बिहार में किस दल को मिेलेगी सत्‍ता की चाबी, निर्णायक होगा युवाओं और महिलाओं का वोट

बिहार की सियासत में दो खास वर्ग काफी अहमियत रखता है। जिस तरह से युवाओं और महिलाओं ने मतदान में भागीदारी दिखाई है वह बहुत मायने रखता है और इसके प्रभाव से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Wed, 28 Oct 2020 02:07 PM (IST) Updated:Wed, 28 Oct 2020 02:07 PM (IST)
बिहार में किस दल को मिेलेगी सत्‍ता की चाबी, निर्णायक होगा युवाओं और महिलाओं का वोट
वोट करने के बाद बाहर आती युवतियां।

पटना, जागरण संवाददाता। सियासत रोजगार से लेकर विकास तक के मुद्दे पर बिहार में सियासत गर्म हैैै। अब वह गर्मी किस रूप में किसकी रोटी ज्यादा सेंक पाती है, यह तो 10 नवंबर को ही पता चलेगा। लेकिन, जिस तरह से युवाओं और महिलाओं ने मतदान में भागीदारी दिखाई है वह बहुत मायने रखता है और इसके प्रभाव से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है।

विकास और रोजगार ही प्रमुखता से उठा मुद्दा

प्रथम चरण के लिए चुनाव प्रचार खत्म होने तक एनडीए और महागठबंधन समेत अन्य दलों के मुद्दों में भी विकास और रोजगार ही प्रमुखता से था। राजद नेता तेजस्वी यादव लगातार दस लाख नौकरी की बात करते रहे। उन्होंने इस मुद्दे पर युवाओं को साधने की कोशिश की। वहीं, दूसरी ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कौशल विकास से स्वावलंबन और रोजगार की बात करते रहे। उन्होंने महिलाओं पर ज्यादा फोकस किया। जीविका दीदी से लेकर लड़कियों को स्कूल जाने के लिए साइकिल तक की याद दिलाते रहे। राजनीतिक नजरिये ये देखा जाए तो हर किसी ने युवाओं और महिलाओं पर फोकस किया। रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा हों, जाप अध्यक्ष पप्पू यादव हों, सभी ने मुद्दों को युवाओं और महिलाओं पर केंद्रित किया।

मोदी ने की महिलाओं के स्वावलंबन और रोजगार की बात

यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी सभाओं में महिलाओं के स्वावलंबन और रोजगार की बात की। भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में भी इसे शामिल किया। वहीं, रोजगार के सवाल पर सियासी तल्खी भी खूब रही। तेजस्वी ने दस लाख नौकरी को घोषणा पत्र में शामिल किया तो एनडीए की ओर से यह सवाल भी उठाया गया कि यह झूठा वादा है। वेतन के लिए पैसे कहां से आएंगे। इस पर भी दोनों ओर से आंकड़े पेश करने का सिलसिला चलता रहा। यूं कहें कि सियासत में जोड़-घटाव, गुणा-भाग सब चला। लेकिन वह तबका बहुत अहम है, जिसको केंद्रित रखते हुए रणनीतियां बनाई गई थीं। पहले चरण के मतदान में युवाओं और महिलाओं ने जो उत्साह दिखाया है, वह इसे पुख्ता कर रहा है कि सियासी दलों के मुद्दों में यह तबका इतनी प्रमुखता से क्यों था। उन्होंने सबकी किस्मत ईवीएम में लॉक कर दी है। परिणाम भविष्य के गर्भ में है।

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