नवादा में दूर नहीं हुआ यूरिया संकट

नवादा के वारिसलीगंज प्रखंड क्षेत्र के धान उत्पादक किसानों को यूरिया खरीदने में मारामारी का सामना करना पड़ रहा है। बाजार के लाइसेंसी उर्वरक विक्रेताओं के पास यूरिया का स्टाक खत्म है। सिर्फ बिस्कोमान में बिहारशरीफ से एक हजार बैग इफको यूरिया आई है। जिसे प्राप्त करने के लिए किसानों को दो से तीन दिन तक कतार में लगना पड़ रहा है। खाद की किल्लत के कारण किसानों में हाहाकार मचा हुआ है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 11:08 PM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 11:08 PM (IST)
नवादा में दूर नहीं हुआ यूरिया संकट
नवादा में दूर नहीं हुआ यूरिया संकट

नवादा। नवादा के वारिसलीगंज प्रखंड क्षेत्र के धान उत्पादक किसानों को यूरिया खरीदने में मारामारी का सामना करना पड़ रहा है। बाजार के लाइसेंसी उर्वरक विक्रेताओं के पास यूरिया का स्टाक खत्म है। सिर्फ बिस्कोमान में बिहारशरीफ से एक हजार बैग इफको यूरिया आई है। जिसे प्राप्त करने के लिए किसानों को दो से तीन दिन तक कतार में लगना पड़ रहा है। खाद की किल्लत के कारण किसानों में हाहाकार मचा हुआ है। धान रोपनी के समय से ही क्षेत्र के किसान उर्वरक की किल्लत का सामना कर रहे हैं। इस बाबत संबंधित अधिकारी कहते हैं कि क्षेत्र के सभी पंचायतों में पैक्स की दुकानें हैं। जिसके अध्यक्ष को इफको यूरिया किसानों में वितरण के लिए दी जाती है। परंतु प्रखंड के अपसढ़ पैक्स अध्यक्ष को छोड़ शेष 15 पंचायतों के पैक्स अध्यक्ष द्वारा उर्वरक बिक्री का लाइसेंस ही नहीं लिया गया है। फलत: किसानों को यूरिया संकट के लिए अधिकारी के साथ ही किसान हितों की रक्षा के लिए निर्वाचित पैक्स अध्यक्ष भी बराबर के दोषी हैं। बता दें कि वारिसलीगंज जिले में धान उत्पादन में अव्वल प्रखंड माना जाता है। इसमें सकरी नहर की अहम भूमिका होती है। फलत: प्रखंड को जिले में धान का कटोरा के रूप में जाना जाता है। सर्वाधिक धान उपजाने वाले वारिसलीगंज में यूरिया की आवश्यकता भी अधिक होती है। लेकिन, प्रखंड क्षेत्र को उर्वरक का कम आवंटन के कारण धान रोपनी के समय से ही उर्वरक की किल्लत से किसान परेशान हो रहे हैं। किसान उर्वरक खरीदने के लिए घर के कई सदस्यों के साथ सुबह से लेकर शाम तक उर्वरक के जुगाड़ में बिस्कोमान के इर्द गिर्द एकत्रित देखे जाते हैं। सरकारी आंकड़े तो महज 6700 हेक्टेयर धान आच्छादन बताता है, लेकिन अनुमानित आठ हजार हेक्टेयर भूभाग में धान की फसल की रोपनी की जाती है। जिसके लिए क्षेत्र के किसानों को धान रोपनी से लेकर धान उपजाने तक करीब 50 हजार बैग यूरिया की आवश्यकता होती है। लेकिन धान रोपनी के समय से ही बिस्कोमान को बहुत कम खाद उपलब्ध कराई जा रही है। जिला कृषि कार्यालय ने खुदरा उर्वरक विक्रेताओं को सरकार द्वारा निर्धारित दर पर खाद बिक्री करने का निर्देश दिया है। जिस कारण उर्वरक खरीदने के लिए किसानों में हाहाकार मचा हुआ है। वही पैक्स अध्यक्ष, अधिकारी और उर्वरक के अधिकृत विक्रेता चैन की नींद सो रहे हैं।

--------------------- लाइसेंस निर्गत करने में अधिकारियों की रही उदासीनता क्षेत्र के कुछ पैक्स अध्यक्षों की मानें तो शुरुआत में कुछ पैक्स अध्यक्षों द्वारा उर्वरक बिक्री का लाइसेंस लेने की कोशिश की गई थी। लेकिन एग्रीकल्चर से स्नातक डिग्री प्राप्त होने पर ही लाइसेंस देने की बात पैक्स अध्यक्षों को बताई गई थी। हालांकि कुछ दिन बाद ही जिलाधिकारी द्वारा एग्रीकल्चर पास होने की व्यवस्था को निरस्त कर पैक्स अध्यक्ष को उर्वरक लाइसेंस देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। लेकिन तब कोई भी पैक्स अध्यक्ष किसानों के लिए आवश्यक उर्वरक का लाइसेंस लेना जरूरी नहीं समझे। बताते हैं कि अधिकारी अगर चाहते तो पैक्स को लाइसेंस लेना जरूरी कर सकते थे। तब पैक्स अध्यक्षों के द्वारा लाइसेंस लिया जाता और किसानों में खाद को लेकर अफरातफरी कम होती। --------------- कहते हैं अधिकारी किसानों की आवश्यकता को देखते हुए 23 सितंबर की शाम तक वारिसलीगंज में इफको यूरिया की रैक आ जाएगी। प्रखंड को तीन ह•ार बैग यूरिया आवंटित की गयी है। किसानों को सरकारी दर पर सुलभता पूर्वक यूरिया उपलब्ध हो इसके की कृषि कर्मियों को देखरेख का जिम्मा सौंपा गया है। लक्ष्मण प्रसाद, जिला कृषि पदाधिकारी।

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