अमित शाह ने दिया ऐसा मंत्र कि मान गए मुकेश सहनी, बिहार भाजपा की बड़ी मुश्किल हुई दूर

Bihar Politics बिहार की राजनीति में एक बार फिर अम‍ित शाह को दखल देना पड़ा। अम‍ित शाह के दखल के बाद वीआइपी के नेता मुकेश सहनी विधान परिषद चुनाव में उम्‍मीदवार बनने को राजी हो गए हैं। वे आज ही नामांकन पत्र दाखिल करेंगे।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Sun, 17 Jan 2021 09:59 AM (IST) Updated:Mon, 18 Jan 2021 10:08 AM (IST)
अमित शाह ने दिया ऐसा मंत्र कि मान गए मुकेश सहनी, बिहार भाजपा की बड़ी मुश्किल हुई दूर
अमित शाह ने दिया दखल तो मान गए मुकेश सहनी। जागरण

पटना, स्‍टेट ब्‍यूरो। Bihar Politics: बिहार भाजपा (Bihar BJP) को मुश्किल से निकालने के लिए एक बार फिर अमित शाह (Amit Shah) को अपनी एंट्री देनी पड़ गई। बिहार में विधान परिषद की दो सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव (Bihar legislative council by-election) से ठीक पहले विकासशील इंसान पार्टी यानी वीआइपी (VIP) के नेता मुकेश सहनी (Mukesh Sahani) के रुख से भाजपा ही नहीं, बिहार में एनडीए (Bihar NDA) के सामने मुश्किल खड़ी हो गई थी। भाजपा ने विधान परिषद की दो सीटों पर उपचुनाव के लिए एक सीट पर अपने बड़े नेता सैयद शाहनवाज हुसैन (Shahnavaj Husain को प्रत्‍याशी बनाने का फैसला किया है, जबकि दूसरी सीट पर वीआइपी के नेता मुकेश सहनी को उम्‍मीदवार बनने का ऑफर दिया था। भाजपा के सामने मुश्किल तब हुई, जब‍ मुकेश सहनी ने इस सीट से चुनाव लड़ने से मना कर दिया।

वीआइपी के रुख से परेशानी में पड़ गई थी भाजपा

विधान परिषद की दो सीटों पर उपचुनाव (By-election for Bihar legislative council) के लिए भाजपा के फैसले पर पहले वीआइपी (VIP) पार्टी ने असहमति जता दी थी। मुकेश सहनी ने खुद इस मुद्दे पर कुछ भी कहने की बजाय अपनी पार्टी के एक नेता राजीव मिश्रा से बयान दिलवाया था। मामले में सीधे केंद्रीय गृह मंत्री अम‍ित शाह के दखल देने के बाद मुकेश भाजपा के प्रस्‍ताव पर तैयार हो गए। राजीव मिश्रा ने कहा था कि अल्‍प कार्यकाल वाली सीट पर उपचुनाव में मुकेश उम्‍मीदवार नहीं बनेंगे। उन्‍हें पूरे छह साल कार्यकाल वाली सीट चाहिए। शनिवार की शाम भाजपा की तरफ से प्रस्‍ताव आया और रविवार की सुबह वीआइपी नेता के बयान से भाजपा में खलबली मच गई। बिहार में भाजपा के नेता और पटना जिले की दीघा विधानसभा सीट से विधायक संजीव चौरसिया ने कहा कि ऐसा कुछ अगर सामने आता है तो पार्टी मिल बैठकर मामले को सुलझा लेगी।

बिहार के चुनाव में नहीं दिखे, पर नजर रखते रहे अमित शाह

भाजपा के बड़े नेता अमित शाह अक्‍टूबर-नवंबर के दौरान हुए बिहार विधानसभा चुनाव में नहीं दिखे, लेकिन वे बिहार की राजनीति पर लगातार नजर रखते रहे। बिहार में सरकार गठन के दौरान भी उनकी सक्रियता देखने को मिली। इधर, विधान परिषद चुनाव में पेंच फंसने पर अम‍ित शाह ने सीधे मुकेश सहनी से संपर्क किया और उन्‍हें भाजपा के प्रस्‍ताव के साथ सहमत कर लिया। मुकेश सहनी ने रविवार की शाम ट्वीट कर कहा कि उनकी बात अमित शाह से हुई है और वे सोमवार को विधान परिषद चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करेंगे। उन्‍होंने अपनी पार्टी के नेताओं को संदेश दिया कि बिहार एनडीए में वीआइपी को काफी सम्‍मान मिल रहा है।

