पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को लगाई फटकार, कोरोना संक्रमितों के इलाज को लेकर लिया बड़ा निर्णय

पटना उच्च न्यायालय द्वारा कोविड-19 के मरीजों के लिए समुचित प्रबंधन नहीं होने संबंधी जनहित याचिका पर सरकार को फटकार के बाद रक्षा मंत्रालय से मदद मांगी गई है। इसके तहत अब बिहटा के ईएसआइसी हॉस्पिटल में सेना के डॉक्टर मरीजों का इलाज करेंगे।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 10:50 AM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 10:50 AM (IST)
पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को लगाई फटकार, कोरोना संक्रमितों के इलाज को लेकर लिया बड़ा निर्णय
पटना हाईकोर्ट ने कोरोना को लेकर बिहार सरकार को फटकार लगाई है। प्रतीकात्मक तस्वीर।

जागरण संवाददाता, पटना: पटना उच्च न्यायालय द्वारा कोविड-19 के मरीजों के लिए समुचित प्रबंधन नहीं होने संबंधी जनहित याचिका पर सरकार को फटकार के बाद रक्षा मंत्रालय से मदद मांगी गई है। सेना मुख्यालय स्थित आर्म्स फोर्स मेडिकल सर्विस निदेशालय ने बिहटा स्थित कर्मचारी बीमा निगम अस्पताल (ईएसआइसी हॉस्पिटल) में चिकित्सक और नर्सिंग स्टॉफ का प्रबंध करने का निर्देश दिया है। सेना के मध्य कमान लखनऊ को आर्म्स फोर्स मेडिकल सर्विस की ओर से सभी आवश्यक सेवाओं का प्रबंध करने का निर्देश दिया है। ऐसे में अब ईएसआइसी हॉस्पिटल में सेना के डॉक्टर मरीजों का इलाज करेंगे। 

पिछले साल भी था सेना के हवाले

बता दें कि कोरोना संक्रमण के दौरान पिछले साल भी कर्मचारी बीमा निगम अस्पताल (ईएसआइसी हॉस्पिटल) सेना के हवाले किया गया था। कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी आने के बाद सेना की टीम वापस लौट गई थी। बिहटा स्थित पांच सौ बेड का यह अस्पताल पटना के नजदीक है। पांच सौ बेड का है, जहां कोरोना के इलाज के लिए पर्याप्त इंतजाम हैं। मरीजों के भी यहां आने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी। यहां तकरीबन तीन सौ बेड पर ऑक्सीजन की व्यवस्था के साथ ही पर्याप्त संख्या में आइसीयू बेड, वेंटिलेटर आदि की सुविधा है। स्वास्थ्य विभाग ने यहां 50 नर्सों की प्रतिनियुक्ति पहले ही कर ली थी। इस बार अप्रैल में संक्रमण बढ़ने के बाद इस अस्पताल में एक बार फिर कोरोना मरीजों के इलाज की व्यवस्था की जाने लगी थी। 

बिहार स्वास्थ्य विभाग ने रक्षा मंत्रालय को लिखा था पत्र

गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से रक्षा मंत्रालय को पत्र लिख आग्रह किया गया था कि सेना के डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) के डॉक्टरों की टीम बिहार में प्रतिनियुक्त की जाए। मांग की गई थी कि उनकी देखरेख में ही इस अस्पताल का संचालन किया जाए। कोरोना के मामले को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने यह पत्र लिखा था। 

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