बिहार के CM नीतीश कुमार PM नरेंद्र मोदी से मिलकर करें आग्रह, जानें तेजस्वी को क्यों बोलना पड़ा ऐसा

तेजस्वी यादव ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि केंद्र सरकार जातीय जनगणना पर पुनर्विचार करे। जातीय जनगणना से केंद्र सरकार ने साफ तौर पर मना कर दिया है। ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक कमेटी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर इसके लिए आग्रह करें।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 07:08 PM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 07:08 PM (IST)
बिहार के CM नीतीश कुमार PM नरेंद्र मोदी से मिलकर करें आग्रह, जानें तेजस्वी को क्यों बोलना पड़ा ऐसा
तेजस्वी यादव, नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी। जागरण आर्काइव।

राज्य ब्यूरो, पटना : नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि केंद्र सरकार जातीय जनगणना पर पुनर्विचार करे। जातीय जनगणना से केंद्र सरकार ने साफ तौर पर मना कर दिया है। ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक कमेटी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर इसके लिए आग्रह करें। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने कहा कि विधानमंडल ने दो बार सर्वसम्मति से जाति आधारित जनगणना कराए जाने का प्रस्ताव पारित किया है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) विधायक ने कहा कि अगर यह नहीं होता है तो ऐसे में क्या मर्यादा रह जाएगी विधायिका की। 

बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में कहा था कि केंद्र सरकार को जातीय जनगणना को लेकर अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। नीतीश कह चुके हैं कि जातीय जनगणना पार्टी की पुरानी मांग रही है।राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में सहयोगी जदयू जहां जातीय जनगणना के समर्थन में है तो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अलग राह पर है। इसको लेकर जदयू और राजद के विचार मिलते दिख रहे हैं। हाल ही में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) विधायक तेजप्रताप यादव ने भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से साथ आने की अपील की थी। समस्तीपुर की हसनपुर विधानसभा सीट से राजद विधायक ने कहा था कि अगर केंद्र की मोदी सरकार जदयू की जातीय जनगणना करने की मांग को नहीं मानती है तो क्या वह पटना की सड़कों पर उतरकर इसका विरोध करेंगे। गौरतलब है कि जातीय जनगणना को लेकर  नीतीश कुमार ने कहा था कि हम लोगों का मानना है कि जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए। बिहार विधान मंडल ने फरवरी 2019 और फरवरी 2020 को सर्वसम्मति से इस आशय का प्रस्ताव पारित किया था तथा इसे केंद्र सरकार को भेजा गया था। केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर पुनर्विचार करना चाहिए। 

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