भाजपा नेता ने पिछड़े वर्गों को आरक्षण के मुद्दे पर दिया बड़ा बयान, कहा- संविधान संशोधन की मांग उठाएं राज्य सरकारें
मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू होने के बाद केंद्र सरकार की नौकरियों व शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के लिए जहां केंद्र सरकार पिछड़ों की सूची तैयार करती थी वहीं राज्यों को भी राज्य की नौकरियों में आरक्षण देने के लिए पिछड़ों की पहचान व सूची तैयार करने का अधिकार था।
पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Politics: आरक्षण अपने देश की सियासत का सबसे गर्म मुद्दा है। बिहार में इस मुद्दे की कितनी अहमियत है, इसे इस बात से समझिए कि हर बार चुनाव में यह मसला जरूर उछलता है। आरक्षण से जुड़ा ताजा मामला यह है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी ने इस पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने आरक्षण से जुड़े मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से असहमति जताई है और केंद्र सरकार से संविधान में संशाधन करने की मांग की है।
पिछड़े वर्गों की पहचान में राज्य सरकारों की भूमिका घटेगी
सुशील मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की मंशा, अटार्नी जनरल की बहस और सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्रालय के शपथपत्र के विपरीत संविधान के 102वें संशोधन की व्याख्या कर फैसला दिया है। इससे सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के लिए पिछड़े वर्गों की पहचान व सूची तैयार करने के अधिकार से राज्य वंचित हो जाएंगे।
पिछड़े वर्गों को केवल केंद्रीय सूची में डालने से असहमति
मोदी ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में अब राज्यों को केंद्र सरकार से बातचीत कर हस्तक्षेप व आवश्यकता पड़े तो संविधान संशोधन की मांग करना चाहिए, ताकि राज्यों का अधिकार पूर्ववत कायम रहे। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 102वें संविधान संशोधन जिसके तहत पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया गया था, को वैधानिक तो माना है, मगर नए सिरे से व्याख्या कर पिछड़े वर्गों की केवल केंद्रीय सूची बनाने का फैसला दिया है।
मंडल कमीशन की रिपोर्ट का दिया हवाला
मालूम हो कि मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू होने के बाद केंद्र सरकार की नौकरियों व शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के लिए जहां केंद्र सरकार पिछड़ों की सूची तैयार करती थी वहीं राज्यों को भी राज्य की नौकरियों में आरक्षण देने के लिए अपने स्तर से पिछड़ों की पहचान व सूची तैयार करने का अधिकार था। ऐसे में राज्यों को केंद्र से बातचीत कर पहल करनी चाहिए।