बिहार BJP ने बताया 1931 और 2011 की जनगणना का सच, संजय जायसवाल बोले- कभी नहीं हुई सभी जातियों की गणना
Caste Based Census 2021 की जनगणना में अलग-अलग जातियों की गिनती के मसले पर बिहार भाजपा ने अपना स्टैंड साफ कर दिया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि आज तक कभी भी वास्तविक रूप से जाति आधारित जनगणना हुई ही नहीं है।
पटना, राज्य ब्यूरो। Caste Based Census: भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल (BJP State President Sanjay Jaisawal) ने कहा है कि जातिगत जनगणना कराना मुश्किल है। उन्होंने 1931 के आंकड़े को भी पूरी तरह सच नहीं बताया और कहा कि उसे जातिगत जनगणना कहना गलत है, क्योंकि अंग्रेजों ने सिर्फ 24 जातियों की ही जनगणना कराई थी। 2011 के आर्थिक-सामाजिक सर्वे में चार लाख से भी ज्यादा जातियों का विवरण आया है। अगर सही मायने में जातिगत जनगणना कराई जाएगी तो उसके अनुरूप कंप्यूटराइज्ड डाटा में चार लाख 28 हजार खंड बनाया ही नहीं जा सकता। इसीलिए सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर कर कहा है कि 2011 के आर्थिक-सामाजिक डाटा को नहीं लिया जा सकता है।
2011 की जनगणना में मिले आंकड़ों में बहुत गलतियां हैं। पूरा डाटा ही गलत है। इसमें बड़ी संख्या में लोगों ने यह नहीं बताया कि वो पिछड़ा हैं या नहीं। जायसवाल ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार स्वयं मानती है कि केवल 484 जातियां हैं। किसी प्रदेश में एक हजार या दो हजार से कम जातियां नहीं हैं। जायसवाल ने कहा कि आजादी के बाद से जिस पैटर्न पर जनगणना कराई जा रही है, उसी तरह चलने देना चाहिए। 2011 की जनगणना में जो गलतियां हुई हैं, उसे डाटा मानना उचित नहीं है
जातिगत जनगणना पर पीएम से फिर मिलने की होगी कोशिश : मांझी
इधर, पूर्व मुख्यमंत्री व हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने कहा कि प्रधानमंत्री से मिलने के बाद उम्मीद थी कि केंद्र सरकार जातिगत जनगणना कराएगी, मगर ऐसा नहीं हो रहा। यह दुखद है। इस मामले पर प्रधानमंत्री से फिर से मिलने की कोशिश की जाएगी। मांझी ने कहा कि संविधान भी कहता है कि जिसकी जितनी आबादी भारी, उतनी उसकी हिस्सेदारी। ऐसे में वंचितों के हक के लिए जातिगत जनगणना जरूरी है। कहीं ऐसा तो नहीं कि किसी की आबादी कम है और उसको हिस्सेदारी ज्यादा मिल रही। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को भी इस मामले में राजनीति न करने की सलाह दी और कहा कि मुख्यमंत्री जातिगत जनगणना की पहल करेंगे।