Bihar Assembly Elections 2020: बिहार में सत्ता पक्ष की खामोशी बढ़ा रही विपक्ष की बेचैनी

दो-तीन सप्ताह से भाजपा की गतिविधियां लगभग ठहर सी गई हैं। कांग्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल का पटना आना व महागठबंधन के नेताओं से मिलना बता रहा विपक्ष की बेचैनी बढ़ी है।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Sun, 09 Aug 2020 06:48 PM (IST) Updated:Mon, 10 Aug 2020 03:25 PM (IST)
Bihar Assembly Elections 2020: बिहार में सत्ता पक्ष की खामोशी बढ़ा रही विपक्ष की बेचैनी
Bihar Assembly Elections 2020: बिहार में सत्ता पक्ष की खामोशी बढ़ा रही विपक्ष की बेचैनी

अरविंद शर्मा, पटना। सियासत में खामोशी भी बहुत कुछ कहती है। बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियों के मामले में शुरुआती तेजी के बाद सत्ता पक्ष के दो बड़े दलों में अचानक चुप्पी पसर गई है। दो-तीन सप्ताह से भाजपा की गतिविधियां लगभग ठहर सी गई हैं। केंद्रीय नेताओं का आना-जाना थम गया है। जदयू के कार्यक्रमों पर भी ब्रेक लग गया है। सरकार के तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अति सक्रिय जरूर हैं, लेकिन संगठन के स्तर पर जदयू में सुस्ती ही नजर आ रही है। ऐसे समय में कांग्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल का पटना आना और महागठबंधन के नेताओं से मिलना बता रहा है कि विपक्ष की बेचैनी बढ़ी हुई है। दो दिन पहले राहुल गांधी ने भी वर्चुअल मीटिंग कर बिहार कांग्रेस के नेताओं में ऊर्जा भरी थी और सीटों के बंटवारे के लिए सहयोगी दलों से बातचीत का निर्देश भी दिया था। राहुल के जाते ही गोहिल के आने से महागठबंधन के अन्य घटक दलों की उम्मीदें बढ़ गई हैं। 

15 अगस्त के बाद हो जाएंगे अहम निर्णय

सूत्रों का दावा है कि महागठबंधन में सहयोगियों के विवादित अहम मुद्दों का निबटारा और सीटों का बंटवारा 15 अगस्त के बाद किसी भी कीमत पर तय कर लिया जाएगा। कांग्रेस के आपसी मोर्चे को दुरुस्त-मजबूत करने के बाद गोहिल अन्य घटक दलों के साथ बैठ सकते हैं। बिहार विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर के बाद खत्म हो जाएगा। वर्तमान विधानसभा का आखिरी सत्र भी समाप्त हो चुका है, लेकिन अभी तक चुनावी बयार ने रफ्तार नहीं पकड़ी है। पूरा सियासी माहौल कोरोना के गिरफ्त में कसमसा रहा है। 

भाजपा ने की थी शुरुआत

सक्रियता के मोर्चे पर अभी शिथिल दिख रही भाजपा ने ही अमित शाह के वर्चुअल जनसंवाद के जरिए सबसे पहले सात जून को बिहार में चुनावी गतिविधियों का आगाज किया था। उसके बाद भाजपा ने अपने कार्यकर्ताओं और आम मतदाताओं के सीधे संपर्क में आने का अभियान भी चलाया, किंतु उसी बीच उसके कई नेता कोरोना से संक्रमित हो गए। भाजपा की देखादेखी जदयू ने भी चुप्पी तोड़ी। करीब एक महीने बाद जुलाई के पहले सप्ताह से उसने भी अपने स्तर पर वर्चुअल बैठकें शुरू कर दीं। भाजपा-जदयू के चुनावी अभियान ने विपक्ष की बेचैनी बढ़ा दी। देश में पहली बार लॉकडाउन लागू होने से लेकर करीब दो महीने तक बिहार से बाहर रहने वाले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी राजद कार्यकर्ताओं में जोश भरना शुरू कर दिया। 

राजद ने जारी रखा है अभियान

चुनाव तैयारियों को लेकर अन्य दलों की खामोशी के बावजूद राजद ने अपनी तैयारियों को कभी कम नहीं होने दिया। हालांकि तेजस्वी अपनी पुरानी मांग पर भी आज तक अड़े हैं कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच निर्वाचन आयोग को चुनाव कराने से परहेज करना चाहिए, लेकिन अंदर ही अंदर राजद की चुनावी तैयारियों पर भी उन्होंने कभी विराम नहीं लगने दिया। मई के मध्य से ही तेजस्वी पूरी तरह चुनावी मोड में हैं, बल्कि इसके पहले फरवरी में ही उन्होंने बेरोजगारी हटाओ यात्रा की शुरुआत की थी। उसके बाद कभी चीन की सीमा पर शहीद हुए जवानों के गांवों का दौरा तो कभी बाढ़ पीडि़तों का हाल जानने के लिए प्रभावित क्षेत्रों की यात्रा करते आ रहे हैं। 

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