बिहार में फिर बच्‍चों के प्रति घोर अमानवीयता सामने आई, आरा विशिष्ट दत्तक संस्थान में दो बच्‍चों की मौत ने खोला राज

जहां जिंदगी की आस थी बच्चों को वहीं यातनांए व मौत मिली। 37 दिनों के अंतराल में दो मासूमों की ठंड से मौत ने यहां बच्‍चों के साथ किए जा रहे क्रूर व्‍यवहार की कलई खोल दी है। हद तो यह कि बक्‍सर रिपोर्ट के बाद भी जिम्‍मेदार सोए रहे

By Sumita JaiswalEdited By: Publish:Thu, 21 Jan 2021 06:00 AM (IST) Updated:Thu, 21 Jan 2021 06:03 PM (IST)
बिहार में फिर बच्‍चों के प्रति घोर अमानवीयता सामने आई, आरा विशिष्ट दत्तक संस्थान में दो बच्‍चों की मौत ने खोला राज
आरा विशिष्ट दत्तक संस्थान की तस्‍वीर, जहां बच्‍चों के साथ क्रूरता का मामला उजागर हुआ।

आरा, युगेश्वर प्रसाद । इसे संवेदनहीनता की हद कहें, अमानवीय चेहरा कहें या सिस्टम में जंग, क्योंकि जहां जिंदगी की आस थी, वहां बच्चों को मौत मिली। यदि बाल कल्याण समिति, बक्सर की रिपोर्ट पर ही अमल कर लिया होता तो शायद वे बच्चे जीवित होते। महज 37 दिनों के अंतराल में एक-एक कर दो बच्चों की मौत नहीं हुई होती।

और भी कई बच्‍चे यहां कुपोषण के शिकार

दैनिक जागरण की पड़ताल की तो आरा स्थित शाहाबाद जनपद के इकलौते विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान का एक भयावह सच सामने आया। यहां भोजपुर के अलावा बक्सर, रोहतास और कैमूर के परित्यक्त बच्चों को संरक्षण दिया जाता है। सरकार ने हर व्यवस्था की है, लेकिन जिन पर जिम्मेवारी थी, उनके लिए इन बच्चों का मोल कहां?

पिछले साल दिसंबर के पहले सप्ताह में एक बच्चे की मौत के बाद भी संवेदना नहीं जागी। फिर 14 जनवरी को दूसरे बच्चे की मौत हो गई। यहां के कर्मियों पर कोई फर्क नहीं पड़ा, मामला रफा-दफा। सदर अस्पताल के डॉक्टर और जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक विनोद कुमार ठाकुर ने मौत का कारण ठंड बताते हुए कहा कि रिपोर्ट भेज दी है। ठंड क्यों लगी, इस सवाल पर चौतरफा चुप्पी है। अभी और कई बच्चे कुपोषण के शिकार हैं, जिन्हें समुचित रखरखाव और बेहतर इलाज की जरूरत है।

रिपोर्ट पर भी कार्रवाई नहीं

जिलाधिकारी रोशन कुशवाहा ने सहायक निदेशक से रिपोर्ट मांगी है। इस मामले में चौंकाने वाला पहलू यह कि बाल कल्याण समिति, बक्सर ने तीन माह पहले निरीक्षण के बाद एक रिपोर्ट दी थी। समिति ने आठ जनवरी को भी निरीक्षण के बाद अधिकारियों को भेजी गई रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया है। इसमें साफ लिखा है कि जो खामियां बताई गईं, उसे दूर करने का कोई प्रयास नहीं किया गया।

फुटेज में दिखा, बच्चों को पीट रही कर्मी

समिति के अध्यक्ष मदन सिंह ने आठ जनवरी को निरीक्षण के बाद जो रिपोर्ट भेजी, वह कुव्यवस्था की ओर स्पष्ट इशारा है। इसमें साफ लिखा है कि संस्थान में प्रवेश करते ही बच्चों के बिस्तर से मूत्र की गंध बता रही थी कि यहां साफ-सफाई की क्या स्थिति है। सीसीटीवी फुटेज से पता चल रहा है कि इन मासूमों को समय पर भोजन तक नहीं दिया जा रहा। बच्चे भूख से बिलखते नजर आए। 29 दिसंबर को सीसीटीवी फुटेज में देखा गया कि संस्थान में कार्यरत कर्मी बच्चों को मार रही है। दो माह से कम उम्र के अबोध को एक हाथ से उठाकर फेंकती दिख रही है। एक कटोरी में आहार लेकर उसी से कई बच्चों को भोजन दे रही है। बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। संस्थान के समन्वयक धर्मेंद्र कुमार के जिम्मे बच्चों के पोषाहार, दवा आदि की जिम्मेवारी है। इसमें भी घोर लापरवाही पाई गई है।

दो माह की बच्ची कुपोषित

दो माह की बच्ची प्रेरणा श्री का वजन जन्म के बाद 2.59 किलो था। दो माह बाद उसका वजन 2.96 किलो पाया गया। समिति ने यहां कार्यरत डॉ. ए अहमद से पूछा तो उन्होंने कहा कि बच्ची अति कुपोषित है। उसे हायर सेंटर के लिए तत्काल रेफर किया।

बैठ नहीं पा रहा बच्चा

तेजप्रताप की उम्र एक साल से कुछ ज्यादा है, लेकिन वह अपने बूते बैठ भी नहीं पाता है। इस बच्चे के संबंध में भी कोई जानकारी नहीं दी गई है, जबकि समन्वयक को तत्काल इसकी सुध लेनी चाहिए थी। यहां बच्चों को मच्छरदानी तक नहीं दी जाती है। उनके चेहरे पर मच्छरों के काटने के निशान हैं।

व्यवस्था से क्षुब्ध डॉक्टर देंगे इस्तीफा

इन बच्चों के बारे में क्या कहेंगे? विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान में अनुबंध पर कार्यरत डॉक्टर ए अहमद से सवाल करने पर वे कहते हैं कि वे समय-समय पर वहां जाते हैं। बच्चों की देखभाल करते हैं, पर व्यवस्था से क्षुब्ध हैं। अब रिजाइन करेंगे, यहां नहीं रहना है।

संस्थान में किस जिले के कितने बच्चे

जिला        बच्चों की संख्या

भोजपुर        02

बक्सर         08

रोहतास        01

कैमूर           00

 कुल          11

भोजपुर के जिलाधिकारी रोशन कुशवाहा का कहना है कि विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान में 14 जनवरी को ठंड लगने के कारण हुई बच्चे की मौत के मामले में सहायक निदेशक विनोद कुमार ठाकुर से रिपोर्ट मांगी है। इससे पहले दिसंबर में भी एक बच्चे की मौत हो चुकी है। इस पूरे प्रकरण में किस स्तर पर लापरवाही बरती गई है, जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद जिम्मेवार कर्मियों एवं पदाधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

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