बड़ी पटनदेवी मंदिर का बदलेगा स्वरूप, 51 फीट ऊंचे मंदिर में बनेंगे दो द्वार और छह गुंबद
Badi Patandevi Temple बिहार की राजधानी पटना में स्थित बड़ी पटन देवी मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। कहा जाता है कि यहां सती के अवशेष गिरे थे। इसे शक्तिपीठों में शुमार किया जाता है। आजकल इस मंदिर का विकास किया जा रहा है।
पटना सिटी [अनिल कुमार]। मां सती के 51 शक्तिपीठों में एक बड़ी पटनदेवी मंदिर का धार्मिक महत्व काफी अधिक है। यहां माता के दर्शन के लिए काफी दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। पटना के लोगों में माता बड़ी पटनदेवी की शक्तियों को लेकर काफी विश्वास है। आजकल पटनदेवी मंदिर को नया रूप दिया जा रहा है। मंदिर के भवन का निर्माण मकराना के संगमरमर से प्रारंभ है। मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य कार्तिक पूर्णिमा से शुरू हुआ है। निर्णाण कार्य में राजस्थान के कारीगर जुटे हैं। शक्तिपीठ बड़ी पटनदेवी के महंत विजय शंकर गिरि ने शनिवार को बताया कि लगभग सात कट्ठा में स्थित मंदिर का गुंबद 63 फीट ऊंचा होगा।
गर्भगृह से हुआ निर्माण कार्य प्रारंभ
वर्ष 2020 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन पूजा- अर्चना के पश्चात भगवती के गर्भगृह में भक्तों को महालक्ष्मी, महाकाली और महासरस्वती की प्रतिमा को पूरब की ओर स्थापित कर दर्शन-पूजन कराया जा रहा है। महंत ने बताया कि मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य पूर्ण होने के बाद मां भगवती फिर से गर्भगृह में स्थापित की जाएगी। मंदिर में भगवती की प्रतिमा के दायीं ओर भैरवजी, शंकर-पार्वती, नंदी-नंदिनी, राधा-कृष्ण, बजरंगबली, साईंबाबा, शेर की प्रतिमा है। मंदिर परिसर में हवन कुंड भी जीर्णोद्धार के बाद उसी स्थान पर स्थापित होगा।
सरकारी स्तर से भी विकास की उम्मीद
पटना नगर निगम की महापौर सीता साहू ने शनिवार को बताया कि शक्तिपीठ बड़ी पटनदेवी के जीर्णोद्धार कार्य के लिए नगर विकास विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है। प्रस्ताव की स्वीकृति मिलने के बाद सरकारी स्तर पर विकास कार्य होने की भी उम्मीद है।
बड़ी पटनदेवी का इतिहास लिखा है दीवार पर
प्रजापति दक्ष ने अपने यज्ञ में सभी देवताओं को बुलाया, किन्तु शंकर जी को निमंत्रित नहीं किया। पिता के यहां यज्ञ का समाचार पाकर सती भगवान शंकर के विरोध करने पर भी पितृगृह चली गईं। दक्ष के यज्ञ में शंकर जी का भाग न देखकर और पिता दक्ष को शिव की निंदा करते सुनकर, क्रोध के मारे उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया। भगवन शंकर सती का प्रभावहीन शरीर कंधे पर लेकर उन्मत भाव से नृत्य करते त्रिलोक में घूमने लगे। यह देखकर भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती के शरीर को टुकड़े-टुकड़े करके गिरा दिया। सती के शरीर के खंड और आभूषण 51 स्थान पर गिरे। उन स्थानों पर एक-एक शक्ति और एक-एक भैरव, नाना प्रकार के स्वरूप धारण कर के स्थित हुए। उसी 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ (दक्षिण जंघा) मगध की राजधानी पाटलिपुत्र में गिरा, जो स्थान आगे चलकर श्री बड़ी पटनदेवी के नाम से विख्यात हुआ।
मकराना संगमरमर का रंग नहीं बदलता
शक्तिपीठ बड़ी पटनदेवी मंदिर के जीर्णोद्धार कार्य में जुटे राजस्थान के कारीगरों ने बताया कि मकराना संगमरमर पत्थर का रंग नहीं बदलता है। मकराना संगमरमर का प्रयोग ताजमहल के निर्माण में हुआ है। महंत ने बताया कि वर्तमान में जनसहयोग से शक्तिपीठ बड़ी पटनदेवी का निर्माण कार्य जारी है। जनसहयोग से मिली राशि से वर्ष 2021 के अंत तक निर्माण कार्य पूरा होने की उम्मीद है।
गुलजारबाग स्टेशन का नाम माता पटनेश्वरी करने का प्रस्ताव
महापौर ने बताया कि गुलजारबाग स्टेशन का नाम माता पटनेश्वरी करने के संबंध में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर प्रस्ताव देने का निर्णय लिया गया है। कारण कि बड़ी पटनदेवी आनेवाले लोग गुलजारबाग स्टेशन ही उतरते हैं।
घर बैठे निर्माण में सहयोग के लिए बैंक अकांउट
महंत ने बताया कि शक्तिपीठ बड़ी पटनदेवी मंदिर के निर्माण में सहयोग के लिए दो बैंक खाते भक्तों के लिए उपलब्ध कराए गए हैं। भक्त चाहें तो एसबीआई खाता संख्या 35799674200 तथा पीएनबी खाता संख्या- 0381000101880635 में घर बैठे मंदिर निर्माण में सहयोग कर सकते हैं।