बिहार में बड़े झटके से बचा JDU: नाराज Ex MP ने दिया इस्तीफा, फिर लिया वापस

लोकसभा चुनाव के लिए टिकट नहीं मिलने से नाराज जदयू के पूर्व सांसद कैलाश बैठा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। लेकिन नीतीश कुंमार से बातचीत के बाद उसे वापस भी ले लिया।

By Kajal KumariEdited By: Publish:Mon, 25 Mar 2019 01:32 PM (IST) Updated:Mon, 25 Mar 2019 11:36 PM (IST)
बिहार में बड़े झटके से बचा JDU: नाराज Ex MP ने दिया इस्तीफा, फिर लिया वापस
बिहार में बड़े झटके से बचा JDU: नाराज Ex MP ने दिया इस्तीफा, फिर लिया वापस
पटना [जेएनएन]। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार में जदयू को बड़ा झटका लगते-लगते बचा। वाल्मीकिनगर संसदीय सीट से टिकट नहीं मिलने के कारण नाराज वहां के पूर्व सांसद कैलाश बैठा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने जिलाध्यक्ष पद से भी इस्तीफा देते हुए पार्टी के सभी पदों से खुद को अलग कर लिया। यह हाई वोल्‍टेज ड्रामा घंटों चला। बाद में जदयू सु्प्रीमो व मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार से बातचीत के बाद उन्‍होंने इस्‍तीफा वापस ले लिया।
टिकट नहीं मिलने से नाराज जदयू के जिलाध्यक्ष व पूर्व सांसद कैलाश बैठा ने सोमवार की सुबह में इस्तीफा दिया और दोपहर बाद मुख्‍यमंत्री से मोबाइल पर बात करने के बाद मान गए। हालांकि, उनके इस्तीफे के पेशकश से करीब पांच घंटे तक राजनीतिक गलियारे में भूचाल मचा रहा। 
जिलाध्यक्ष सह पूर्व सांसद पार्टी में अपनी अनदेखी किये जाने नाराज थे। उन्होंने एक वीडियो बयान जारी कहा था कि पार्टी ने कार्यकर्ताओं की राय जानने के बाद भी अनदेखी की और उम्मीदवार थोप दिया। ऐसे में जिलाध्यक्ष पद के साथ ही दल में बने रहने का कोई औचित्य नही है। वे आरक्षित कोटि से आते हैं और पूर्व में भी पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतर चुके हैं। इसके बावजूद उनकी अनदेखी कर किसी भी सीट पर उनकी दावेदारी को मंजूर नहीं किया गया।
कैलाश बैठा के इस बयान के बाद जदयू कार्यकर्ताओं में हड़कंप मच गया। सोशल मीडिया पर इस्तीफे की खबर तेजी से वायरल हुई। इस बीच दोपहर बाद इस हाई वोल्टेज ड्रामे में तब नया मोड़ आ गया जब पार्टी उम्मीदवार बैद्यनाथ प्रसाद महतो उनके आवास पर पहुंचे। उन्होंने पूर्व सांसद की बात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कराई। तब जाकर वे माने और अपने इस्तीफे को वापस लेने की औपचारिक घोषणा की।
बता दें कि उनके जदयू छोड़ने की घोषणा के बाद पार्टी में भूचाल आ गया था। उन्होंने सीधे तौर पर पार्टी नेतृत्व पर यह आरोप लगाया था कि उनकी वफादारी का कोई इनाम नहीं मिला।
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