बिहार में सरकारी भवन व रोड की मरम्मत के लिए नहीं निकलेगा टेंडर, इंजीनियर ही कराएंगे काम
बिहार में सरकारी भवन एवं सड़कों की मरम्मत अब टेंडर के जरिए नहीं होगी। पहले सड़कों के रख रखाव की जिम्मेवारी बाहरी एजेंसियों को दी जाती थी। भवन की मरम्मत के लिए भी ठीका दिया जाता था। इसमें अनियमितता की शिकायत मिलती थी। सरकार ने नीति में बदलाव किया है।
पटना, राज्य ब्यूरो। बिहार में सरकारी भवन एवं सड़कों की मरम्मत अब टेंडर के जरिए नहीं होगी। यह विभागीय स्तर पर ही होगा। इसके लिए अलग से कर्मचारियों की बहाली होगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को विधानसभा में यह घोषणा की। वे राज्यपाल के अभिभाषण पर जारी धन्यवाद के प्रस्ताव पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि पहले बनी सड़कों के रख रखाव की जिम्मेवारी बाहरी एजेंसियों को दी जाती थी। भवन की मरम्मत के लिए भी ठीका दिया जाता था। इसमें अनियमितता की शिकायत मिलती थी। सरकार ने नीति में बदलाव किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा-इंजीनियर अब सिर्फ ठीका ही नहीं देंगे। वे विभागीय काम भी कराएंगे। निर्माण विभागों को कहा गया है कि वह विभागीय स्तर पर मरम्मत एवं रख रखाव के लिए कर्मियों की बहाली करे। विभागों से कर्मियों की जरूरत का ब्यौरा मांगा गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़क और पुल पुलियों के निर्माण के बाद राज्य के किसी हिस्से से कोई भी आदमी पांच घंटे में पटना पहुंच सकता है। लक्ष्य है कि यह दूरी पांच घंटे में तय हो। शहरों के बगल से बायपास बनाने की योजना पर भी काम चल रहा है। जहां सड़क के लिए जमीन उपलब्ध नहीं होगी, फ्लाइओवर बना दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी टोलों-मुहल्लों को मुख्य संपर्क पथ से जोडऩे का काम हो रहा है। अगले वित्तीय वर्ष में यह पूरा हो जाएगा। उन्होंने विधायकों से कहा कि उनकी नजर में अगर कोई सड़क मरम्मत लायक है तो उसकी जानकारी सीधे मंत्री को दें। विधायक इस काम के लिए सीधे मुख्यमंत्री से भी मिल सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आम नागरिक सड़क मरम्मत के लिए लोक शिकायत निवारण कानून का भी सहारा ले सकते हैं। यह नई व्यवस्था है, जिसका लाभ नागरिकों को मिलेगा। उन्होंने कहा कि अच्छी सड़कों का लाभ राज्य की पूरी आबादी को मिल रहा है।