Bihar Election 2020: बिहार से बड़ी खबर, राजद से अलग हुई रालोसपा, कुशवाहा ने कहा- तेजस्वी नहीं कर सकते नीतीश का मुकाबला

Bihar Assembly Election 2020 उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि आगे के फैसले के लिए पार्टी ने मुझे अधिकृत किया है। राजद अपने नेतृत्व को बदल देता है तो हमारी पार्टी महागठबंधन में शामिल हो जाएगी। मामला सीट शेयरिंग का नहीं राजद के मौजूदा नेतृत्‍व का व्‍यवहार एकतरफा रहा है।

By Sumita JaiswalEdited By: Publish:Thu, 24 Sep 2020 07:44 PM (IST) Updated:Thu, 24 Sep 2020 10:07 PM (IST)
Bihar Election 2020:  बिहार से बड़ी खबर, राजद से अलग हुई रालोसपा, कुशवाहा ने कहा- तेजस्वी नहीं कर सकते नीतीश का मुकाबला
नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव और रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, पटना  Bihar Assembly Election 2020: कुछ दिनों की उठापटक के बाद अब यह साफ हो गया है कि राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP)  महागठबंधन (Grand Alliance)  से अलग हो जाएगी। फिलहाल उसने राजद से अलग होने की घोषणा कर दी है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha)  ने 24 सितंबर (गुरुवार) को कहा-अगर राजद अपने नेतृत्व को बदल देता है तो हमारी पार्टी महागठबंधन में शामिल हो जाएगी। हम अपने लोगों को महागठबंधन में शामिल होने के लिए मना लेंगे। वे पार्टी पदाधिकारियों की आपात बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक में उन्हें गठबंधन (alliance)  के जरिए या स्वतंत्र रूप (independent) से चुनाव लड़ने के बारे में फैसला लेने के लिए अधिकृत कर दिया गया, ताकि राज्य में वैकल्पिक सरकार का गठन हो सके।

राजद का मौजूदा नेतृत्‍व नीतीश के सामने नहीं टिक पाएगा

कुशवाहा ने अपने संबोधन में कहा कि सीटों की संख्या (seat sharing) का मामला नहीं है। हम सीटों की संख्या पर समझौता कर सकते हैं। राज्य की जनता बदलाव चाहती है,लेकिन जनता की यह भी राय है कि वैकल्पिक नेतृत्व ऐसा हो जो नीतीश कुमार के सामने टिक सके। हम पहले भी कह चुके हैं कि राजद का मौजूदा नेतृत्व (तेजस्वी यादव) नीतीश कुमार के सामने नहीं टिक पाएगा।

राजद नेतृत्व का व्यवहार एकतरफा

बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि रालोसपा लगातार इस कोशिश में जुटी थी कि अलोकप्रिय हो चुकी नीतीश कुमार की सरकार की विदाई हो। इसके लिए नीति, नेतृत्व और अभियान पर सामूहिक समझ विकसित करने की कोशिश की गई। हालांकि, राजद नेतृत्व का व्यवहार एकतरफा फैसला लेने का रहा है। यही कारण है कि महागठबंधन के दलों के बीच एक राय नहीं बन पाई है। सीटों के समझौते के सवाल पर भी अनिश्चितता कायम है। इसमें एक-एक दिन की देरी जनता को परेशान कर रही है। प्रस्ताव में कहा गया है कि इस सिलसिले में कई दौर की बातचीत हुई। कोई नतीजा नहीं निकला। ऐसी स्थिति में और रहना परोक्ष या अपरोक्ष रूप से एनडीए को लाभ पहुंचाना है।

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