राजनेता के रिश्तेदार के गैराज पर चला बुलडोजर

मानहानि का मुकदमा करने की धमकी दी, एसडीएम ने नहीं सुनी और खड़े होकर तोड़वा दिया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 Sep 2018 11:02 PM (IST) Updated:Wed, 12 Sep 2018 11:02 PM (IST)
राजनेता के रिश्तेदार के गैराज पर चला बुलडोजर
राजनेता के रिश्तेदार के गैराज पर चला बुलडोजर

पटना । पुनाईचक रेलवे क्रॉसिंग के पास कई दुकानों पर बुधवार को बुलडोजर चला। आर ब्लॉक-दीघा रेलखंड की जमीन से कब्जा हटाने के दौरान चपेट में एक राजनेता के रिश्तेदार भी आ गए। वह अपने घर के आगे बने वाहनों के गैराज को नहीं तोड़ने देने की जिद पर अड़ गए। गैराज में टाइल्स बिछी थी। कई महंगे चार चक्का वाले वाहन इस गैराज में लगे थे। काफी विरोध के बाद भी एसडीएम सुहर्ष भगत ने कुछ नहीं सुना और गैराज पर बुलडोजर चलवा दिया। इस बीच राजनेता के रिश्तेदार ने कई अधिकारियों और बड़े-बड़े नेताओं के पास फोन किया। गैराज मालिक की ओर से एसडीएम पर मानहानि का मुकदमा करने सहित कई प्रकार की धमकी भी दी गई। इस बीच भीड़ इकट्ठा हो गई, लेकिन एसडीएम अपने निर्णय से टस से मस नहीं हुए। निर्देश दिया कि पहले गैराज को तोड़ो, तब नापी होगी। नापी में पाया गया कि रेलवे की जमीन पर ही इसका निर्माण हुआ था। बताया जा रहा है कि गैराज मालिक एक केंद्रीय मंत्री का रिश्तेदार है। इस दौरान तीन मकानों के आगे का हिस्सा भी तोड़ा गया।

अपने ससुर का घर बचाने पहुंचा दामाद

अपने ससुर के घर के आगे के भाग को तोड़े जाने की जानकारी मिलते ही दामाद पहुंच गया। तब तक प्रशासन घर के आगे के भाग को ध्वस्त कर चुका था। दामाद पूरी स्थिति को देखकर वापस लौट गया। बताया जाता है कि वह केंद्रीय मंत्री का पुत्र था। उसके ससुर के मकान के आगे का भाग तोड़ा गया। ये लोग बताते रहे कि उनकी जमीन है। हम रेलवे के जमीन में नहीं हैं। केंद्रीय मंत्री पटना जिले के ही सांसद हैं। अंत में नापी की गई तो रेलवे की जमीन निकली।

झोपड़ियों से अपना सामान बचाने में जुटे रहे लोग

इसके पहले पुनाईचक रेलवे क्रॉसिंग के पास सभी झोपड़ियां ध्वस्त कर दी गई। यहां छोटे-छोटे बच्चों की संख्या काफी थी। सब के सब अपनी टूटती झोपड़ी से सामान बचाने में लगे रहे। दूसरी तरफ बुलडोजर चलने के पहले ही हड़ताली मोड़ से पाटलिपुत्र पानी टंकी के बीच रेलवे लाइन से खटाल स्वत: हट गए। एक भी मवेशी नहीं मिला। कब्जा हटाने पहुंची टीम को झोपड़ियां खाली करते लोग मिले। झोपड़ियों से समान निकालने के लिए प्रशासन ने समय दिया और झोपड़ियों को तोड़ते हुए बुलडोजर आगे बढ़ते गया। बेली रोड से सटे क्षेत्र में बड़ी संख्या में झोपड़ियों को चार-चार बुलडोजर ने कुछ ही देर में ध्वस्त कर दिया। शाम पांच बजे तक अतिक्रमण हटाओ अभियान पाटलिपुत्र पानी टंकी के कुछ पहले समाप्त हो गया। शिवपुरी के पास सड़क नाला और उसके बाद झोपड़ियां मिलीं। इसके बीच भी बुलडोजर चला गया और सभी झोपड़ियों को ध्वस्त कर दिया। अतिक्रमण हटाओ अभियान में एसडीएम सुहर्ष भगत, सहायक जिला दंडाधिकारी तनय सुलतानिया, डीसीएलआर शशि शेखर, अंचलाधिकारी प्रदीप कुमार सिन्हा आदि मौजूद थे।

सब्जी मंडी हो गई ध्वस्त

शिवपुरी सब्जी मंडी के पास बुलडोजर पहुंचते ही सब्जी विक्रेताओं में भगदड़ मच गई। कुछ ही देर में सभी विक्रेता सब्जी लेकर भाग निकले। बुलडोजर से सब्जी मंडी को ध्वस्त कर दिया गया।

आज पानी टंकी से आगे चलेगा अभियान

पाटलिपुत्र पानी टंकी से राजीव नगर के बीच गुरुवार को अतिक्रमण हटाओ अभियान चलेगा। इस बीच बड़ी संख्या में खटाल हैं। जिला प्रशासन ने खटालों के मवेशी को पकड़कर वेटनरी कॉलेज में ले जाने की व्यवस्था की है। मवेशी को पकड़ लेने की तैयारी है, हालांकि बुधवार को चले अभियान में एक भी मवेशी नजर नहीं आया।

अतिक्रमणकारी कोई भी हो, नहीं छोड़ा जाएगा : एसडीएम

पटना सदर अनुमंडल के एसडीएम सुहर्ष भगत ने कहा कि अतिक्रमणकारी कोई भी हो, उसको छोड़ा नहीं जायेगा। तोड़ दिया जाएगा। झोपड़ियां हो या पक्का के मकान हो। जल्द से जल्द हटा लें।

मलबे को हटाने ट्रैक्टर के साथ उतरे निगमकर्मी

मलवे को हटाने के लिए नगर निगम के कर्मी मलवे को उठाने के लिए उतर गए हैं। मलवे को हटाने का कार्य प्रारंभ हो गया है।

हमें कोई बताए, हम कहां रहेंगे

पटना : बेलीरोड से सटे रेलवे लाइन पर झोपड़ी में रहने वाली रीता देवी दो छोटे-छोटे बच्चों के साथ बेघर हो गई। सवाल पूछती है कि हमें कोई बताए, कि कहां बच्चों को लेकर रहूंगी। सास और पति के साथ सब्जी बेचने का कार्य करती हूं। सास आशा देवी बताती हैं कि 1975 से झोपड़ी बनाकर रह रही हूं। अब तक तय नहीं हो पाया है कि कहां रहकर सब्जी बेचने का कार्य करना है।

बंटी अपनी बहन के साथ झोपड़ी से सामान निकालते मिला। भाई-बहन सामान बचाने में जुटे हैं। कई छोटे-छोटे बच्चे खेलकूद में व्यस्त हैं। बंटी बताता है कि ठहरने की जगह तलाश लिए हैं। पुनाईचक रेलवे क्रासिंग के पास छोटे-छोटे बच्चों की संख्या काफी थी। सब के सब टूटती झोपड़ी को देखने का आनंद लेते नजर आए। उन्हें यह पता भी नहीं चल पा रहा था कि उनका घर टूट गया।

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