एक पार्क जिसमें नक्षत्रों व राशियों के अनुसार लगे हैं पेड़, इसमें समायी खालसा पंथ व तीर्थकरों की भी यादें

बिहार की राजधानी पटना में स्थित राजधानी वाटिका को यूं ही इको पार्क नहीं कहा जाता है। यहां पेड़ों को धार्मिक मान्‍यताओं से जोड़कर उनके प्रति आस्‍था पैदा करने की कोशिश की गई है।

By Amit AlokEdited By: Publish:Sat, 04 Jul 2020 12:36 PM (IST) Updated:Sun, 05 Jul 2020 10:28 PM (IST)
एक पार्क जिसमें नक्षत्रों व राशियों के अनुसार लगे हैं पेड़, इसमें समायी खालसा पंथ व तीर्थकरों की भी यादें
एक पार्क जिसमें नक्षत्रों व राशियों के अनुसार लगे हैं पेड़, इसमें समायी खालसा पंथ व तीर्थकरों की भी यादें

पटना, जेएनएन। पार्क से हमारे मन में हरेे-भरेे मैदान, झूले, जिम, झरने व नौका विहार आदि की कल्‍पना आती है, लेकिन पटना स्थित 'राजधानी वाटिका' (Rajdhani Vatika) में और भी बहुत कुछ है। जैव विविधता (Bio Diversity) को धन में रखकर यहां नक्षत्र व राशि वन बनाए गए हैं। इनमें धार्मिक मान्‍यता के अनुसार सभी 27 नक्षत्रों (Constellations) और 12 राशियों (Zodiac Signs) से संबंधित विभिन्न प्रकार के पेड़ लगाये गये हैं। शास्त्राें के अनुसार यह संसार पांच तत्वों से मिलकर बना है। इन्‍हें यहां के पंचवटी वन में दिखाया गया है। जैन तीर्थकरों (Jain Teerthankars) की याद में बना तीर्थकर वन तो बुद्ध (Buddha) की याद में बुद्ध वाटिका भी है। यहां की गुरु वाटिका में खालसा का प्रतीक चिह्न आकर्षण का केंद्र है।

मनोरंजन के साथ ज्ञानवर्धन का भी केंद्र

पटना में स्थित राजधानी वाटिका अपने आप में खास है। राजधानी के पर्यावरण संतुलन में इसके योगदान को देखते हुए इस 'इको पार्क' (Eco Park) भी कहते हैं। कोरोना संक्रमण (CoronaVirus Infection) के संकट काल में भले ही यहां जाने से लोग परहेज करें, लेकिन आम दिनों में यह नगर का प्रमुख आकर्षण रहा है। पाटलिपुत्र विश्‍वविद्यालय के स्‍नातक छात्र विनय कुमार कहते हैं कि यह मनोरंजन के साथ ज्ञानवर्धन का भी केंद्र है।

नक्षत्र वन में 27 नक्षत्रों के अनुसार 27 प्रकार के पेड़

राजधानी वाटिका के गेट संख्या दो से प्रवेश करते ही नक्षत्र वन दिखता है। गोल आकार में बने इस नक्षत्र वन में 12 राशियों के अंतर्गत पड़ने वाले 27 नक्षत्रों के अनुसार 27 प्रकार के पेड़ लगाए गए हैं। प्राचीन भारतीय ज्योतिष के अनुसार 27 नक्षत्र धरती पर 27 संगत वृक्ष प्रजातियों के रूप में विद्यमान हैं। शास्त्रों के अनुसार धरती पर इन वृक्षों की सेवा करने से नक्षत्रों की सेवा होती है। साथ ही जन्म से संबंधित वृक्ष का पालन-पोषण, रक्षा, पूजन और संवर्धन करने से संबंधित व्यक्ति का कल्याण होता है और क्षति पहुंचाने से हानि होती है।

नक्षत्रों के अनुसार 27 भागों में बांटा गया है वन

नक्षत्र वन राशियों व नक्षत्रों के अनुसार वृक्षों की पूरी जानकारी देता है। इस वन को नक्षत्रों के अनुसार 27 भागों में बांटा गया है। हर भाग में राशि व नक्षत्र के अनुसार पेड़ लगाए गए हैं। हर भाग में हरी-भरी घास लगी है। वन के चारों तरफ कामिनी, हेज और गोल्डेन जैसे प्लांट से घेरा बनाया गया है।

