बिहार में सरकार की जमीन कब्जा करने वाले हो जाएं सावधान; पटना, रोहतास, गया एवं भोजपुर में सबसे अधिक शिकायतें
Bihar Anti Encroachment Drive बिहार में सरकारी जमीन पर कब्जे के खिलाफ शुरू होगा सबसे बड़ा अभियान सरकार अपने कब्जे में लेगी कैसरे हिंद की जमीन बेदखल होंगे रैयत भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को लिखा पत्र
पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Land Reforms and Revenue Department: बिहार सरकार (Bihar Government) अब कैसरे हिंद (Kaisar-E-Hind Land) की जमीन पर अवैध रूप से रह रहे लोगों को बेदखल करेगी। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह (Vivek Kumar Singh) ने जिलाधिकारियों को पत्र लिख कर कहा है कि वे इस किस्म की जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराएं। अपर मुख्य सचिव के पत्र के मुताबिक इस तरह की जमीन पर अवैध कब्जे की अधिक शिकायत पटना, रोहतास, गया एवं भोजपुर जिलों से है। मठ या अन्य धार्मिक संरचना बनाकर सरकारी जमीन को हथियाने की कोशिश हो रही है।
कैसर-ए-हिंद की जमीन पर राज्य और केंद्र सरकार का होता है स्वामित्व
पत्र के मुताबिक आजादी के बाद कैसरे हिंद की जमीन के बारे में यह तय किया गया है कि केंद्र और राज्य सरकार का इस पर कब्जा रहेगा। स्वामित्व का निर्धारण भी इसी आधार पर किया गया कि संविधान लागू होने के बाद उस जमीन पर केंद्र और राज्य सरकार में से किसका कब्जा है। यानी जिसके उपयोग में जमीन है, बाद में भी उसी का स्वामित्व रहेगा। इसी तरह जंगल, झाड़ी, नदी, नाला आदि का स्वामित्व राज्य सरकार को दिया गया।
पूर्व जमींदार की ओर से की गई बंदोबस्ती भी होगी रद
पत्र में साफ कहा गया है कि जमींदार या पूर्व जमींदार को भी कैसरे हिंद की जमीन की बंदोबस्ती का अधिकार नहीं है। इसलिए कि जब जमींदार का स्वामित्व ही उस जमीन पर नहीं है तो वह किसी के नाम बंदोबस्ती कैसे कर सकता है। अपर मुख्य सचिव ने कहा है कि पूर्व जमींदारों द्वारा कैसरे हिंद की जमीन की बंदोबस्ती की गई तो उसे रद किया जाए। इसे सरकार के स्वामित्व में लिया जाए। सरकार के इस निर्देश के बाद जमीन पर अवैध रूप से कब्जा जमाए लोगों में हड़कंप मचा है। हालांकि इसमें एक दिक्कत यह है कि कब्जा करने वालों में तमाम रसूखदार लोग भी शामिल हैं। ऐसे में यह देखना होगा कि प्रशासन कैसे और कितने पारदर्शी तरीके से कार्रवाई करता है।