बिहार के सरकारी प्राइमरी स्कूलों को लेकर बड़ी खबर, अब अपनी स्‍थानीय भाषा में पढ़ सकेंंगे बच्चे

बिहार के सरकारी प्राइमरी स्‍कूलों में अब बच्चे अब अपनी क्षेत्रीय भाषा व मातृभाषा में पढ़ाई कर सकेंगे। इसकी जानकारी शिक्षा मंत्री विजय कुमार सिंह ने बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दौरान दी है। पूरी जानकारी के लिए पढ़ें यह खबर।

By Amit AlokEdited By: Publish:Thu, 04 Mar 2021 09:26 AM (IST) Updated:Fri, 05 Mar 2021 08:26 AM (IST)
बिहार के सरकारी प्राइमरी स्कूलों को लेकर बड़ी खबर, अब अपनी स्‍थानीय भाषा में पढ़ सकेंंगे बच्चे
बिहार के स्‍कूल में पढ़ाई। फाइल तस्‍वीर।

पटना, राज्य ब्यूरो। बिहार के सरकारी प्राइमरी स्‍कूलों के बच्चों के लिए यह बड़ी खुशखबरी है। बच्चे अब अपनी क्षेत्रीय भाषा व मातृभाषा में पढ़ेंगे-सीखेंगे। शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने इसकी घोषणा करते हुए कहा है कि सरकार ने बच्चों की शिक्षा का माध्यम मातृभाषा व क्षेत्रीय भाषा में कराने का फैसला किया है। मगही, मैथिली, भोजपुरी, अंगिका और  बज्जिका एवं उर्दू समेत अन्य क्षेत्रीय भाषा में बच्चों की पढ़ाई की मुकम्मल व्यवस्था होगी। वे विधानसभा में शिक्षा विभाग का बजट पेश करने के बाद सरकार की उपलब्धियों की चर्चा कर रहे थे। विधानसभा में बुधवार को शिक्षा विभाग को 380 अरब, 35 करोड़, 92 लाख, 80 हजार रुपये का बजट ध्वनिमत से पारित हुआ।

उच्च गुणवत्ता वाली पाठ्य-पुस्तकें होंगी तैयार

बच्चों की पढ़ाई का माध्यम मातृभाषा करने की चर्चा करते हुए शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी मातृभाषा में बच्चों को शिक्षा देने की बात कही है। सुप्रसिद्ध साहित्यकार फणीश्वर नाथ रेणु की तमाम कालजयी रचनाएं क्षेत्रीय भाषा में हैं। उन्होंने छोटे बच्चे अपनी मातृभाषा में चीजों को जल्दी सीखते और समझते हैं। इसीलिए नई शिक्षा नीति में कहा गया है कि कम से कम कक्षा पांच तक और अगर संभव हो तो कक्षा आठ और उसके बाद भी शिक्षा का माध्यम मातृभाषा, स्थानीय भाषा या क्षेत्रीय भाषा होना चाहिए। हम प्रयास करेंगे कि संबंधित मातृभाषा के विद्वानों व शिक्षाविदें द्वारा ं उच्च गुणवत्ता वाली पाठ्य-पुस्तकें तैयार कराकर बच्चों को उपलब्ध करायी जाएंगी।

जीडीपी की छह फीसद राशि खर्च करने का लक्ष्य हासिल

शिक्षा मंत्री ने सदन को जानकारी दी कि सरकार शिक्षा में गुणात्मक सुधार की दिशा में तेजी से आगे पढ़ रही है। सरकार के  बजट का बड़ा हिस्सा करीब 22 प्रतिशत (21.94 फीसद) राशि शिक्षा पर खर्च करने जा रही है। नई शिक्षा नीति में केंद्र सरकार ने जीडीपी का 6 फीसद राशि खर्च करने का लक्ष्य तय किया है। जबकि हमारी सरकार ने जीडीपी का 6 फीसद राशि शिक्षा पर खर्च करने का लक्ष्य हासिल कर चुकी है।

बच्चों के लर्निंग आउटकम पर फोकस

उन्होंने कहा कि सभी विद्यालयों में बुनियादी सुविधाओं का इंतजाम कर चुके हैं। सरकार वास्तविक शिक्षा की ओर बढ़ रही है। शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाने के साथ-साथ बच्चों के लर्निंग आउटकम पर फोकस किया जा रहा है। बच्चे क्या सीख रहे हैं, क्या पढ़ रहे हैं, इसका सत्यापन भी करने जा रहे हैं। बालिका शिक्षा को भी प्राथमिकता देने में तेजी लाने जा रही है ताकि महिला सशक्तीकरण में आगे बढऩे का सिलसिला जारी रहे।  

शिक्षकों को वाजिब हक के लिए परेशान नहीं करें अफसर

उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यवस्था के केंद्र में अब शिक्षक होंगे। उन्हें शिक्षण कार्य में शत-प्रतिशत योगदान देना होगा। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि शिक्षकों को वाजिब हक के लिए अफसर परेशान नहीं करें बल्कि उनकी समस्याओं को शीघ्रता से निराकरण करें। सरकार शिक्षकों की समस्याओं का समाधान करेगी लेकिन शिक्षकों को भी विद्यालयों में पढ़ाई की समस्याओं को दूर करना होगा।

chat bot
आपका साथी