राशि वन में लगे 12 राशियों से संबंधित 12 पेड़

इसी तरह एक अलग राशि वन भी है, जिसमें 12 राशियों से संबंधित 12 वृक्ष लगाये गये हैं। प्रत्येक राशि को वृक्ष से जोड़ा गया है। शास्‍त्रों के अनुसार मान्‍यता है कि व्यक्ति द्वारा अपनी राशि से संबंधित वृक्ष लगाने तथा उसका पालन-पोषण, रक्षा व पूजा करने से लाभ होता है। 

पंचवटी वन में पांच तत्वों से जुड़े अलग-अलग पेड़

राजधानी वाटिका में एक पंचवटी भी वन है। इसमें प्राचीन भारतीय परंपरा के अनुसार दिखाया गया है कि संसार पांच तत्वों पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश अैर वायु से मिलकर बना है। मानव शरीर में भी पांच संवेदी तंत्रिकाएं अर्थात् आंख,कान, नाक,त्वचा और जीभ हैं। इस वन में इन पांचों तत्वों को पांच वृक्षों से जोड़ा गया है। ऐसा माना जाता है कि इन वृक्षों के संवर्धन से पांच तत्वों का विकास होता है और मानव शरीर में उपस्थित पांचों संवेदी तंत्रिकाएं भी प्रभावित होती हैं। 

गुरु वाटिका में है खालसा का प्रतीक चिह्न

यहां एक 'गुरु वाटिका' है, जिसमें खालसा के प्रतीक चिह्न 'खंडा' को हरे और लाल रंग के हेज के जरिये दर्शाया गया है। खंडा सिख धर्म का मुख्य प्रतीक चिह्न है। यह वस्तुत: सिखों के 10वें गुरु गुरु गोविंद सिंह के समय में प्रयोग में लाये जाने वाले चार शस्त्रों का संयुक्त निरूपण है। इसके केंद्र में एक दोधारी तलवार है, जो ईश्वर की सृजनात्मक शक्ति का प्रतीक है। इस दोधारी तलवार के बाहर दो अन्य तलवारें भी हैं। बायीं ओर की तलवार राजनीतिक प्रभुसत्‍ता को व्यक्त करती है। इसके केंद्र का वृत्‍त एकता, न्याय की एकरूपता, मानवता और अमरता का प्रतीक है। 

कल्पवृक्ष की अवधारणा पर आधारित तीर्थंकर वन

पार्क में जैन धर्म से संबंधित तीर्थाकर वन भी है, जिसमें वे सभी वृक्ष लगाए गए हैं, जिनके नीचे तीर्थकरों ने ज्ञान की प्राप्ति की थी। जैन धर्म में 24 तीर्थंकर हुए हैं। उन्‍होंने विभिन्न वृक्षों के नीचे ज्ञान की प्राप्ति की। तीर्थंकर वन कल्पवृक्ष की अवधारणा पर आधारित है, जिसमें देवी-देवताओं के निर्धारित स्थल पर संबंधित वृक्षों को लगाया गया है। यहां बुद्ध वाटिका भी है।

जैव विविधता को ज्ञान व धर्म से जोड़ बढ़ाया आकर्षण

राजधानी वाटिका में इन खास वनों को बनाने के पीछे का मकसद क्‍या है? इस बाबत पार्क के रेंजर एके वर्मा कहते हैं कि ऐसा जैव विविधता को ज्ञान से जोड़ने के लिए किया गया है। नक्षत्र वन का मकसद लोगों को जागरूक करना भी है।  डीएफओ शशिकांत बताते हैं कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पेड़ लगाने से लोगों का उनके प्रति आकर्षण बढ़ता है। मान्यता है कि धार्मिक मान्‍यता के अनुसार लाेग जब निर्धारित पेड़ का पालन-पोषण करते हैं, तो उनका कल्याण होता है। 

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