सहनी को भाजपा की शर्त मंजूर नहीं

एनडीए के घटक दलों में विधान परिषद की सीट को लेकर सियासी दांव-पेंच चरम पर है। विकासशील इंसान पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी को भाजपा अपने कोटे से विधान पार्षद बनवाना चाहती है, लेकिन सहनी छोटे कार्यकाल को लेकर विधान पार्षद बनने से बच रहे हैं। वे डेढ़ साल की बजाय छह साल वाले कोटे से विधान पार्षद बनाना चाहते हैं। हालांकि, मामले पर सहनी अब तक खुल कर सामने नहीं आए हैं। इधर, भाजपा नेता और पटना जिले के दीघा विधानसभा क्षेत्र से विधायक संजीव चौरसिया ने कहा है कि वीआइपी की ओर से ऐसी कोई बात अभी भाजपा के संज्ञान में नहीं आई है। अगर ऐसी कोई बात होती भी है तो दोनों पार्टियों के नेता मिल-बैठ कर इसका समाधान निकाल लेंगे।

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विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा के साथ आए सहनी

वीआइपी के मुकेश सहनी ने बीते वर्ष विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने के बाद महागठबंधन से संबंध खराब होने पर भाजपा के साथ गठबंधन बनाया था। भाजपा ने सहनी को विधानसभा की 11 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका दिया। हालांकि, सहनी के 11 में महज चार उम्मीदवार ही चुनाव जीतने में सफल रहे। खुद सहनी जिन्होंने सिमरी बख्तियारपुर से चुनाव लड़ा था अपनी सीट बचाने में सफल नहीं हो पाए। विधानसभा की 11 सीटों के साथ ही भाजपा ने विधान परिषद की एक सीट भी सहनी को देने का वादा किया था। यह चुनाव पूर्व का करार था।

मंत्री बने रहने के लिए चार महीने के अंदर सदन में चुना जाना जरूरी

 बता दें कि मुकेश सहनी अगर भाजपा के प्रस्ताव से असहमति जताते हैं तो उनका मंत्री पद भी मुश्किल में पड़ सकता है। प्रविधान के तहत उनके लिए छह महीने के भीतर किसी ना किसी सदन का सदस्य बनना जरूरी होगा। पिछले दो महीने से वह मंत्री हैं और किसी सदन के सदस्य नहीं हैं।

राज्‍यपाल कोटे से सदन में जाने का बचता है दूसरा रास्‍ता

सहनी अगर प्रस्ताव अस्वीकार कर देते तो उनके पास एक ही रास्ता बचता कि राज्यपाल कोटे से उच्च सदन का सदस्य बने। जिसके लिए फिलहाल भाजपा नेतृत्व तैयार नहीं दिखता। बता दें कि विधान परिषद की दो सीटें हाल ही में रिक्त हुई हैं। जिनमें से भाजपा ने एक पर पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन और दूसरी सीट पर मुकेश सहनी को उम्मीदवार बनाने का फैसला किया है। परन्तु सहनी अल्पकालिक विधान पार्षद नहीं बनना चाह रहे थे।

अधूरे कार्यकाल वाली सीट से बचना चाहते हैं उम्‍मीदवार

विकासशील इंसान पार्टी यानी वीआइपी के नेता मुकेश सहनी अधूरे कार्यकाल वाली सीट से उम्‍मीदवार नहीं बनना चाहते थे। वे चाहते हैं कि उन्‍हें पूरे छह साल कार्यकाल वाली सीट से चुनकर बिहार विधान परिषद में भेजा जाए। फिलहाल विधान परिषद की जिन दो सीटों के लिए चुनाव हो रहा है, उनका कार्यकाल क्रमश: करीब चार साल और डेढ़ साल ही बचा है। सूत्रों के मुताबिक, जिस सीट से मुकेश सहनी को उम्‍मीदवार बनाए जाने की तैयारी है, उसका कार्यकाल केवल डेढ़ साल ही (21 जुलाई 2022 तक) बचा है। यह सीट विनोद नारायण झा के विधानसभा में चुने जाने के बाद रिक्‍त हुई है।

दूसरी सीट पर प्रत्‍याशी बनाए गए हैं शाहनवाज हुसैन

विधान परिषद में रिक्‍त हुई दूसरी सीट पर शाहनवाज हुसैन को उम्‍मीदवार बनाया गया है। यह सीट सुशील कुमार मोदी के राज्‍यसभा में चुने जाने के बाद रिक्‍त हुई है। इस सीट का कार्यकाल करीब चार साल बचा है। मुकेश सहनी की टीस भी इसी बात को लेकर अधिक है। इसके बावजूद उन्‍होंने खुद इस मुद्दे पर अब तक मुंह नहीं खोला है। उनकी पार्टी के प्रवक्‍ता राजीव मिश्रा ने दावा किया था कि मुकेश नामांकन दाखिल नहीं करेंगे। बिहार विधानसभा में पहली बार वीआइपी से चार विधायक जीतकर आए हैं। ये सीटें वीआइपी को भाजपा के साथ समझौते के बाद मिली थीं। मुकेश सहनी खुद भी चुनाव लड़े, लेकिन उन्‍हें मामूली अंतर से हार का सामना करना पड़ा।

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