बिहार के स्कूलों से गायब हुए 30 फीसद बच्चे, वार्षिक परीक्षाओं में शामिल होने भी नहीं पहुंच रहे
कोरोना काल के बाद धीरे-धीरे बिहार में ज्यादातर स्कूल तो खुल गए लेकिन इन स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति काफी कम है। स्कूलों से करीब 30 फीसद बच्चे गायब हो गए हैं। स्कूल प्रशासन और शिक्षक घर-घर जाकर इन बच्चों को ढूंढ रहे हैं।
पटना, जागरण संवाददाता। बिहार के लगभग 30 फीसद बच्चे स्कूल छोड़ सकते हैं। कोरोना काल के बाद स्कूल तो खुल गए हैं, लेकिन ये बच्चे न तो स्कूल आ रहे हैं, न ही फीस जमा कर रहे हैं। इनमें ज्यादातर बच्चे निजी स्कूलों के हैं। स्कूल प्रबंधन द्वारा बार-बार फोन करने पर कोई जवाब भी नहीं दे रहे हैं। ऐसे में स्कूल प्रबंधन भी यह मानने लगा है कि अब तक फीस जमा न करने वाले बच्चे स्कूल छोड़ सकते हैं। अधिकांश स्कूलों में वार्षिक परीक्षाएं शुरू हो गई हैं।
पटना जिले में सीबीएसई से मान्यता वाले 180 स्कूल
सीबीएसई पाटलिपुत्र सहोदय के अध्यक्ष डॉ. राजीव रंजन सिन्हा का कहना है कि वर्तमान में पटना जिले में सीबीएसई से मान्यता प्राप्त 180 स्कूल हैं। सभी स्कूलों में औसतन एक हजार बच्चे अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन इनमें से लगभग 30 फीसद बच्चे अभी तक स्कूलों में नहीं पहुंच रहे हैं। वर्तमान में अधिकांश स्कूलों में ऑनलाइन एवं ऑफलाइन परीक्षाएं भी शुरू हो गई हैं। सभी छात्रों को वार्षिक परीक्षा में शामिल होना अनिवार्य है। जो बच्चे परीक्षा में शामिल ही नहीं होंगे, वे स्कूल छोड़ सकते हैं।
बच्चों को लुभाने के लिए फीस में छूट दे रहे स्कूल
एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स के अध्यक्ष डॉ. सीबी सिंह का कहना है कि कई स्कूलों ने फीस में बच्चों को छूट देनी भी शुरू कर दी है। स्कूल अपनी क्षमता के अनुसार फीस में छूट दे रहे हैं। एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष एके नाग ने कहा कि अधिकांश स्कूलों से अपील की गई कि कोरोना संकट से प्रभावित अभिभावकों की समस्याओं पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए फीस में छूट दी जाए। बड़े से लेकर छोटे तक सभी स्कूल फीस में छूट देने के लिए आगे आए हैं। वहीं अभिभावक एसोसिएशन के सचिव नीरज कुमार सिंह का कहना है कि कोरोना संकट के दौरान कई अभिभावकों की नौकरी छूट गई है। व्यापार-धंधे भी प्रभावित हुए हैं। ऐसे में स्कूलों की फीस देने में अभिभावकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।