अभ्रख खदान में चाल धंसने के कारण दो नाबालिग गंभीर रूप से जख्मी

प्रखंड मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर सुदूरवर्ती इलाका सवैयाटांड़ पंचायत के शारदा अभ्रक माइंस में बुधवार कि दोपहर चाल धंसने से मजदूरी करने वाली दो नबालिग गंभीर रूप से घायल हो गई। घायलों को इलाज के लिए माफिया द्वारा झारखंड राज्य के कोडरमा ले जाया गया है। जहां एक निजी क्लीनिक में भर्ती कराकर इलाज कराया जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 May 2020 09:23 PM (IST) Updated:Thu, 28 May 2020 06:06 AM (IST)
अभ्रख खदान में चाल धंसने के कारण दो नाबालिग गंभीर रूप से जख्मी
अभ्रख खदान में चाल धंसने के कारण दो नाबालिग गंभीर रूप से जख्मी

प्रखंड मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर सुदूरवर्ती इलाका सवैयाटांड़ पंचायत के शारदा अभ्रक माइंस में बुधवार कि दोपहर चाल धंसने से मजदूरी करने वाली दो नबालिग गंभीर रूप से घायल हो गई। घायलों को इलाज के लिए माफिया द्वारा झारखंड राज्य के कोडरमा ले जाया गया है। जहां एक निजी क्लीनिक में भर्ती कराकर इलाज कराया जा रहा है।

बताया जाता है कि बुधवार कि दोपहर शारदा माइंस में माइका का अवैध खनन कार्य दर्जनों मजदूरों के द्वारा कराया जा रहा था। इस दौरान चाल अचानक धंस गया। जिससे मलबे में दो नाबालिग बच्ची दबकर घायल हो गई। हालांकि दोनों को वहां काम करने वाले अन्य मजदूरों ने निकाल लिया। दोनों बच्ची प्रमिला कुमारी व लक्ष्मी कुमारी सवैयाटांड़ पंचायत के जरलाही गांव के रहने वाली बताई गई है। हालांकि स्थानीय प्रशासन इस प्रकार की किसी घटना की जानकारी से इंकार कर रहे हैं। थानाध्यक्ष सुजय विद्यार्थी ने पूछे जाने पर कहा कि उन्हें किसी स्तर से ऐसी घटना की जानकारी नहीं मिली है।

सूत्र बता रहे हैं कि शारदा माइंस पर कोडरमा जिले के पारो पंचायत की सिकंदर साव, घुटर यादव, राजू यादव आदि द्वारा अभ्रक उत्खनन का कार्य कराया जा रहा है। पूर्व में होती रही है घटनाएं

- शारदा सहित अन्य अभ्रम माइंस में अवैध खनन के दौरान चाल धंसने की घटनाएं होती रही है। पूर्व के वर्षों में 6 मजदुरों की मौत हुई थी। शारदा में अवैध खनन का कार्य कई वर्षो से किया जा रहा है। इसमें बिहार झारखंड के दर्जनों माफिया जुड़े हैं। खनन करने वाले माफिया में सिमरातरी के महेंद्र सिंह, शमीम, छपदर, मनोवर, अख्तर, राहुल, अल्ताफ, मंसूर मियां, केदार, अली नौशाद, इरफान इजराइल, सलाउद्दीन, जितेंद्र साव, शमीम उर्फ फोकना, कैलाश यादव, बिगन साव आदि के नाम आते रहे हैं। पिछले दिनों इन्हीं लोगों में कुछ लोग पकड़े गए जेसीबी मशीन को पुलिस पर हमला कर छुड़ा लिए थे। नहीं होता है विरोध

- अवैध अभ्रक खनन कराने वाले माफिया के खिलाफ आवाज उठाने की जुर्रत किसी की नहीं होती है। हर घटनाओं पर पर्दा डाल दिया जाता है। पीड़ितों का मुंह बंद कराने के लिए हर तिकड़म अपनाया जाता है। विरोध में आवाज उठाने वाले स्थानीय ग्रामीणों को किसी ना किसी षडयंत्र के तहत झूठे मुकदमे में फंसा दिया जाता है। या फिर बंदूक की नोक पर उसके जुबान बंद कर दिया जाता है। ऐसी बेबसी कि लोग अपनों की मौत पर भी आंसू नहीं बहाते

- चाल धंसने के बाद होने वाली मौत पर मरने वालों की ऐसी मजबूरी होती है कि वे आंसू भी नहीं बहा पाते हैं। 20 मई 2015 को कारी माइंस में तीन लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना में एक बेटी की मौत पर उस की बुजुर्ग मां ने फांसी लगाकर जान दे दी थी। घटना के बाद मजदूर परिवारों को भयभीत किया जाता है कि पुलिस से शिकायत न करें। चंद रुपये उन्हें थमा दिए जाते हैं।

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