आंखों के लिए काल बन रहा ब्लैक फंगस, पटना के दो अस्पतालों में 11 मरीजों की निकालनी पड़ी आंख
Bihar Black Fungus Cases मरीजों के नाक के साइनस के माध्यम से आंख में एक काली लेयर बन जाती है। मरीज की जान बचाने के लिए संक्रमित आंख निकालनी पड़ती है। अब इन आंखों में दोबारा प्रत्यारोपण भी संभव नहीं है। अब तक पांच मरीजों की एक आंख निकालनी पड़ी।
पटना, जागरण संवाददाता। Bihar Black Fungus Cases Update: कोरोना संक्रमण के बाद अब म्यूकर माइकोसिस (ब्लैक फंगस) की समस्या तेजी से बढ़ी है। इस बीमारी के कारण हर दिन पटना के अस्पतालों में तीन-चार मरीजों की मौत हो रही है। 10-12 नए मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (आइजीआइएमएस) एवं अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पटना के आंकड़ों पर ध्यान दें तो अब तक ब्लैक फंगस के कारण 11 मरीजों को अपनी एक आंख गंवानी पड़ी। ये उस आंख से कभी नहीं देख सकेंगे।
आंख के निकलने के बाद दोबारा प्रत्यारोपण भी संभव नहीं
आइजीआइएमएस के नोडल अधिकारी डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि संस्थान में अब तक 70 मरीजों के ब्लैक फंगस का ऑपरेशन हो चुका है। इनमें छह मरीजों की जान बचाने के लिए आंख निकालनी पड़ी। एम्स की ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ. क्रांति भावना ने बताया कि ब्लैक फंगस संक्रमण के बाद मरीजों के नाक के साइनस के माध्यम से आंख में एक काली लेयर बन जाती है। मरीज की जान बचाने के लिए संक्रमित आंख निकालनी पड़ती है। अब इन आंखों में दोबारा प्रत्यारोपण भी संभव नहीं है। अब तक संस्थान में भर्ती पांच मरीजों की एक आंख निकालनी पड़ी।
आइजीआइएमएस व एम्स में अब तक 280 मरीज
एम्स और आइजीआइएमएस में लगभग 280 मरीज पहुंचकर इलाजरत है। इसमें एम्स में 120 मरीज भर्ती हो चुके है। 18 को डिस्चार्ज किया जा चुका है। आइजीआइएमएस में अब तक लगभग 142 मरीज एडमिट होकर उपचार करा रहे हैं। इसमें 69 का ऑपरेशन हो चुका है। इसके अतिरिक्त पीएमसीएच व एनएमसीएच में भी ब्लैक फंगस के मरीजों का उपचार किया जा रहा है। आइजीआइएमएस के नोडल अधिकारी सह चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि ब्लैक फंगस के हर दिन चार-पांच मरीज भर्ती हो रहे हैं। इनके लिए ओपीडी भी चलाया जा रहा है।