बक्सर के बजरंगी भाई को मिली ऐसी सीख कि मदद की आए बात तो तय कर देते हैं दिल्ली तक का सफर
बक्सर के बजरंगी भाई ने कम से कम सौ जिंदगी बचाने का संकल्प लिया है। इसके लिए वे ट्रेन से दिल्ली तक का सफल तय कर देते हैं। हाल ही में रेडक्रॉस सोसाइटी ऑफ बक्सर ने उन्हें बेस्ट सिटीजन अवार्ड से सम्मानित किया।
कंचन किशोर, बक्सर: कहानी बक्सर के बजरंगी भाई उर्फ बजरंगी मिश्रा की है। 15 साल पहले अपनी बीमार मौसी को देखने वाराणसी बीएचयू अस्पताल में गए थे, जहां बगल के बेड पर एक महिला की जान बचाने के लिए ए-पॉजीटिव रक्त की आवश्यकता थी। महिला के पुत्र और रिश्तेदारों ने अपनी समस्याएं बता रक्तदान से मना कर दिया। संयोग से बजरंगी मिश्रा का भी रक्त समूह ए-पॉजीटिव था और उन्होंने रक्तदान कर महिला की जान बचाई। होश आने पर महिला ने डबडबाई आंखों से बेटा कहकर संबोधित किया तो उन्हें रक्तदान की अहमियत का अहसास हुआ। उसी समय उन्होंने यथा संभव रक्तदान करने का संकल्प ले लिया। अब वे हर 92 से 95 दिन के अंतराल पर रक्तदान करते हैं और मरीजों की जान बचाते हैं।
रक्तदान करने में मित्रलोक कॉलोनी निवासी 38 साल के बजरंगी भाई न जाति देखते हैं और न ही धर्म। रक्तदान के बाद जो डोनर कार्ड मिलता है, वह भी ब्लड बैंक में ही छोड़ देते हैं, जिससे किसी जरूरतमंद के पास रिप्लेसमेंट के लिए कोई नहीं हो तो उन्हें उनके कार्ड पर रक्त मुहैया कराया जा सके। मरीजों की जान बचाने का जज्बा ऐसा कि रक्तदान के लिए एक बुलावे पर ट्रेन पकड़ बक्सर से दिल्ली पहुंच जाते हैं।
रक्तदान को बक्सर से चले गए दिल्ली
तीन साल पहले एम्स दिल्ली में भर्ती एक दोस्त के पिता को रक्त की जरूरत थी। सूचना मिलते ही शाम में बक्सर में ट्रेन पकड़ अगले दिन दिल्ली हाजिर हो गए। भरा-पूरा परिवार और तीन बच्चों के बजरंगी मिश्रा पिता हैं, लेकिन अपने इस सामाजिक कार्य को राजनीति से अलग रखते हैं। पत्नी ने शुरू में इतना अधिक रक्तदान करने पर विरोध किया, लेकिन अब वे भी समझ गईं कि रक्तदान से शरीर पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता है। हाल में ही 52वीं बार रक्तदान करने पर रेडक्रॉस सोसाइटी ऑफ बक्सर ने उन्हें बेस्ट सिटीजन अवार्ड से सम्मानित किया।
सौ से ज्यादा बार रक्तदान का लिया है संकल्प
बजरंगी बताते हैं कि वे हर तीन महीने के बाद रक्तदान करते हैं, लेकिन आजतक जरा सी भी कमजोरी का अहसास नहीं हुआ, बल्कि रक्तदान करने के बाद उन्हें और ताजगी महसूस होती है। 90 से 95 दिनों के अंतराल पर रक्तदान का क्रम न टूटे, इसके लिए वे जहां भी रहते हैं वहां नजदीकी ब्लड बैंक में जाकर रक्तदान कर देते हैं। उनका कहना है कि ईश्वर ने चाहा तो वे अपने जीवन में सौ से ज्यादा बार रक्तदान करना चाहते हैं। सिस्टम से उनकी एक शिकायत है, कहते हैं एक प्रदेश में रक्तदान का डोनर कार्ड दूसरे राज्य में मान्य नहीं होता, यदि सेंट्रलाइज्ड डोनर कार्ड सिस्टम लागू हो जाए तो रक्तदान को प्रोत्साहन मिलेगा। रेडक्रॉस के जिला सचिव श्रवण तिवासी और प्रदेश कोषाध्यक्ष दिनेश जायसवाल बताते हैं कि बजरंगी मिश्रा रक्तदान के आयकॉन हैं। उन्होंने बताया कि प्रिेयेष, सरवर, शशिभूषण जैसे कुछ और भी युवा हैं जो रक्तदान को जीवन का मिशन बना चुके हैं और 40 बार से ज्यादा बार रक्तदान कर चुके हैं।