तोता, खरगोश को पिंजड़े में रखने वाले हो जाएं सावधान, कटिहार से जा रहे दो लोगों पर हुई है कार्रवाई
वन्य प्राणियों को पिंजड़े में कैद कर रखना कानूनी अपराध है। इसके लिए सजा और जुर्माने का प्रावधान है। इसलिए यदि आप पिंजड़े में तोता खरगोश या पहाड़ी बिल्ली जैसे प्राणी को रखते हैं तो आप भी सावधान हो जाएं।
पटना, आनलाइन डेस्क। बिहार के कटिहार जिले से बंगाल ले जाए जा रहे 270 तोते को आरपीएफ ने बरामद किया। इसके साथ दो तस्करों को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। ऐसे में आपके मन में सवाल उठ सकता है कि क्या तोते की बिक्री भी तस्करी की श्रेणी में आती है। तो आप ये जान लीजिए कि ये तस्करी का मामला है और गैरकानूनी है। यदि आप भी अपने घर में तोता, कबूतर, खरगोश आदि को पिंजड़े में रखते हैं तो आप पर भी कार्रवाई हो सकती है। वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 49 और 51 के तहत कानूनी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 (Prevention of Cruelty to Animal Act 1960) के तहत बंदर, भालू सांप का करतब दिखाना भी गैरकानूनी है।
कानूनन अपराध है पशु-पक्षी को पिंजड़े में रखना
घरों में तोते, पहाड़ी चूहा, खरगोश आदि को लोग शौक से पालते हैं। उन्हें घरोंं में पिंजड़े में रखा जाता है। लोग कई तरह के पशु-पक्षियों को स्टेटस सिंबल के रूप में भी रखते हैं। लेकिन वाइल्डलाफ के मुताबिक यह अपराध है। तोते या किसी भी पक्षी को पिंजड़े में कैद कर रखना, उससे किसी तरह का लाभ लेने के लिए प्रशिक्षण देना भी अपराध है। भारतीय वन्य प्राणी अधिनियम में किसी को भी कैद में रखने की इजाजत नहीं दी गई है। जानवर की सिंग और दांत निकालना, उनकी खाल निकालना भी पशु क्रूरता के तहत आता है। इसके लिए संबंधित व्यक्ति को जेल जाना पड़ सकता है। यहां तक कि गाय-भैंस का दूध उत्पादन के लिए हानिकारक तरीका अपनाना भी गैरकानूनी है।
सजा और जुर्माना दोनों का है प्रावधान
Prevention of Cruelty to Animal act and Wildlife Act के तहत सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। यदि कोई पशु-पक्षी को शारीरिक यातना देता है तो उसे सौ रुपये जुर्माने के साथ तीन महीने तक की सजा हो सकती है। कोई पशु-पक्षी के अंग निकालता है तो 25 हजार जुर्माने के साथ सात साल तक की कैद में जाना पड़ सकता है। किसी पशु-पक्षी को बंधक बनाकर रखने और कष्ट देने पर तीन माह से एक साल तक की सजा हो सकती है।