बिहार में बोर्ड, निगम और आयोग के गठन पर सरकार ने साधी चुप्‍पी, कांग्रेस ने बताई है ये वजह

बिहार में नई सरकार का गठन हुए करीब आठ महीने होने जा रहे हैं लेकिन अब तक राज्‍य में बोर्ड निगम और आयोगों के गठन की सुगबुगाहट नहीं है। यह हाल तब है जब कई जगह तो पिछली सरकार के वक्‍त ही सभी पद खाली हो गए थे।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Sat, 10 Jul 2021 12:49 PM (IST) Updated:Sat, 10 Jul 2021 12:49 PM (IST)
बिहार में बोर्ड, निगम और आयोग के गठन पर सरकार ने साधी चुप्‍पी, कांग्रेस ने बताई है ये वजह
बिहार कांग्रेस ने बोला सरकार पर बड़ा हमला। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, जागरण टीम। बिहार में नई सरकार का गठन हुए करीब आठ महीने होने जा रहे हैं, लेकिन अब तक राज्‍य में बोर्ड, निगम और आयोगों के गठन को लेकर कोई सुगबुगाहट दिख नहीं रही है। यह हाल तब है जब कई जगह तो पिछली सरकार के वक्‍त ही सभी पद खाली हो गए थे। बिहार राज्‍य महिला आयोग का मामला भी ऐसा ही है। इसका असर आम लोगों के साथ ही सरकार की योजनाओं और नीतियों को सही तरीके से कार्यान्वित करने में हो रहा है। दूसरी तरफ सत्‍ताधारी दल के नेता इस इंतजार में बैठे हैं कि कब उनकी किस्‍मत जगेगी। इधर, प्रदेश कांग्रेस ने इस मसले को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला है।

कांग्रेस प्रवक्‍ता ने कहा- कार्यकर्ताओं की उपेक्षा है इसकी वजह

सूबे में बोर्ड-निगमों, आयोग और प्रखंड स्तर पर 20 सूची कमेटी गठित नहीं होने पर प्रदेश कांग्रेस ने अपनी नाराजगी जताई है। कांग्रेस ने सरकार से पूछा है कि क्या वजह है कि बोर्ड-निगमों आयोग का गठन नहीं किया जा रहा है। कांग्रेस मीडिया सेल के अध्यक्ष राजेश राठौर ने शुक्रवार को कहा कि नीतीश कुमार पार्टी कार्यकर्ताओं को हमेशा उपेक्षित रखना चाहते हैं। यही वजह है कि उन्होंने अपने 16 वर्षों के कार्यकाल के दौरान बोर्ड-निगम,आयोग तथा प्रखंड स्तर पर 20 सूत्री कमेटी के गठन नहीं किया। 

अफसरशाही चरम पर होने का लगाया आरोप

कांग्रेस प्रवक्‍ता ने कहा कि अगर सरकार ने समय पर इन बोर्ड, निगम और आयोग का गठन किया होता तो लगभग 50 हजार राजनीतिक कार्यकर्ताओं को बीते 16 सालों के दौरान सम्मान प्राप्त होता। उन्होंने कहा कि बोर्ड- निगम, आयोग तथा 20 सूत्री का गठन नहीं होने से प्रदेश में अफसरशाही चरम पर है। इतना ही नहीं इसी वजह से राज्य स्तर-जिला स्तर तथा प्रखंड स्तर पर योजनाओं में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। योजनाओं में पारदर्शिता का अभाव है, जिसका प्रतिकूल असर विकास योजनाओं पर पड़ रहा है।

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