Bihar CoronaVirus: अपने इम्यून पावर पर न करें गुमान, जानें बिहार में क्यों कम मिल रहे संक्रमित
बिहार में संक्रमितों की संख्या में भारी कमी देखी जा रही है। ऐसे में डॉक्टर तक कहने लगे हैं कि प्रदेश में कोरोना के खिलाफ हर्ड इम्यूनिटी यानी शरीर में एंटीबॉडी बन चुकी है। लेकिन सच कुछ और ही है। जानें
पटना, जेएनएन। दीवाली के बाद से ही देश के आधा दर्जन से अधिक राज्यों में कोरोना संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ी है। वहीं, इसके विपरीत प्रदेश में संक्रमितों की संख्या में भारी कमी देखी जा रही है। ऐसे में युवा व अन्य सामान्य लोगों के साथ-साथ कुछ डॉक्टर तक कहने लगे हैं कि प्रदेश में कोरोना के खिलाफ हर्ड इम्यूनिटी यानी शरीर में एंटीबॉडी बन चुकी है। लेकिन, सच इसके बिल्कुल उलट है। इसका कारण जांच संख्या में कमी है।
आरटी-पीसीआर जांच का लक्ष्य नहीं हो रहा पूरा
आलम यह था कि कोरोना जांच के गोल्ड मानक आरटी-पीसीआर जांच का लक्ष्य भी पूरा नहीं हो सका है। ऐसे में लोग रोग प्रतिरोधक क्षमता का गुमान नहीं करें और बचाव के तीनों उपाय मास्क, शारीरिक दूरी और अनजान सतह छूने के बाद साबुन से हाथ धोने के नियम का पालन जरूर करें। स्वास्थ्य विभाग भी इस तरह की जागरूकता भरे संदेश प्रसारित करने में दोबारा जुट गया है।
दस हजार लक्ष्य के विपरीत हुईं जांचें
- 14 नवंबर, 5614
- 15 नवंबर, 6419
- 16 नवंबर, 8089
- 17 नवंबर, 8143
- 18 नवंबर , 7061
- 19 नवंबर 5902
- 20 नवंबर, 4152
- 21 नवंबर, 3956
- 22 नवंबर, 4707
- 23 नवंबर, 7234
लक्ष्य से आधी हुईं जांचें, उसमें भी एंटीजन विधि पर रहा जोर
जिले में कोरोना जांच के आंकड़ों के अनुसार दस हजार का लक्ष्य दीवाली के दिन ही आधा पहुंच गया था। यह क्रम कमोवेश छठ के बाद तक जारी है। आरटी-पीसीआर जांच करने वाले आरएमआरआइ व अन्य संस्थानों में भी लक्ष्य के अनुरूप सैंपल नहीं पहुंचे। अधिकारियों का मानना है कि इसमें स्वास्थ्यकर्मियों से चूक हुई जब लोग जांच कराने कम आ रहे थे तो उन्हें आरटी-पीसीआर विधि का अपना कोटा पहले पूरा करना चाहिए था। बताते चलें कि एंटीजन रैपिड किट से जांच में 36 और आरटी-पीसीआर से 26 फीसद तक गलत रिपोर्ट आने की आशंका रहती है।