अर्जक संघ की पहल पर मृत्यु भोज का किया गया बहिष्कार

नवादा मानववादी संगठन अर्जक संघ के पहल पर सेवानिवृत प्रधानाध्यापक कैलाश प्रसाद की पत्नी पार्वती देवी के निधन उपरांत रविवार को मिर्जापुर सूर्यमंदिर के समीप शोकसभा का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 05:15 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 05:15 PM (IST)
अर्जक संघ की पहल पर मृत्यु भोज का किया गया बहिष्कार
अर्जक संघ की पहल पर मृत्यु भोज का किया गया बहिष्कार

नवादा: मानववादी संगठन अर्जक संघ के पहल पर सेवानिवृत प्रधानाध्यापक कैलाश प्रसाद की पत्नी पार्वती देवी के निधन उपरांत रविवार को मिर्जापुर सूर्यमंदिर के समीप शोकसभा का आयोजन किया गया। समारोह के दौरान मृत्यु भोज का बहिष्कार किया गया।

बता दें कि रूढि़वादी व्यवस्था में बदलाव को ले संकल्पित है कुंजैला ग्रामवासी। तीन दशक पूर्व पहले महिलाओं से अर्थी को कंधा दिलाने की शुरूआत करने के साथ ही महिलाओं को श्मशान घाट नहीं जाने की परंपरा को भी तोड़ने का काम किया। अब मृत्यु भोज का बहिष्कार कर समाज के सामने न सिर्फ मिशाल पेश किया, बल्कि फिजूलखर्ची पर भी अंकुश लगाने का काम किया। कुंजैला गांव के सहोदर भाई स्व.नाथो महतो और स्व. राघो महतो का परिवार कई दशक पूर्व से ही रूढि़वादी व्यवस्था को समाज से समूल नष्ट करने के लिए प्रयासरत हैं। जिसके कारण इस परिवार को समाज के कुछ लोगों का कोपभाजन भी बनना पड़ता है।

बताया गया कि स्व. नाथो महतो के पुत्र कैलाश प्रसाद की पत्नी पार्वती देवी का 8 जुलाई को नवादा के मिर्जापुर स्थित आवास पर निधन हो गया। मानववादी संगठन अर्जक संघ के विचारों को आत्मसात कर दाह-संस्कार किया गया। मुखाग्नि घर की सभी महिला-पुरूष मिलकर दिया। इसके 18 दिन बाद 25 जुलाई को नवादा मिर्जापुर स्थित घर के प्रांगण में शोक सभा कर उनके चित्र पर शुभचितकों द्वारा फूल- चढ़ा कर श्रद्धा-सुमन अर्पित किया गया। परन्तु इस मौके पर भोज का आयोजन नहीं किया गया।

इस घर की बहु व समाजसेवी सुमित्रा सिन्हा ने बताया कि समाज में पुरूषों के बराबर ही महिलाओं का भी अधिकार है। इसलिए पूजा हो या कर्मकांड सभी में महिलाओं की भागीदारी होनी चाहिए। अर्जक संघ के सदस्य, सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक व मृतका के पति कैलाश प्रसाद ने कहा कि मृत्यु भोज सामाजिक कोढ़ है। वहीं अर्जक संघ सांस्कृतिक प्रकोष्ट के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र पथिक ने कहा कि वास्तव में यह परिवार द्वारा रूढि़वादी व्यवस्था के खिलाफ उठाया गया कदम सराहनीय योग्य है।

राजस्थान सरकार की तरह बिहार सरकार को भी मृत्यु भोज पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। इस गांव में अमृत महतो, चन्देश्वर प्रसाद, सरयुग प्रसाद, डॉ के नागेंद्र, जगदीस प्रसाद के अलावा दर्जनों परिवार द्वारा अर्जक संघ की पहल पर मृत्यु उपरांत सर मुंडन के अलावा रूढि़वादी व्यवस्था को दरकिनार किया गया।

मौके पर अर्जक संघ के जिला संयोजक सुनील कुमार, जगरनाथ प्रसाद, जगदीश प्रसाद,नगेन्द्र प्रसाद, बैजू महतो, दशरथ साहू, डॉ सुधीर कुमार के अलावा इनके शिक्षक पुत्र किशोरी शरण वर्मा, विजय शंकर वर्मा, बहु भारती सिन्हा, आंगनबाड़ी सेविका छोटी बहु तारा कुमारी, शिक्षिका पुत्री नीलम सिन्हा, प्रतिभा सिन्हा, उमेश प्रसाद आदि उपस्थित थे।

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