Bihar Election 2020: नेताओं के सामने गजब की दुविधा, पिछड़े तो बिना सेनेटाइजर के मलते रह जाएंगे हाथ

Bihar Politics News चुनाव को लेकर राजनेताओं के सामने गजब की दुविधा। एक तरफ कोरोना का डर तो दूसरी तरफ सत्ता की लड़ाई। पिछड़े तो पांच साल तक बिना सेनेटाइजर के हाथ मलते रह जाएंगे।

By Rajesh ThakurEdited By: Publish:Wed, 08 Jul 2020 03:47 PM (IST) Updated:Thu, 09 Jul 2020 02:05 PM (IST)
Bihar Election 2020: नेताओं के सामने गजब की दुविधा, पिछड़े तो बिना सेनेटाइजर के मलते रह जाएंगे हाथ
Bihar Election 2020: नेताओं के सामने गजब की दुविधा, पिछड़े तो बिना सेनेटाइजर के मलते रह जाएंगे हाथ

पटना, अरुण अशेष। राजनेताओं के सामने शायद ऐसी दुविधा कभी नहीं रही होगी। एक तरफ कोरोना का डर है और दूसरी तरफ सत्ता की लड़ाई है। पिछड़ गए तो पांच साल तक बिना सैनिटाइजर के हाथ मलते रहने के अलावा कोई काम नहीं बचेगा। लिहाजा, सत्ता की लड़ाई में शामिल राजनेता कोरोना से डर रहे हैं। चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। एक तरह से वे एक साथ दो मोर्चे पर जीत हासिल करने के लिए जंग लड़ रहे हैं। आपसी बातचीत में राजनेता निर्धारित समय पर विधानसभा चुनाव होने को लेकर बहुत उत्साहित नहीं, मगर उन्हें पक्के तौर पर इत्मीनान भी नहीं है कि चुनाव टल ही जाएंगे।

आपस में ही होड़ करते नजर आ रहे जदयू और बीजेपी

यह मनोदशा उन्हें चुनाव की तैयारी में जी-जान से जुट जाने के लिए प्रेरित करती है। बगैर सामने गए जनता से नजदीकी बढ़ाने के लिए सभी दल तकनीक का सहारा ले रहे हैं। सिर्फ वामपंथी पार्टियां तकनीक का सहारा नहीं ले रही हैं। इस मोर्चे पर एनडीए के दो बड़े घटक दल जदयू और बीजेपी आपस में ही होड़ करते नजर आ रहे हैं। कोरोना से निबटने की केंद्र सरकार की तैयारियों पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। बेशक इसमें सात राज्यों की भाजपा इकाइयां शामिल थीं, लेकिन बिहार के संदर्भ में इसे चुनाव से ही जोड़ कर देखा गया है।

प्रधानमंत्री ने की छठ पूजा की चर्चा, भोजपुरी में बोले

प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संदेश में छठ पूजा की चर्चा और बीच-बीच में बिहारी बोली-भाषा के इस्तेमाल को भी चुनावी रणनीति का ही हिस्सा माना गया। उन्‍होंने भोजपुरी भाषा में संबोधित किया था। गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव आदि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यकर्ताओं को संबोधित कर चुके हैं।

जदयू नेता आरसीपी ने खोला मोर्चा

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य से लेकर पंचायत स्तर तक के प्रतिनिधियों की वर्चुअल रैली की। अब संगठन के राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा में जदयू के नेता आरसीपी सिंह मोर्चा खोल कर बैठ गए हैं। अंत में मुख्यमंत्री शामिल होंगे। मंगलवार को उन्होंने प्रकोष्ठों के साथ वर्चुअल संवाद किया। वे बारी-बारी से सभी संगठनों से संवाद करेंगे। इस क्रम में आरसीपी कार्यकर्ताओं को बता रहे हैं कि वे जनता के बीच जाकर राज्य सरकार की उपलब्धियों की चर्चा करें। लोगों को बताएं कि लालू-राबड़ी के 15 वर्षों के शासन की तुलना में नीतीश कुमार का शासन उनके लिए कितना फायदेमंद रहा। वह नसीहत देना नहीं भूलते कि आम लोगों से संपर्क के दौरान कोरोना के प्रोटोकॉल का पालन करें।

महागठबंधन भी कर रहे हैं वीसी

महागठबंधन के दल राजद, कांग्रेस, रालोसपा, हम और विकासशील इंसान पार्टी के नेता भी छिटपुट तौर पर जन संवाद के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का सहारा ले रहे हैं। हालांकि, जदयू-भाजपा की तरह इन दलों की रफ्तार तेज नहीं है। 

बड़े-बड़े नेता भी आ रहे चपेट में

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लॉकडाउन के बाद भी लंबे समय तक सरकारी आवास से नहीं निकले तो उनकी आलोचना होने लगी। अब ऐसी ही सावधानी दूसरे नेता बरत रहे हैं। विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रो. रघुवंश प्रसाद सिंह, पूर्व सांसद पुतुल देवी, विधान परिषद सदस्य प्रो. गुलाम गौस, संजय कुमार सिंह, विधायक जीवेश मिश्रा और गायत्री देवी, परिहार विधायक सहित कई नेताओं के संक्रमित होने के बाद इस बिरादरी के लोगों ने भी कोरोना को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है। विधान परिषद के एक समारोह में शामिल 650 की जांच हुई तो 50 लोग पॉजिटिव पाए गए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भतीजी भी कोरोना पॉजिटिव पाई गईं। बड़े लोगों के संक्रमित होने की इन खबरों ने जमीनी कार्यकर्ताओं को भी डरा दिया है। 

चुनाव आयोग समय पर चुनाव कराने को तैयार

सत्ता की लड़ाई में कूद पड़े लोगों को भरोसा है कि अगस्त तक स्थिति इस स्तर पर पहुंच जाएंगी, जिसमें चुनाव कराना संभव हो सकेगा। पिछले चुनाव की तारीखों को देखते हुए माना जा रहा है कि अगस्त तक चीजें सुधर जाएं तो समय पर चुनाव संभव हैं। 2015 के विधानसभा चुनाव के लिए नौ सितंबर को अधिसूचना जारी हुई। 12, 16, 28 अक्टूबर के साथ एक और पांच नवंबर को कुल पांच चरणों में मतदान हुए। आठ नवंबर को वोटों की गिनती हुई। 20 नवंबर से 16वीं विधानसभा का कार्यकाल शुरू हुआ। यह 15वीं विधानसभा के कार्यकाल से नौ दिन पहले थे। उसका कार्यकाल 29 नवंबर, 2010 को शुरू हुआ था। इसी बीच आज बुधवार को एक चैनल से बात करते हुए मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त ने साफ कर दिया कि बिहार में समय पर चुनाव कराने को निर्वाचन आयोग तैयार है। 

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