Bihar: गैर जरूरी बैंक खाते बंद करने का फिर आदेश, वित्‍त विभाग के प्रधान सचिव ने दी यह हिदायत

गैर जरूरी बैंक खाते को बंद करने के लिए चार साल में छठा आदेश।वित्त विभाग के प्रधान सचिव ने फिर लिखा पत्र। वित्त विभाग के प्रधान सचिव डा. एस सिद्धार्थ ने बुधवार को जारी अपने आदेश में कहा है कि विभागाध्यक्ष इस पर तत्काल अमल करें।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 06:19 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 06:19 PM (IST)
Bihar: गैर जरूरी बैंक खाते बंद करने का फिर आदेश, वित्‍त विभाग के प्रधान सचिव ने दी यह हिदायत
वित्‍त विभाग के प्रधान सचिव ने लिखा हिदायत भरा पत्र। प्रतीकात्‍मक फोटो
पटना, राज्‍य ब्‍यूरो। : सरकार ने सभी विभागाध्यक्षों को सख्त लहजे में कहा है कि गैर-जरूरी बैंक खाते (Non Essential Bank Accounts) तुरंत बंद किए जाएं। ऐसे खाते जो व्यवहार में नहीं हैं उनमें बड़ी रकम जमा है। इनका उपयोग नहीं हो रहा है। वित्त विभाग के प्रधान सचिव डा. एस सिद्धार्थ (Principle Secretary S Sidhharth) ने बुधवार को जारी अपने आदेश में कहा है कि विभागाध्यक्ष इस पर तत्काल अमल करें। पत्र में व्यवहार में न रह गए बैंक खाते के अलावा अन्य बैंक खाते में जमा एवं खर्च न हो सकी सरकारी राशि को समेकित निधि में जमा करने के लिए कहा गया है। इस विषय पर वित्त विभाग 2017 के बाद छह आदेश जारी कर चुका है। 
पत्र में अनुशासन कायम करने के लिए हिदायत भी

सिद्धार्थ के पत्र में वित्तीय अनुशासन कायम रखने के लिए विभागाध्यक्षों की कई हिदायतें दी गई हैं। कहा गया है कि कोषागार से उतनी ही राशि निकाली जाए, जितनी तत्काल भुगतान के लिए जरूरी है। किसी भी हालत में कोषागार से निकाली गई राशि को बैंक खाते में जमा कर उसे अवरूद्ध न करें। लाभुकों के खाते में सीधे भुगतान के मामले में भी अनुशासन बरतने का निर्देश दिया गया है। किसी मद में भुगतान के बाद रिकार्ड में यह दर्ज करना है कि संबंधित खाते में अब कितनी राशि बची है। ऐसा न करना वित्तीय अनुशासनहीनता के दायरे में आएगा। 

लंबे समय से कह रहा है विभाग

बैंक खाता में संचित और उपयोग नहीं हुई राशि को समेकित खाते में जमा करने और गैर-जरूरी खाता को बंद करने के बारे में वित्त विभाग का आदेश नया नहीं है। बीते चार वर्षों से वित्त विभाग इस कवायद में जुटा है। बुधवार के ताजा आदेश से पहले 2017 से लेकर अब तक विभागों को पांच बार ऐसे ही आदेश दिए जा चुके हैं। 2018 और 2019 में ऐसे दो-दो आदेश दिए गए हैं। साल भर पहले 20 अप्रैल को भी इस विषय में वित्त विभाग ने एक आदेश जारी किया था। साल भर बाद फिर आदेश जारी करने की नौबत आ गई। 

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