जेल भेजने का मकसद किसी को प्रताड़ि‍त करना नहीं, उसमें सुधार के मौके उपलब्‍ध कराना

आठ साल पहले 12 दिसंबर 2012 को ही बदला गया था अंग्रेजों का बनाया कानून इस खास मौके को याद करने के लिए कारा दिवस पर प्रदेश की सभी जेलों में कार्यक्रम हुआ आयोजित बंदियों को दिया गया सकारात्‍मक जीवन जीने का संदेश

By Shubh NpathakEdited By: Publish:Sun, 13 Dec 2020 10:26 AM (IST) Updated:Sun, 13 Dec 2020 10:26 AM (IST)
जेल भेजने का मकसद किसी को प्रताड़ि‍त करना नहीं, उसमें सुधार के मौके उपलब्‍ध कराना
प्रदेश की सभी जेलों में आयोजित किया गया कार्यक्रम (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)। जागरण

पटना, जेएनएन। भारतीय कानून की अवधारणा के मुताबिक जेलों का असली मकसद किसी अपराधी को दंडित या प्रताड़‍ित करना नहीं है। जेलों को कानून में सुधार के लिए अवसर के तौर पर व्‍याख्‍यायित किया गया है। ऐसा हमेशा नहीं था। अंग्रेजी राज के दौरान जेलों के कानून बहुत सख्‍त थे। इसका असर ज्‍यादातर बंदियों पर नकारात्‍मक ही पड़ता था। छोटे अपराधी जेल जाने के बाद और अधिक खूंखार होकर निकलते थे। वहीं राजनीतिक बंदियों को बेवजह प्रताड़ना का शिकार जेलों में होना पड़ता था। आजाद भारत में भी जेलों के लिए वहीं पुराने कानून दशकों तक चलते रहे। बिहार के कारा महानिरीक्षक (जेल आइजी) मिथिलेश मिश्रा ने बताया कि 12 दिसंबर 2012 को ही अंग्रेजों के सख्त कानून को बदलकर सुधारात्मक एवं कल्याणकारी कानून बनाया गया था। तब से इस दिन को कारा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

सभी जेलों के प्रशासनिक भवनों को सजाया गया

इस खास मौके को यादगार बनाने के लिए जेलों में काम करने वाले कर्मियों, अधिकारियोंं, संसीमित बंदियों में सुधारात्मक कार्यक्रमों के प्रति सकारात्मक सोच विकसित करने के लिए राज्य के विभिन्न काराओं में शनिवार को कारा दिवस मनाया गया। सभी जेलों के प्रशासनिक भवनों पर भव्य लाइटिंग की गई। जेलों में प्रभातफेरी निकालकर कारा दिवस कार्यक्रम की शुरुआत की गई।

बंदियों को उत्‍कृष्‍ट सेवा के लिए किया गया पुरस्‍कृत

इस मौके पर सभी जेलों में आयोजित कार्यक्रमों में वहां के जिला व सत्र न्यायाधीश, जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, प्रधान प्रोबेशन अधिकारी, जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सदस्यों को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। इस दौरान कारा में तैनात कर्मियों व अधिकारियों एवं बंदियों को उत्कृष्ट सेवा के लिए पुरस्कृत किया गया। शाम में सभी जेलों में कैदियों व प्रशासनिक लोगों द्वारा सांस्कृतिक समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान खेल-कूद प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। सारे कार्यक्रमों को कोविड 19 संक्रमण को ध्यान में रखकर आयोजित किया गया।

हाजीपुर, आरा और बक्‍सर की जेलों में भी हुए कार्यक्रम

इस दौरान आदर्श केंद्रीय कारा बेउर, दानापुर उपकारा, पटना सिटी उपकारा, मसौढ़ी व बाढ़ उपकारा के साथ ही फुलवारीशरीफ कैंप कारा में कारा दिवस के मौके पर कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। बेउर जेल में जहां काराधीक्षक सत्येन्द्र प्रसाद के नेतृत्व में कार्यक्रम का आयोजन किया गया, वहीं सासाराम जेल में काराधीक्षक राकेश कुमार के नेतृत्व में कारा दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। हाजीपुर, मुजफ्फरपुर, आरा, भागलपुर, बक्सर, गया समेत तमाम जेलों में आयोजन किए गए।

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