ञानी अध्ययन में जुट गए हैं।
जू के जानवरों में फिलहाल कोरोना का संक्रमण नहीं
तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए पटना जू प्रशासन भी जानवरों की विशेष मॉनिटरिंग में जुटा है। फिलहाल संजय गांधी जैविक उद्यान के किसी भी जानवर में कोरोना संक्रमण का कोई भी लक्षण नहीं पाया गया है। जानवरों की देखरेख करने वाले जू कीपर भी मास्क और ग्लब्स का प्रयोग कर रहे हैं। पटना जू में दो प्रजातियों के जानवरों की विशेष मॉनिटरिंग की जा रही है। इसमें बिल्ली प्रजाति के जानवर में शेर, बाघ, लेपर्ड जैसे जानवर शामिल हैं। वहीं, बंदर प्रजाति के जानवर में चिंपैंजी, बंदर, लंगूर, लायन टेल्ड मकाक हैं। इन दो प्रजातियों पर विशेष तौर पर ध्यान दिया जा रहा है।
ऐसे होती है कोरोना की जांच
जू के जानवरों में यदि किसी तरह का कोरोना का संक्रमण पाया जाता है तो आइवीआरआइ और वेटनरी की टीम उसके नाक से स्वाब या उसके शरीर से ब्लड का सैंपल लेकर कोरोना जांच के लिए आइवीआरआइ, बरेली में भेज देते हैं। वहां उसकी जांच की जाती है। भोपाल और कोलकाता में भी जांच के लिए सैंपल भेजा जाता है।
जानिव वन विभाग के अधिकारी की राय
किसी जानवर में संक्रमण का लक्षण मिलने के बाद ही उसकी जांच की जाती है। जानवरों में किसी तरह के लक्षण मिलने पर उसका भोजन सबसे पहले प्रभावित हो जाता है। किसी भी जानवर में अगर लक्षण पाये जाते हैं तो सबसे पहले उन्हें अलग कर दिया जाता है। फिर उसका सैंपल लेकर जाचं के लिए बरेली भेज दिया जाता है।
- दीपक कुमार सिंह, प्रधान सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग