Bihar Assembly Election 2020: सटीक रणनीति से एनडीए को बढ़त, असमंजस में पड़ा रहा विपक्ष

Bihar Assembly Election 2020 चुनाव आयोग की ओर से बुलाई गई राजनीतिक दलों की पहली बैठक में ही एनडीए के मुकाबले विपक्ष की कमजोरी झलक गई थी। पढि़ए एनडीए और विपक्ष की ताकत और कमजाेरी का आकलन करती यह रिपोर्ट।

By Sumita JaiswalEdited By: Publish:Sat, 26 Sep 2020 05:04 PM (IST) Updated:Sat, 26 Sep 2020 05:04 PM (IST)
Bihar Assembly Election 2020: सटीक रणनीति से एनडीए को बढ़त, असमंजस में पड़ा रहा विपक्ष
एनडीए के सीएम फेस नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव की फाइल फोटो।

पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Assembly Election 2020: चुनाव पूर्व तैयारियों के लिहाज से एनडीए को बढ़त मिल गई लगती है। असमंजस की वजह से विपक्ष फिलहाल सत्तारूढ़ गठबंधन से पिछड़ गया है। भररपाई के लिए विपक्ष को अधिक मेहनत करनी पड़ रही है। असल में चुनाव आयोग की ओर से बुलाई गई राजनीतिक दलों की पहली बैठक में ही एनडीए के मुकाबले विपक्ष की कमजोरी झलक गई थी। कोरोना के बावजूद एनडीए समय पर चुनाव कराने की वकालत कर रहा था। दूसरी तरफ राजद, कांग्रेस और वाम दल कह रहे थे कि संक्रमण खत्म होने के बाद ही चुनाव हो। इसके लिए विपक्ष की ओर से चुनाव आयोग को ज्ञापन भी दिये गए।

एनडीए ने बूथ स्‍तर तक पहुंचाया संदेश

उसी समय भाजपा और जदयू की ओर से वर्चुअल माध्यम से तैयारियां शुरू हो गईं।  दोनों दलों ने बूथ स्तर पर अपना संदेश पहुंचा दिया। कार्यकर्ताओं को कहा गया कि वे आमलोगों के बीच सरकार की उपलब्धियों की चर्चा करें। विपक्ष की आलोचना के बारे में भी दोनों दलों ने  कार्यकर्ताओं को टिप्स दिए। यह कि लालू प्रसाद के 15 वर्षों के शासन की विफलताओं की याद दिलाएं। लोगों को बताएं कि कानून व्यवस्था की हालत कितनी खराब थी। विकास नहीं हुआ। भ्रष्टाचार चरम पर था। एनडीए की केंद्र और राज्य की सरकारों ने राज्य की तरक्की के लिए कितना काम किया। इसके अलावा सरकारी योजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यास के जरिए यह बताने की कोशिश की गई कि एनडीए के शासन में ही विकास हो सकता है।

विपक्ष के पास सरकार की आलोचना का ही हथियार

दूसरी तरफ विपक्ष की ओर से सांकेतिक तौर पर ही तैयारी के कार्यक्रम आयोजित किए गए। राहुल गांधी और दिग्विजय सिंह ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पार्टी नेताओं-कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा किया। कोरोना के सवाल पर सरकार को घेरने की कोशिश की गई। यह तेजस्वी की उपलब्धि थी। सरकार पर यह असर पड़ा कि कोरोना की जांच रफ्तार में तेजी आ गई। यह भी विपक्ष की इस मांग के खिलाफ गया कि कोरोना के चलते चुनाव टाल देना चाहिए। बहरहाल, चुनाव की घोषणा के बावजूद विपक्ष बहुत सटीक रणनीति नहीं बना पा रहा है। ले देकर उसके पास सरकार की आलोचना का हथियार है। यह कितना असरदार होगा, फिलहाल कुछ कहना मुश्किल है।

एनडीए की ताकत

- संगठित चुनाव अभियान

- विकास से जुड़ी उपलब्धियां

- कोरोना संकट पर हद तक काबू

- अधिक लोगों तक राहत की पहुंच

-श् रमिकों को रोजगार देने की कोशिश

कमजोरी

- एंटी इंकम्‍बेंसी  फैक्टर

- सिटिंग विधायकों के खिलाफ नाराजगी

- भ्रष्टाचार की शिकायत

- रोजगार की कमी

- पहले की तुलना में अपराध में वृद्धि

विपक्ष की मजबूती

- राजद के साथ माय समीकरण की एकजुटता

- एक बार अवसर देने की जन भावना

- नए और संघर्षशील उम्मीदवार

- बेरोजगार युवाओं का साथ मिलने की उम्मीद

- कृषि विधेयक से नाराज किसानों का साथ

कमजोरी

- आपसी एकता का घोर अभाव

- चुनाव से पहले घटक दलों में फूट

- अनुभवहीन नेताओं की भरमार

- मुख्यमंत्री का कोई मान्य चेहरा नहीं

- चुनाव मैदान में असहयोग की आशंका

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