Pitrupaksha 2021: आज अगस्त्य मुनि को तर्पण के बाद कल से पितृपक्ष का आरंभ, जानिए खास बातें व तिथियां

Pitrupaksha 2021 पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने का समय पितृपक्ष कल से शुरू हो रहा है। इससे एक दिन पहले अगस्‍त्‍य मुनि काे तर्पण किया जाएगा। हिंदू धर्म में यह बेहद महत्‍वपूर्ण माना जाता है। आइए जानें इससे संबंधित कुछ खास बातें।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 06:06 PM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 10:22 AM (IST)
Pitrupaksha 2021: आज अगस्त्य मुनि को तर्पण के बाद कल से पितृपक्ष का आरंभ, जानिए खास बातें व तिथियां
21 सितंबर से छह अक्‍टूबर तक चलेगा पितृपक्ष। सांकेतिक तस्‍वीर

पटना, जागरण संवाददाता। Pitrupaksha 2021 अपने पितरों को याद करने और उनकी कृपा पाने का प्रमुख समय पितृपक्ष का आरंभ भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा के दिन सोमवार को अगस्त्य मुनि के तर्पण के साथ हो जाएगा। वहीं 21 सितंबर मंगलवार को आश्विन कृष्ण प्रतिपदा तिथि से पितरों को तर्पण करने का सिलसिला आरंभ होगा। यह आश्विन मास के कृष्णपक्ष की अमावस्या के दिन छह अक्टूबर को संंपन्‍न होगा। ज्योतिष आचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि पूर्णिमा के दिन अगस्त्य मुनि का तर्पण करके उनको जल दिया जाता है। इसके बाद प्रतिपदा तिथि यानी आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की पहली तिथि 21 सितंबर से पितरों को जल दिया जाएगा। ज्योतिष आचार्य ने बताया कि कुंडली में पितृ दोष के शांति, पितरों का आशीर्वाद, पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण पर पिंडदान करने की परंपरा है। पितृपक्ष में द्वितीय तिथि दो दिन हो जाने के कारण पितरों की कृपा पाने के लिए पूरे 16 दिन मिलेंगे। मान्यता है कि पितरों को जल और तिल से तर्पण करने से उनकी आत्मा तृप्त होती है और उनका आशीष परिवार के सदस्यों पर बना रहता है। 

तीन पुरखों का होगा तर्पण 

ज्योतिष आचार्य ने वैदिक कर्मकांड पद्धति के हवाले से बताया कि पितृपक्ष में पिता, पितामह, प्रपिताामह तथा मातृ पक्ष में माता, पितामही, प्रपितामही, इसके अलावा नाना पक्ष में मातामह, प्रमातामह, वृद्धप्रमातामह वहीं नानी पक्ष में मातामही, प्रमातामही, वृद्ध प्रमातामही के साथ अन्य संबंधी जो मृत्यु को प्राप्त हुए हैं उनका गोत्र नाम लेकर तर्पण किया जाता है। 

समर्पण के साथ करें तर्पण 

पंडित गजाधर झा ने कि पितृपक्ष के दौरान तर्पण करने वाले लोगों को अपने पितरों के प्रति समर्पण जरूरी है। समर्पण के साथ श्रद्धा पूर्वक तर्पण करने से पितरों का आशीष हमेशा बना रहता है। शास्त्रों में पितृ ऋण, देव ऋण, गुरु ऋण का महत्व बताया गया है। विष्णु पुराण के अनुसार श्राद्ध से तृप्त होकर पितर कामनाओं को तृप्त करते हैं। पितृपक्ष में जल और तिल से तर्पण करना चाहिए। ज्योतिष आचार्य ने बताया कि अमावस्या तिथि को सर्वपितृ श्राद्ध कहा जाता है। इस दिन अमावस्या तिथि में मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों के अलावा जिनकी मृत्यु की तिथि का पता नहीं हो ऐसे में अमावस्या तिथि के दिन श्राद्ध कर्म करने का विधान है। 

पितृपक्ष तिथि  अगस्त्य ऋषि तर्पण- 20 सितंबर  पितृपक्ष आरंभ (प्रतिपदा) -  21 सितंबर  चतुर्थी श्राद्ध - 25 सितंबर मातृ नवमी - 30 सितंबर इंदिरा एकादशी- दो अक्टूबर  चतुर्दशी श्राद्ध-  05 अक्टूबर    अमावस्या, महालया व सर्वपितृ विसर्जन - 06 अक्टूबर

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