शराब के हंगामे के साथ ही माननीयों के मान-अपमान का विषय जोर-शोर से उठा

Bihar Assembly News बिहार विधानसभा परिसर में मंगलवार को शराब की खाली बोतलें मिलने की सूचना पर उसे जब्त करती पुलिस। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री के आदेश के बाद कई अधिकारी भी झाड़ियों में बोतलें तलाशने लगे। जागरण आर्काइव

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Sat, 04 Dec 2021 12:08 PM (IST) Updated:Sat, 04 Dec 2021 12:08 PM (IST)
शराब के हंगामे के साथ ही माननीयों के मान-अपमान का विषय जोर-शोर से उठा
शराब के विषय पर पक्ष-विपक्ष के बीच कोई लकीर नहीं रही।

पटना, आलोक मिश्र। कहने को तो यह बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र था, लेकिन पांच दिनों (29 नवंबर से तीन दिसंबर) के सत्र में हर किसी को गर्मी का अहसास हुआ है। यह गर्मी विधानसभा परिसर में पाई गई शराब की खाली बोतलों से पैदा हुई जो विधायकों-मंत्रियों के मान-सम्मान के सवाल पर दिन-प्रतिदिन बढ़ती गई। शुक्रवार को समापन के दिन भी गर्मी का अहसास बना रहा, लेकिन यह उतार वाला था। इन दिनों विपक्ष हंगामे के हर अवसर को भुनाने में लगा रहा और सत्तापक्ष का रुख मुद्दों के हिसाब से बदलता रहा।

इन दिनों बिहार में शराबबंदी पर सरकार काफी सख्त है। इसलिए सोमवार को जब सत्र शुरू हुआ तो बाहर शराबबंदी के नाम पर गरीबों पर हमले बंद करो, लिखी तख्तियां नजर आईं। इसे राजद और दूसरे विपक्षी दल उठाए हुए थे। औपचारिकता पूरी कर पहले दिन की कार्रवाई स्थगित कर दी गई। लेकिन मंगलवार को विधानसभा परिसर के बाइक स्टैंड में शराब की खाली बोतलें मिल गईं। बोतलें क्या मिलीं, विपक्ष को मुद्दा मिल गया। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सरकार पर हमलावर हो गए।

विधानसभा अध्यक्ष ने मामले को शांत करने के लिए तेजस्वी से कहा कि खाली बोतल तो आपके घर में भी मिल सकती है। तेजस्वी ने मौके के हिसाब से जवाब दिया- महोदय आपके घर (विधानसभा परिसर) में तो निकल आई है। मामला बढ़ता देख मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्य सचिव व डीजीपी को इसकी जांच सौंप दी। अभी तक एसपी व थानेदार बोतलें ढूंढ रहे थे। अब मुख्यमंत्री के आदेश के बाद डीजीपी झाड़ियों में बोतलें तलाशने लगे। खबर बाहर निकलने में देर नहीं लगी और चटखारों के साथ इसकी चर्चा होने लगी, जो जारी है। हालांकि जांच का अभी तक कोई निष्कर्ष नहीं निकला है।

शराब के हंगामे के साथ ही माननीयों के मान-अपमान का विषय भी इस बार जोर-शोर से उठा। इस विषय पर पक्ष-विपक्ष के बीच कोई लकीर नहीं रही। गुरुवार को विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने के लिए जब श्रम संसाधन मंत्री जीवेश कुमार मिश्र परिसर में घुस रहे थे तो उनकी गाड़ी रोक ली गई। पहले तो उन्होंने समझा कि मुख्यमंत्री के काफिले के कारण गाड़ी रोकी गई है। लेकिन जब पता चला कि मुख्यमंत्री का काफिला तो गुजर चुका है और डीएम व एसपी की गाड़ी को पास देने के लिए उनकी गाड़ी रोकी है तो सदन में प्रश्नकाल शुरू होते ही वे अपनी सीट से गुस्से में उठे और बिफर पड़े।

अध्यक्ष से बोले कि डीएम-एसपी बड़े हैं या मंत्री। दोषियों को निलंबित किया जाए। मंत्री के इतना कहते ही पूरा विपक्ष अफसरशाही के खिलाफ नारेबाजी करता आसन के आगे आ गया। किसी भी सदस्य के अपमान को सदन का अपमान बताया गया। अध्यक्ष ने भी सहमति व्यक्त की और प्रश्नकाल के बाद बैठक करने का आश्वासन दिया, तब माहौल शांत हुआ, पर जीवेश तमतमाए ही रहे। उनके समर्थन में भाकपा माले के विधायक महबूब आलम बोले कि अब मंत्रियों की पिटाई ही बाकी रह गई है। विधायक तो पहले से मार खा रहे हैं। बोल समर्थन में थे, पर उसमें चुटकी लेने का पूरा भाव था।

इससे पहले बुधवार को भी मान-अपमान का मुद्दा उठा था। भाजपा विधायक नीतीश मिश्र ने कहा कि सरकारी आयोजनों में स्थानीय विधायकों व विधान पार्षदों को नहीं बुलाया जाता है। सड़कों के बनने पर उद्घाटन तक की सूचना नहीं दी जाती है। इस पर मुख्यमंत्री ने उन्हीं पर निशाना साधते हुए जवाब दिया कि जो लोग सवाल कर रहे हैं, वे भी मंत्री रह चुके हैं। वे बताएं कि उनके समय में क्या व्यवस्था थी और आज क्या है? हम इसके आदेश पहले ही दे चुके हैं। इस व्यवस्था की अगर अवहेलना हो रही हो तो बताएं। इस जवाब के बाद सवाल पूछने वाले चुप, लेकिन यह सवाल तब भी बना रहा कि व्यवस्था पहले से ही बनी होने के बावजूद अगर नहीं बुलाया जा रहा तो फिर क्या?

बहरहाल इसी मान-अपमान के बीच तीन विधेयक भी पारित हो गए। दिलचस्प यह रहा कि जिस दिन सदन में शराब की खाली बोतलों को लेकर हंगामा हो रहा था, विधानसभा अध्यक्ष ने सदस्यों को सूचना दी कि यहां की कैंटीन में लिट्टी-चोखा का भी इंतजाम हो गया है। शराब और लिट्टी-चोखा, सदन में दोनों की चर्चा अलग प्रसंग में हुई, फिर भी कई सदस्यों ने बिना चखे इस व्यंजन का आनंद लिया। हां, एक नई शुरुआत के लिए भी शीतकालीन सत्र याद किया जाएगा। पहली बार बैठक की शुरूआत राष्ट्रगान से हुई और समापन के समय राष्ट्रीय गीत गाया गया।

[स्थानीय संपादक, बिहार]

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