Anant Chaturdashi: अनंत चतुर्दशी का व्रत आज, यहां जानें पूजा का मुहूर्त और अन्‍य महत्‍वपूर्ण बातें

Anant Chaturdashi Muhurt अनंत चतुर्दशी व्रत रविवार को भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी तिथि को शतभिषा नक्षत्र में मनाया जाएगा। श्रद्धालु सृष्टिकर्ता निर्गुण ब्रह्म नारायण की भक्ति भाव से पूजा करते हुए अनंत चतुर्दशी का व्रत रखेंगे। यहां आप पूजा का शुभ मुहूर्त जान सकेंगे।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 08:35 AM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 08:35 AM (IST)
Anant Chaturdashi: अनंत चतुर्दशी का व्रत आज, यहां जानें पूजा का मुहूर्त और अन्‍य महत्‍वपूर्ण बातें
बिहार में मनाया जा रहा है अनंत चतुर्दशी का त्‍योहार। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, जागरण संवाददाता। Anant Chaturdashi: अनंत चतुर्दशी व्रत रविवार को भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी तिथि को शतभिषा नक्षत्र में मनाया जाएगा। श्रद्धालु सृष्टिकर्ता निर्गुण ब्रह्म नारायण की भक्ति भाव से पूजा करते हुए अनंत चतुर्दशी का व्रत रखेंगे। दूध-दही, पंचामृत आदि से निर्मित क्षीरसागर में कुश के बने अनंत भगवान का मंथन कर, इसकी विधिवत पूजा करेंगे। श्रीहरि की पूजा में भगवान को गुलाबी और पीले फूल, पुष्प में इत्र मिलाकर चढ़ाने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। खास मनोकामना पूर्ति के लिए श्रद्धालु भृंगराज के पत्ते, शमीपत्र, तुलसी पत्र व मंजरी, धातृ के पत्ते अनंत भगवान को अर्पित कर सकते हैं।

अनंत चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त

चतुर्दशी तिथि:- पूरे दिन

चर मुहूर्त: प्रात: 07:09 बजे से 08:41 बजे तक

लाभ योग: सुबह 08:41 बजे से 10:12 बजे तक

अमृत मुहूर्त: सुबह 10:12 बजे से 11:43 बजे तक

अभिजीत मुहूर्त:-  दोपहर 11:19 बजे से 12:07 बजे तक

क्रोध, लोभ और माया का त्याग करना ही आकिंचन्य धर्म

इधर, जैन महापर्व पर्युषण के नौवें दिन दिगम्बर जैन मंदिर मीठापुर, कदमकुआ, मुरादपुर आदि जैन मंदिरों में शान्तिधारा और पूजा की गई। एम पी जैन ने बताया कि मीठापुर दिगम्बर जैन मंदिर में भोपाल, मध्य प्रदेश से आए ब्रह्मचारी सुमत भैया ने मानव धर्म आकिंचन्य  की संगीतमय पूजा कराई। पूजा में इंदौर से आए मनोज पुजारी ने सहयोग किया। नौवे दिन की शांतिधारा दीपक कासलीवाल जैन ने की। प्रथम कलश और दीप प्रज्ज्वलन ऋषभ छाबड़ा ने किया।

ब्रह्मचारी सुमत भैया ने कहा कि पर्युषण पर्व का नौवा दिवस 'उत्तम आकिंचन्य'  नामक दिवस है। आङ्क्षकचन्य शब्द का अर्थ है जिसके पास कुछ भी न हो। खाली होने का नाम ही आकिंचन्य है। जैसे जब कोई साधक क्रोध, मान, माया, लोभ और पर-पदार्थों का त्याग आदि करते हैं। उधर, कदमकुआं जैन मंदिर में पर्युषण पर उत्तम आकिंचन्य धर्म की पूजा राजस्थान से आई ब्रह्मचारिणी अर्चना दीदी और ब्रह्मचारिणी मंजु दीदी ने संपन्न कराई।

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