बिहार चुनाव 2020: संशय पर वोटरों ने लगाई स्याही, नुकसान-फायदे को लेकर लगने लगे कयास

कोरोना काल में ये देश का पहला चुनाव है। इसको लेकर चुनाव आयोग को भी संशय था कि लोग घरों से निकलेंगे या नहीं? लेकिन बिहार के मतदाताओं ने पहले चरण में ही अंगुली पर स्याही लगाकर सभी तरह के भ्रम को तोड़ दिया।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Wed, 28 Oct 2020 05:14 PM (IST) Updated:Wed, 28 Oct 2020 05:14 PM (IST)
बिहार चुनाव 2020: संशय पर वोटरों ने लगाई स्याही, नुकसान-फायदे को लेकर लगने लगे कयास
मोकामा में वोट डालने के लिए पहुचीं एक वृद्धा की मदद करता जवान व युवक।

पटना, जेएनएन। बिहार विधानसभा के लिए बुधवार को पहले चरण का मतदान हुआ। 16 जिलों की 71 विधानसभा सीटों पर वोट देने के लिए सुबह से ही वोटर कतारों में खड़े हो गए। कोरोना काल में ये देश का पहला चुनाव है। इसको लेकर चुनाव आयोग को भी संशय था कि वोटर घरों से निकलेंगे या नहीं? लेकिन बिहार के मतदाताओं ने पहले चरण में ही अंगुली पर स्याही लगाकर सभी तरह के भ्रम को तोड़ दिया। वृद्ध से लेकर युवा मतदान करने के लिए कतारों में खड़े दिखाई दिए। वोटिंग के साथ ही सियासी गलियारे में ये चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर संक्रमण के दौरान कुल 53.54% वोटिंग का फायदे किसे होगा?

मतदान के बहिष्कार में ये सुखद खबर भारी

कोरोना के खौफ के बीच बिहार चुनाव में कुछ सुखद खबर भी आई। रोहतास में नक्सल प्रभावित चेनारी विधान सभा की कैमूर पहाड़ी पर बसे कई गांवों के लोग बीस साल बाद बुधवार को मतदान में अपनी भूमिका तय करने निकले। पहले यहां का मतदान केंद्रों को सुरक्षा कारणों से मैदानी भागों में स्थानांतरित किया जाता था, लेकिन इस बार अधिकांश निर्धारित बूथों पर ही मतदान कराया गया। मतदान के बहिष्कार की आती खबरों के बीच भभुआ के मतदाताओं ने एक बार फिर वोटरों को आईना दिखाया। चैनपुर विधानसभा में 35 बूथों को ट्रांसफर करके 15 जगहों पर शिफ्ट किया गया था। इसी क्रम में भगवानपुर प्रखंड के हनुमान घाट से पांच किलोमीटर पैदल चलकर लोग भगवानपुर में आकर मतदान किए। पूछने पर उन्होंने बताया कि हमने पांच किलोमीटर की यात्रा की, आखिर बिहार की तस्वीर जो तय करनी थी।

आखिर किसे होगा फायदा

बिहार में तीन बजे तक 46 प्रतिशत वोटिंग हुई और फाइनल आंकड़ा 53.54 फीसद रहा। संक्रमण के साये के बीच खूब मतदाता घर से निकले। कोरोना के दौर में इतने वोट पड़ने का मतलब क्या है? जनता सरकार से खुश है या बदलाव करने की सोच रही है? सियासी गलियारों में सवाल तैरने लगे हैं कि गठबंधन या महागठबंधन? वही प्रत्याशी या नया चेहरा? फायदा किसका होगा, ये तो दस नवंबर को ही पता चलेगा लेकिन हार-जीत पर कयास जारी है।

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