बिहार में आतंरिक वित्‍तीय सलाहकार को बड़ी जिम्‍मेदारी, अब बजट नियंत्रक की हैसियत से करेंगे काम

बिहार के वित्तीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की तैनाती। बजट बनाने से लेकर खर्च करने तक इनकी सलाह को तरजीह देनी होगी। आंतरिक वित्तीय सलाहकार विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रधान सचिव और सचिव के प्रति जवाबदेह होंगे।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 06:37 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 06:37 PM (IST)
बिहार में आतंरिक वित्‍तीय सलाहकार को बड़ी जिम्‍मेदारी, अब बजट नियंत्रक की हैसियत से करेंगे काम
आंतरिक वित्‍तीय सलाहकार को बड़ी जिम्‍मेदारी। सांकेतिक तस्‍वीर

पटना, राज्य ब्यूरो।  सरकारी विभागों के आंतरिक वित्तीय सलाहकार (Internal Financial Advisor) अब केवल पदधारक बनकर नहीं रहेंगे। उनकी नई भूमिका तय कर दी गई है। प्रधान वित्त सचिव डा. एस सिद्धार्थ के आदेश के मुताबिक अब ये बजट नियंत्रक (Budget Controller) की हैसियत से काम करेंगे। बजट बनाने से लेकर खर्च करने तक इनकी सलाह को तरजीह देनी होगी।आंतरिक वित्तीय सलाहकार विभाग के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव और सचिव के प्रति जवाबदेह होंगे। इनकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट संबंधित विभाग के प्रधान ही लिखेंगे, लेकिन रिपोर्ट की समीक्षा एवं स्वीकृति वित्त विभाग के सचिव और प्रधान सचिव के माध्यम से होगी। राज्य सरकार ने सभी विभागों में बिहार वित्तीय प्रशासन सेवा के अधिकारियों को आंतरिक वित्तीय सलाहकार के पद पर नियुक्त किया है। इनकी नियुक्ति पिछले साल सितंबर में हुई थी, लेकिन सलाह के विषयों का निर्धारण नहीं किया गया था। वित्त विभाग ने बुधवार को इसे जारी किया। 

इन बिंदुओं में बांटी गई भूमिका

वित्तीय सलाहकार और बजट नियंत्रक के रूप में आंतरिक वित्तीय सलाहकार की भूमिका को 27 बिंदुओं में बांटा गया है। वे बजट से संबंधित सभी मामलों को देखेंगे। यहां तक कि कोई विभाग यदि वित्त विभाग से धन की मांग करेगा, उस पर भी वित्तीय सलाहकार की टिप्पणी अनिवार्य होगी। इसके बिना वित्त विभाग संबंधित संचिका पर विचार नहीं करेगा। 

वित्त विभाग का निर्णय होगा अंतिम

किसी मामले में विभाग के प्रधान सचिव या सचिव, वित्तीय सलाहकार की राय से सहमत नहीं हैं तो वे अपनी टिप्पणी के साथ उस संचिका को वित्त विभाग के पास भेज देंगे। इन मामलों में वित्त विभाग का निर्णय ही मान्य होगा। विभागीय प्रधानों को कहा गया है कि वे किसी भी हालत में आंतरिक वित्तीय सलाहकारों से प्रशाखा पदाधिकारी का काम न लें। वित्तीय सलाहकार सरकार की विभिन्न योजनाओं की जांच करेंगे। वे सरकारी संपत्तियों के मोनेटाइजेशन के काम में विभाग का सहयोग करेंगे। पत्र के मुताबिक नीति आयोग या केंद्र सरकार को विभागों की ओर से दिए जाने वाले प्रतिवेदन को तैयार करने में वित्तीय सलाहकारों की मदद ली जाएगी। 

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