बिहार में लगातार चार दिनों तक बंद रहेंगी बैंकों की 7000 शाखाएं, साढ़े छह हजार एटीएम पर भी पड़ेगा असर
बैंक यूनियन का दावा बिहार में दो दिनी बैंक हड़ताल में एटीएम सेवा भी रहेगी ठप सरकार से मिला है आश्वासन निजीकरण के बाद भी बैंककर्मियों की नौकरी सुरक्षित लेकिन निजीकरण के बाद अगर बैंक डूबे तो क्या होगा लोगों के पैसे का
पटना, जागरण संवाददाता। Bank Strike in Bihar: यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के तत्वावधान में 15-16 मार्च को प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आम आदमी पर काफी असर पड़ सकता है। वजह यह है कि हड़ताल भले दो दिनों की हो, लेकिन इसके चलते बैंक लगातार चार दिन बंद रहेंगे, वो भी हिंदुओं के प्रमुख त्योहार होली से ठीक पहले। माना जा रहा है कि इस दौरान बैंकों के एटीएम भी खाली हो सकते हैं।
आम आदमी के हक में हड़ताल करने का दावा
इधर, यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के संयोजक संजय कुमार सिंह ने कहा है कि बैंककर्मी अपनी वेतन वृद्धि के लिए नहींं, बल्कि बैंकों में जमा आम लोगों की गाढ़ी कमाई बचाने को कर रहे हैं। उन्होंने कहा, आम बजट में आइडीबीआइ बैंक, दो सरकारी बैंक और एक सामान्य जीवन बीमा कंपनी का निजीकरण करने की घोषणा हुई है। आश्वासन मिला है कि किसी कर्मचारी की नौकरी नहीं जाएगी। हमारा कहना है कि निजीकरण के बाद अगर बैंक डूब जाएंगे तो लोगों के पैसे का क्या होगा?
सरकार जानबूझ कर दिखा रही घाटा
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीयकरण के बाद बैंकों के पैसे से ही हरित क्रांति व श्वेत क्रांति आई। गांवों में, पहाड़ी क्षेत्रों में बैंकिंग सुविधा देने से लेकर जीरो बैलेंस पर खाता हम खोल रहे हैं। क्या निजीकरण के बाद ऐसी सुविधाएं मिलेंगी? दरअसल, निजीकरण इसलिए हो रहा है, क्योंकि बड़े कार्पोरेट घराने आमलोगों के पैसे से कारोबार करना चाहते हैं। बैंक इंप्लाइज फेडरेशन-बिहार के अध्यक्ष बी प्रसाद ने कहा, सरकारी बैंकों का ऑपरेटिंग प्रॉफिट वर्ष 2009-10 में 76,945 करोड़ था, जो 2019-20 में बढ़कर 1,74,336 करोड़ रुपये हो गया। फिर भी इन्हें घाटे में दिखाया जा रहा है। विलफुल डिफॉल्टर की न सूची जारी हो रही है, न ही इन पर कार्रवाई हो रही है।
इतने बैंक और एटीएम पर असर का दावा
एआइबीओसी के महासचिव अजीत कुमार मिश्रा ने कहा कि देश में दस लाख, जबकि बिहार में 50 हजार कर्मचारी-अधिकारी हड़ताल पर रहेंगे। बिहार में 6,580 एटीएम, 7,116 शाखाएं और 30,931 सीएसपी बंद रहेंगे। सम्मेलन में एआइबीईए के महासचिव अनिरुद्ध प्रसाद, एआइबीओए के महासचिव आलम हसन, बेफी के महासचिव जेपी दीक्षित, आइएनबीओसी के महासचिव आरके चटर्जी ने भी संबोधित किया।