Bihar Assembly By-Election: बिहार में जनता के बीच विक्टिम कार्ड खेल रहे कांग्रेस और आरजेडी, INSIDE STORY

Bihar Assembly By-Election बिहार विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस एवं आरजेडी जनता के बीच विक्टिम कार्ड खेल रहे हैं। दाेनों दल एक-दूसरे पर हमलावर हैं। बीते विधानसभा चुनाव के बाद से ही आरजेडी सरकार न बनने के लिए कांग्रेस को कोस रहा है।

By Amit AlokEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 02:55 PM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 06:12 AM (IST)
Bihar Assembly By-Election: बिहार में जनता के बीच विक्टिम कार्ड खेल रहे कांग्रेस और आरजेडी, INSIDE STORY
सोनिया गांधी, लालू प्रसाद यादव एवं नीतीश कुमार। फाइल तस्‍वीरें।

पटना, अरुण अशेष। Bihar Assembly By-Election बिहार विधानसभा की दो सीटों पर हो रहे उपचुनाव (Bihar Assembly By-Election) में जनता दल यूनाइटेड (JDU) अपनी सीट बचाने के लिए लड़ रहा है तो महागठबंधन के दो बड़े दल- राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस (Congress) आपस में ही दो-दो हाथ कर रहे हैं। साल भर पहले साझे में राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के खिलाफ चुनाव लड़े दोनों दलों ने उपचुनाव की लड़ाई की शुरुआत घर से की है। कांग्रेस और आरजेडी की आपसी लड़ाई में हार-जीत का तो फिलहाल नहीं कहा जा सकता है, लेकिन इस लड़ाई का लाभ मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की पार्टी (जेडीयू) को मिलता दिख रहा है।

अंतत: टूट गई समझौते की उम्‍मीद

नामांकन दाखिल करने और नाम वापस लेने की तारीख के बीच आठ दिनों का अंतर था। उम्मीद की जा रही थी कि कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) एवं आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के बीच आखिरी तारीख तक हाई लेवल समझौता हो जाएगा। कुशेश्वरस्थान से आरजेडी और तारापुर से कांग्रेस के उम्मीदवार वापस हो जाएंगे। लेकिन यह नहीं हुआ। अब जबकि, चुनाव प्रचार चरम पर है, दोनों दल मुस्तैदी से मैदान में डटे हैं। परिणाम के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि अंतिम वोट की गिनती से पहले तक सभी उम्मीदवार जीतते ही रहते हैं। परिणाम के बाद महागठबंधन में क्या हो सकता है, इसका आभास अभी से मिलने लगा है।

एक दूसरे पर जबरदस्त हमला

खुद को असली एनडीए विरोधी बताने के लिए आरजेडी और कांग्रेस एक-दूसरे पर जबरदस्त हमला कर रहे हैं। कुशेश्वरस्थान पर कांग्रेस के दावे को खारिज करने के लिए आरजेडी सांसद मनोज झा कहते हैं- उन्हें (कांग्रेस) जमीनी हकीकत की जानकारी नहीं है। राज्य की जनता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) में भविष्य देख रही है। कांग्रेस के प्रभारी भक्त चरण दास की जुबान में तल्खी है। वे इशारे में आरोप लगा रहे हैं कि आरजेडी और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच अंदरूनी समझौता है। तेजस्वी यादव सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं। क्या उन्हें कांग्रेस के 19 विधायकों का साथ नहीं चाहिए? आखिर कांग्रेस विधायकों की कमी वे किन दलों की मदद से पूरी करेंगे?

विक्टिम कार्ड खेल रही कांग्रेस

कुशेश्वरस्थान में कांग्रेस विक्टिम कार्ड खेल रही है। आम चुनाव में उसके उम्मीदवार दूसरे नम्बर पर थे। यही नहीं, अब तक हुए विधानसभा के 17 चुनावों में पूर्ववर्ती सिंघिया (2010 से पहले यही क्षेत्र था। इसका बड़ा हिस्सा परिसीमन के बाद कुशेश्वस्थान में समाहित हो गया।) में छह बार कांग्रेस की जीत हुई। एक बार आरजेडी की जीत हुई थी। आरजेडी इस कार्ड को काट रहा है- सिंघिया अतीत है, कुशेश्वरस्थान वर्तमान है। 2010 में इस पर पहला चुनाव हुआ। कांग्रेस तीसरे नम्बर पर रही। 2015 में जेडीयू महागठबंधन का हिस्सा था। सीट उसके हिस्से गई। जीत भी हुई। कांग्रेस दूसरी बार 2020 में लड़ी। सात हजार वोटों के अंतर से हार गई। 2010 की तुलना में उसका वोट बढ़ा।

आरजेडी बता रहा अपनी मजबूरी

2020 के विधानसभा चुनाव के बाद से ही आरजेडी सरकार न बनने के लिए कांग्रेस को यह कह कर कोस रहा है कि उसे अधिक सीट देने के चलते ही महागठबंधन की सरकार नहीं बन पाई। कांग्रेस के 70 उम्मीदवार खड़े हुए। 19 की जीत हुई। कांग्रेस अगर 2015 के बराबर सीटों पर भी जीत हासिल कर लेती तो सरकार गठन का रास्ता आसान हो जाता। कांग्रेस की आलोचना इस बात के लिए हो रही है कि उसके पास सक्षम उम्मीदवार नहीं थे। आखिरी समय में उन उम्मीदवारों को टिकट दिया गया, जिन्हें क्षेत्र के भूगोल और सामाजिक समीकरण का ज्ञान नहीं था। कुछ तो इतने उम्रदराज थे कि उन्हें चलने फिरने में भी दिक्कत होती थी। कुल मिलाकर आरजेडी दोनों सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करने को लेकर अपनी मजबूरी भी बता रहा है- हम आम चुनाव की तरह उप चुनाव में जोखिम नहीं उठा सकते हैं। अब यह एनडीए विरोधी वोटरों पर निर्भर है कि वह किसके दावे को सही माने। बहरहाल, जेडीयू से लड़ने से पहले कांग्रेस और आरजेडी आपस में हीं लड़ रहे हैं।

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