धड़ल्ले से हो रहा प्रतिबंधित पॉलीथिन का निर्माण
अनुमंडल क्षेत्र के कई इलाकों में घनी आबादी के बीच दो दर्जन छोटी-बड़ी प्रतिबंधित प्लास्टिक की फैक्ट्रियां चल रहीं हैं।
पटना सिटी । अनुमंडल क्षेत्र के कई इलाकों में घनी आबादी के बीच दो दर्जन छोटी-बड़ी प्रतिबंधित पॉलीथिन की फैक्ट्रियां चल रहीं हैं। निगम इन फैक्ट्रियों पर शिकंजा कसने की बजाए मंडियों और गली-मोहल्लों की दुकानों में छापेमारी कर महज खानापूर्ति कर रहा है। दुकानदारों का कहना है कि निर्माण ही ईमानदारी से रोक दिया जाए, तो बिक्री खुद ही बंद हो जाएगी। पॉलीथिन पर प्रतिबंध के बाद अनुमंडल क्षेत्र के आधा दर्जन स्थानों पर चल रहे बड़री फैक्ट्रियों का उद्भेदन हो चुका है। बावजूद इन पर लगाम अब तक नहीं लग पाया है।
नाम न छापने की शर्त पर लोगों ने बताया कि आधा दर्जन थाना क्षेत्रों में अवैध रूप से चल रहे दो दर्जन प्लास्टिक फैक्ट्रियों पर कार्रवाई की गुहार वे वरीय अधिकारियों से लगा चुके हैं। मंडी सूत्रों की मानें तो आधा दर्जन से अधिक ट्रांसपोटर बिना पक्का बिल के प्रतिबंधित पॉलीथिन दिल्ली से मंगाते हैं।
-थाना, निगम, बिजली व प्रदूषण विभाग में सेटिग से चलता है धंधा
लोगों की मानें तो अवैध कारोबारियों की सेटिंग स्थानीय थाना, नगर निगम, बिजली विभाग तथा प्रदूषण विभाग से है। इसके एवज में अधिकारियों को प्रतिमाह एक सम्मानित राशि पहुंच जाती है। इससे वे जानकर भी कुछ नहीं करते। घनी आबादी के बीच चल रहे प्लास्टिक कारखानों से आसपास का वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है। ------------------
- पटना सिटी में स्थित हैं दो दर्जन से भी अधिक छोटी-बड़ी पॉलीथिन की फैक्ट्रियां
- बिना पक्का बिल के ट्रांसपोर्टर प्रतिबंधित पॉलीथिन मंगा रहे दिल्ली से
- बंधी-बंधाई रकम पहुंच जाती है अधिकारियों के पास, इस कारण नहीं होती कार्रवाई
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