पटना हाईकोर्ट ने PM नरेंद्र मोदी और CM नीतीश की सरकार को दिए संख्त निर्देश, कहा-ऐसी मौत मानवाधिकार का उल्लंघन

बिहार में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच पटना हाईकोर्ट ने सोमवार को राज्य एवं केंद्र सरकार को कई सख्त निर्देश दिए और संक्रमण से बचाव के लिए किए गए उपायों की रिपोर्ट मांगी। मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल को होगी।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 04:52 PM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 04:52 PM (IST)
पटना हाईकोर्ट ने PM नरेंद्र मोदी और CM नीतीश की सरकार को दिए संख्त निर्देश, कहा-ऐसी मौत मानवाधिकार का उल्लंघन
पटना हाईकोर्ट ने कोरोना को लेकर बिहार सरकार से निर्देश दिए हैं। प्रतीकात्मक तस्वीर।

राज्य ब्यूरो, पटना: बिहार में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच पटना हाईकोर्ट ने सोमवार को राज्य एवं केंद्र सरकार को कई सख्त निर्देश दिए और संक्रमण से बचाव के लिए किए गए उपायों की रिपोर्ट मांगी। मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल को होगी। न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह एवं न्यायाधीश मोहित कुमार शाह की खंडपीठ ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन, दवा एवं बेड की कमी के चलते अगर किसी कोरोना मरीज की मौत होती है तो इसे मानवाधिकार का उल्लंघन माना जाएगा। 

पूछे कई सवाल

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से बताने को कहा है कि पटना समेत राज्य के तमाम डेडिकेटेड कोविड सेंटरों और कोविड केयर सेंटरों में अभी तक ऑक्सीजन की कमी पूरी हुई कि नहीं? अस्पतालों में बेडों की कमी के चलते मरीजों की दिक्कतों को देखते हुए हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को बिहटा स्थिति ईएसआई अस्पताल को तुरंत शुरू करने का निर्देश दिया है। वहां सेना के पांच डॉक्टर एवं 15 नॄसग स्टाफ पहुंच चुके हैैं। इसी तरह राज्य सरकार को राजेंद्र नगर स्थित नेत्र अस्पताल एवं कंकड़बाग के मेदांता को कोविड सेंटर में तब्दील कर जल्द से जल्द इलाज शुरू करने का निर्देश दिया गया है। 

हालात से कोर्ट को अवगत कराएं

अदालत ने बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग के सचिव को निर्देश दिया कि वह मंगलवार को पटना एम्स के निदेशक के साथ एनएमसीएच का निरीक्षण करें और हालात से कोर्ट को अवगत कराएं। इसके साथ ही सूबे के सभी डेडिकेटेड कोविड अस्पतालों का भी औचक निरीक्षण किया जाए। इसी क्रम में हाईकोर्ट के महानिबंधक को निर्देश दिया गया कि वह अदालत के इस फैसले से मानवाधिकार आयोग को तुरंत अवगत कराएं। 

राज्य में नियमित ड्रग कंट्रोलर क्यों नहीं

खंडपीठ ने हाईकोर्ट के महानिबंधक से यह जानना चाहा है कि हाईकोर्ट के कोरोना पीड़ित एक अफसर की मौत अस्पताल में ऑक्सीजन आपूर्ति की कमी के कारण हुई या किसी और वजह से सुनवाई के दौरान अधिवक्ता राजीव कुमार सिंह ने ड्रग कंट्रोलर के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि कई वर्षों से प्रदेश में कार्यवाहक ड्रग कंट्रोलर से काम चलाया जा रहा है। इस पर हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा कि राज्य में नियमित ड्रग कंट्रोलर क्यों नहीं है? सुनवाई के दौरान अधिवक्ता राजीव कुमार ने हाईकोर्ट को जानकारी दी कि केंद्र सरकार ने पिछले साल 17 मार्च को कोविड प्रोटोकॉल जारी किया था। इसपर अदालत ने राज्य सरकार से पूछा कि उस कोरोना से बचाव के लिए प्रोटोकॉल किस हद तक पालन हुआ? 

अदालत ने पूछा-कोरोना मरीजों के इलाज में रेमेडिसिवर कितनी कारगर

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी पूछा है कि कोरोना के इलाज में रेमेडिसिवर दवा कितनी कारगर और जरूरी है। सुनवाई के दौरान इस दवा की आपूर्ति और कमी के मुद्दे पर लंबी बहस हुई। न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह की खंडपीठ ने एम्स निदेशक के बयान को रिकार्ड करते हुए स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख को निर्देश दिया कि वे इस बारे में पटना एम्स के निदेशक से बातचीत कर अगली सुनवाई में कोर्ट में रिपोर्ट पेश करें कि कोरोना के इलाज में रेमिडिसिवर दवा कितनी कारगर और जरूरी है। अगली सुनवाई बुधवार को होगी।

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