कोरोना से बिहार को मिलेगी बड़ी राहत, विशेषज्ञों की मेडिकल टीम के साथ पटना में उतरी सेना
इएसआइसी हॉस्पिटल में कोरोना मरीजों के उपचार की कमान आर्म्ड फोर्स मेडिकल सर्विस (एएफएमएस) और बिहार रेजिमेंट के हाथ होगी। गुरुवार को भी वायु सेना के दो विशेष विमान से सेना की मेडिकल टीम भारी मात्रा में आकस्मिक चिकित्सा उपकरणों के साथ पटना पहुंच गई।
जितेंद्र कुमार, पटना: बिहटा में कर्मचारी राज्य बीमा निगम (इएसआइसी) हॉस्पिटल में कोरोना मरीजों के उपचार की कमान आर्म्ड फोर्स मेडिकल सर्विस (एएफएमएस) और बिहार रेजिमेंट के हाथ होगी। गुरुवार को भी वायु सेना के दो विशेष विमान से सेना की मेडिकल टीम भारी मात्रा में आकस्मिक चिकित्सा उपकरणों के साथ पटना पहुंच गई। इससे पहले बुधवार की रात भी दो विशेष विमान से सेना के डॉक्टर, पारा मेडिकल स्टाफ और नर्सिंग स्टाफ और जवान चिकित्सा सामग्री के साथ पटना पहुंचे थे। एयरपोर्ट से सेना की मेडिकल टीम बिहार रेजिमेंट दानापुर पहुंची। संभावना है कि सेना शुक्रवार को बिहटा स्थित इएसआइसी अस्पताल का कमान संभालने लेगी।
इलाज और दवा में देखने को मिलेगी पारदर्शिता
रक्षा सूत्रों के अनुसार कोरोना से बिहार के नागरिकों की सुरक्षा के लिए सेना ने विशेषज्ञों की टीम भेजी है। टीम में शिशु रोग, हृदय रोग, आंख, नाक और गला विशेषज्ञ भी शामिल हैं। ऑक्सीजन और वेंटिलेटर ऑपरेशन के लिए अलग से विशषज्ञों की टीम काम करेगी। एंबुलेंस और पैथोलॉजी के साथ रेडियोलाॅजिस्ट भी सेना के ही विशेषज्ञ होंगे। इएसआइसी अस्पताल में अब सेना का अनुशासन और इलाज और दवा में पारदर्शिता देखने को मिलेगी।
सेना के हवाले होने से बड़ी राहत
कोरोना संकट से जूझ रहा बिहार के लिए इएसआइसी अस्पताल का सेना के हवाले होने से बड़ी राहत मिलेगी। यहां करीब 300 बेड तैयार है लेकिन डॉक्टर, पारा मेडिकल स्टाॅफ के बिना आधुनिक चिकित्सा उपकरणों का उपयोग नहीं हो पा रहा था। योजना के अनुसार इस अस्पताल को 2011 में चालू होना था लेकिन देर से निर्माण और समय पर डॉक्टर और संचालन के लिए तकनीकी स्वास्थ्यकर्मियों की बहाली नहीं होने के कारण कंक्रीट के कमरे में उपकरण और बेड कैद होकर रह गया, यहां करीब 120 वेटिंलेटर स्थापित हैं। लैब, ऑक्सीजन प्लांट, ऑपरेशन थिएटर से लेकर तमाम उपकरण धरे के धरे हैं। राहत की बात है कि अब सेना इसे एक मिलिट्री हॉस्पिटल की तरह अनुशासित और पारदर्शिता के साथ सभी प्रकार के मरीजों की जांच, चिकित्सा और दवाएं देगी। सैन्य पदाधिकारियों की यहां 24 घंटे निगरानी रहेगी। मरीज और उनके अभिभावकों को भी सेना मदद करेगी।