Bihar CAG Report: भारत-नेपाल सीमा पर सड़क की योजना 552 किमी, बनी महज 24 किमी

CAG report for Bihar दस्तावेज सत्यापन बिना 45.26 करोड़ रुपये भुगतान का मामला सामने आया। 121 पुल निर्माण करना था जिस पर 928.77 करोड़ खर्च हो गए। 64 फीसद सीमा चौकियों को सड़क से नहीं जोड़ा गया जिसके कारण एसएसबी की गतिशीलता प्रभावित हुई है।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 10:23 AM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 10:23 AM (IST)
Bihar CAG Report: भारत-नेपाल सीमा पर सड़क की योजना 552 किमी, बनी महज 24 किमी
बिहार में सड़क निर्माण योजनाओं का बुरा हाल। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, जागरण संवाददाता। Bihar CAG Report: बिहार में भारत-नेपाल सीमा (Indo-Nepal Border) पर 552.29 किलोमीटर सड़क निर्माण योजना में अक्टूबर 2020 तक मात्र 24 किमी निर्माण पूरा हो सका। इस परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण में सरकार को करीब 134 करोड़ अतिरिक्त भुगतान करना पड़ा है। यह तथ्‍य सीएजी की रिपोर्ट में सामने आया है। रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के लोक उपक्रमों द्वारा सड़क और फ्लाई ओवर निर्माण में करोड़ों रुपये अनियमितता सामने आया है। महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत 100 दिनों काम देना था, लेकिन मात्र एक से तीन फीसद लोगों को ही लाभ मिला। यह जानकारी महालेखाकार राम अवतार शर्मा ने गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन में दी।

वैधानिक रूप से सरकार को हस्‍तांतरित नहीं हो सकी जमीन

उन्होंने बताया कि भारत-नेपाल सीमा सड़क के लिए 2759.25 एकड़ भूमि की आवश्यकता के विरुद्ध 2497.64 एकड़ अधिग्रहण का दावा किया गया। लेकिन वैधानिक रूप से सरकार को हस्तांतरित नहीं हुआ। पूर्वी चंपारण जिले में आपातकालीन प्रविधान के तहत विलंब से आवेदन की वजह से निर्माण लागत 158 फीसद बढ़ गई। गलत वर्गीकरण के कारण 104 करोड़ रुपये अधिक भुगतान किया गया। दस्तावेज सत्यापन बिना 45.26 करोड़ रुपये भुगतान का मामला सामने आया। 121 पुल निर्माण करना था जिस पर 928.77 करोड़ खर्च हो गए। 64 फीसद सीमा चौकियों को सड़क से नहीं जोड़ा गया जिसके कारण एसएसबी की गतिशीलता प्रभावित हुई है।

मनरेगा में नहीं मिला 100 दिन काम

बिहार में सर्वाधिक भूमिहीन आकस्मिक श्रमिकों वाला राज्य है। राज्‍य में 60.88 लाख लोगों का सर्वेक्षण किया गया जिसमें मात्र 3.34 फीसद को ही जाब कार्ड दिया गया। इसमें भी मात्र एक फीसद लोगों को ही रोजगार मिला। वर्ष 2014 से 19 के बीच रोजगार मांगने वाले परिवारों को दो से नौ फीसद तक नियोजित किया जा सका। पंचायतों में कुल 17404 योजनाएं चयनित की गई लेकिन 11310 योजनाएं अधूरी रह गई।

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